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जानिये कहां गायब थीं 90s की ये टॉप सिंगर, वापसी की कहानी इन्हीं की ज़ुबानी

श्वेता कहती हैं कि ये इंडस्ट्री आपको जल्दी भूल जाती है। क्यूंकि श्वेता जर्मनी शिफ्ट हो गई थीं, तो यहां लोगों ने मान लिया था कि अब वह सिंगिंग छोड़ चुकी हैं।

By Shikha SharmaEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 01:19 PM (IST)
जानिये कहां गायब थीं 90s की ये टॉप सिंगर, वापसी की कहानी इन्हीं की ज़ुबानी
जानिये कहां गायब थीं 90s की ये टॉप सिंगर, वापसी की कहानी इन्हीं की ज़ुबानी

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। उस दौर में लड़कियों का दिल अगर सलमान ख़ान के शर्टलेस अंदाज़ पर और राज आर्यन और राज मल्होत्रा के रोमांटिक गानों पर धड़कता था, तो दूसरी तरफ सोनू निगम के चौकलेटी और नौटी अंदाज़ के लिए भी उतनी ही तेजी से धड़कता था, उस दौर में लड़के जहां सिमरन की खोज में सपनों में भी स्विजरलैंड की ही सैर करते थे, तो अलीशा चिनॉय के मेड इन इंडिया बॉय बनने का ख्याल भी उनके ख्वाबों में जरूर आया करता था। तो श्वेता शेट्टी की एक आवाज़ पर उनके दीवाने खिड़की पर आने को तैयार रहते थे। जी हां, 90s के उसी जमाने की बात कर रहे हैं, जिसने उस दौर में कई इंडिपेंडेंट म्यूज़िक आर्टिस्ट को एक अलग ही पहचान दिलाई। 90s के उस दौर को म्यूज़िक वीडियो एल्बम के दौर की पहचान दिलायी। हम उसी दौर की बात कर रहे हैं, जब एक तरफ बॉलीवुड में सलमान, शाहरुख़, आमिर, अक्षय, अजय, रोमांस और एक्शन के रोमांच से दर्शकों को अपना दीवाना बना रहे थे, तो ठीक उनसे पैररल हिंदी फोक, पॉप, इंडिपेंडेंट म्युज़िक की एक अलग ही मैजिकल दुनिया संवर और निखर रही थी।

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वह दौर जब नवरात्रि का मतलब फाल्गुनी के गाने होते थे तो आशिक अपने पैगाम सोनू निगम, कुमार शानू, लकी अली, शान, अभिजीत के गानों के माध्यम से पहुंचाया करते थे तो श्वेता शेट्टी, अलीशा, सुनीता राव, इला अरुण जैसी महिला सिंगर्स मजबूती से अपनी पहचान दर्ज कर रही थीं। तो वही बाली ब्रह्मभट, दिलेर मेहँदी, अदनान सामी और न जाने अनगिनत पॉप सिंगर्स को घर-घर की पहचान बना दी। तो बाबा सहगल और देव पटेल के रैप सांग किसे याद नहीं होंगे। तब नाचने-गाने का मतलब केवल बॉलीवुड सांग्स नहीं हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे डिजिटल दौर आया और वह दौर सिमटता गया। 90s की म्युज़िक एल्बम के उन्हीं भूले चेहरे को फिर से याद करने की कोशिश में जागरण डॉट कॉम ने पहली मुलाकात सिंगर श्वेता शेट्टी से की, खुद उनकी जुबानी सुनें उनकी जिंदगी की अबतक की दास्तां।

श्वेता इन दिनों मुंबई लौट आई हैं और इन दिनों योग के माध्यम से लोगों की जिंदगी में खुशियां भर रही हैं। श्वेता स्पष्ट कहती हैं कि लोगों को यह गलतफ़हमी हो जाती है कि किसी सिंगर या कलाकार के करियर पर ब्रेक लग जाता है, तब वह कुछ और करने लगते हैं। लेकिन, मेरे साथ ऐसी कोई भी मजबूरी नहीं थी। श्वेता एक योगी परिवार से संबंध रखती हैं, और उनका झुकाव और रूचि योग को लेकर हमेशा से रहा है। इसलिए वह इस दुनिया को एन्जॉय करती हैं। लेकिन, वह एक बार फिर से सिंगिंग की दुनिया में वापसी करने के लिए तैयार हैं। अगर उन्हें कोई अच्छे ऑफ़र मिलेंगे, तो वह फिर से प्ले बैक सिंगिंग के लिए तत्पर हैं। पूरी बातचीत आगे:

इंडियन पॉप म्युज़िक को लोकप्रिय बनाने में अहम योगदान

श्वेता ने 90s के दौर में कई बेहतरीन गाने गाये। ‘दीवाने तो दीवाने हैं...’, ‘मैं देखने की चीज हूँ...’ जैसे म्युज़िक एल्बम के लिए लोकप्रिय रहीं तो ए आर रहमान के साथ उन्होंने ‘रोज़ा’, ‘रंगीला’ जैसी फ़िल्मों के लिए भी गाने गाये। इंडियन पॉप म्युज़िक को लोकप्रिय बनाने में श्वेता का बड़ा योगदान रहा है। उनकी यूनिक आवाज़ ही उनकी पहचान बन गयी थी। उस दौर में वह जिस अंदाज़ और आवाज़ में गाती थीं, वैसी आवाज़ दूसरी किसी सिंगर के पास नहीं थीं। खुद श्वेता इस बात को स्वीकारती हैं कि यह सच है कि कि मेरी आवाज बिल्कुल अलग थी। ना मेरी आवाज़ किसी से मेल खाती थी और ना ही कोई मेरी आवाज़ जैसा गा पाता था। श्वेता मानती हैं कि उस दौर ने बहुत कुछ दिया। इंडिपेंडेंट म्युज़िक एल्बम के उस दौर ने बॉलीवुड को कई बड़े सिंगर्स दिए। साथ ही म्युज़िक एल्बम के माध्यम से हिंदी पॉप, वेस्टर्न पॉप, क्लासिकल और फोक हर तरह के टैलेंट्स को मौक़ा मिला। उस दौर में आर्टिस्ट्स के लिए म्युज़िक वीडियो पोर्टफोलियो जैसे होते थे। उनका काम बॉलीवुड के म्युज़िक निर्देशक देखते थे, तो फिर वह उन्हें मौके देते थे। उस दौर में एक साथ कई म्युज़िक एल्बम आते थे, काफी भीड़ थी। ऐसे में क्या कभी श्वेता ने कम्पीटीशन का सामना नहीं किया? श्वेता कहती हैं कि आपको जान कर हैरानी होगी, लेकिन हम लोग एक दुसरे को कॉम्प्लीमेंट करते थे। सोनू निगम काफी अच्छे दोस्त हैं और वह हमेशा कहते हैं कि श्वेता तेरी आवाज़ सबसे अलग है। मैं अलीशा जैसा नहीं गा सकती थी सुनिधि जैसा नहीं गाती थी, सबकी अपनी यूनिक स्टाइल थी। इसलिए कभी तुलना और कॉम्पिटीशन हुआ नहीं।

इंडस्ट्री आपको जल्दी भूल जाती है, रियेलिटी शो से रातों रात स्टार बन रहे हैं

श्वेता कहती हैं कि ये इंडस्ट्री आपको जल्दी भूल जाती है। क्यूंकि श्वेता जर्मनी शिफ्ट हो गई थीं, तो यहां लोगों ने मान लिया था कि अब वह सिंगिंग छोड़ चुकी हैं। लेकिन 20 साल के बाद जब मैं मुंबई आई तो मैं यहां के लोगों से मिल कर हैरान थी कि यहां अब भी लोग मुझे पहचानते हैं। मेरे गाने अब भी सुने जाते हैं। ख़ुशी मिलती है कि डांस शोज़ में, इंडियन आइडल जैसे शोज़ में अभी भी लोग मेरे गाने गाते हैं। वह कहती हैं कि मुझे लगता है कि लोग मेरी आवाज़ को पसंद इसलिए करते हैं आज भी, क्योंकि मैंने कभी किसी की नकल नहीं की। अपनी पहचान खुद बनायीं। श्वेता आगे कहती हैं कि आजकल के सारे गाने एक से ही लगते हैं। जबकि एक फ़िल्म में तीन-तीन अलग-अलग म्युज़िक निर्देशक होते हैं, फिर भी आपको लगता ही कि आप एक ही को सुन रहे हैं। हमलोग ओरिजिनल थे। श्वेता का मानना है कि हमारे देश में प्रोब्लम यह है कि रियलिटी शो से लोग ओवर नाईट स्टार बन जाते हैं, जबकि यह सही नहीं है। चूंकि रियलिटी शो के बाद कुछ ही महीनों बाद स्टार बनने का एक प्रेशर आ जाता है तो फिर उनका फोकस पूरी तरह बदल जाता है। ये लोग यंग और नादान होते हैं और वह समझ नहीं पाते कि यह बहुत हार्ड बिजनेस है। अब सब एक जैसा हो गया है कि कोई एक सिंगर चल रहा है तो बस उसी से सारे गाने गवा लो। पहले लोग रिस्क लेते थे। अमेरिका में उल्टा होता है, अमेरिका में जो रिस्क लेते हैं वही सुपरहिट होते हैं। श्वेता ने बताया कि उन्होंने पिछले साल राजस्थानी म्यूज़िकल प्रोजेक्ट ‘रेत’ पर काम किया था जिसे वो अब फिर से आगे बढ़ाना चाहती हैं।

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जर्मनी में जारी था सिंगिंग का सफर

श्वेता बताती हैं कि जब उन्होंने सिंगिंग से ब्रेक लिया था, तब वह निजी जिंदगी में व्यस्त हो गई थीं। वह कहती हैं कि मैं जर्मनी में हैमबर्ग में रहने लगी थी, 20 साल से वहां थी, क्योंकि मेरी शादी एक जर्मन के साथ हुई थी। लेकिन फिर हम दोनों तलाक के बाद अलग हो गए थे। उस वक़्त मैं जर्मनी में योग सिखाती थी। मेरा वहां संस्थान था योग का। मैं वहां उन लोगों की मदद करती थी जो लोग किसी बीमारी से ग्रसित रहते थे और मुझे ख़ुशी है कि मैं योग के माध्यम से इतने सारे लोगों की मदद कर पायी। श्वेता बताती हैं कि लोगों को इस बात को लेकर ग़लतफहमी है कि मैंने म्युज़िक पूरी तरह से छोड़ दिया है। लेकिन सच यह है कि वहां रहते हुए भी मैंने म्युज़िक को लेकर काम किया है। सारा ब्राईटमैन के साथ वहां काफी काम किया। सारा ब्राईटमैन लोकप्रिय सिंगर हैं, जिन्होंने कई भाषाओँ के गाने में काम किया है। यही नहीं मैंने जर्मन डीजे के साथ भी काफी काम किया है। श्वेता ने बताया कि वह पिछले दो सालों से मुंबई में हैं और अब वह लोगों को बताना चाहती हैं कि वह हमेशा के लिए मुंबई आ गई हैं। यहां भी वह लोगों को योग सिखाती हैं। वह पर्सनल क्लासेज़ देती हैं। श्वेता कहती हैं कि योग की वजह से उन्हें म्युज़िक की साधना में भी हमेशा मदद मिली है। श्वेता कहती हैं कि लोगों को लगता है कि मैं जर्मनी गई थीं और वहां मैंने ये शुरू किया था, जबकि हकीकत यह है कि मेरे पिताजी योगी हैं, और उनके भाई भी योगी थे, जिन्होंने महासमाधि ली थी। तो मेरा माहौल ऐसा रहा है। ऐसा नहीं था कि मैं ग्लैमर वर्ल्ड से अलग हुई तो अचानक से किसी डिप्रेशन का शिकार होकर योग की तरफ रुख किया। ये एक गलतफ़हमी है जिसे मैं दूर करना चाहूंगी। जैसे कि आप वेस्ट में कई बार ऐसा होता है कि लोग ग्लैमर से दूर हो जाते हैं तो आप ड्रग और बहुत सी बुरी चीज में फंस जाते हैं। लेकिन मैं हमेशा से पॉजिटिव चीजों से घिरी रहीं, मैं मेडिटेशन करती थीं। यही वजह है कि मैं आर्क लाइट को मिस नहीं करती हूँ। मैं हैप्पी स्पेस में ही रही हमेशा।

जॉनी जोकर से मिली थी पहली सफलता

श्वेता बताती हैं कि 1993 की बात है, उस वक़्त वह कॉलेज में थीं। वह कहती हैं कि मैं उस समय सेंट जेवियर्स में थीं और अतुल सुब्रमनियम अच्छे दोस्त थे। वह शो किया करते थे। वहां एक शो के दौरान उन्होंने बैक स्टेज पर आकर कहा कि हमलोग हिंदी में एक गाना लेकर आ रहे हैं और हमें आर्टिस्ट की तलाश है। आपकी आवाज मुझे काफी पसंद आई है। आप प्लीज हमारे लिए गाइए। उस वक़्त मैं जैज और रिद्मिक म्युज़िक में अधिक लीन थी। उस वक़्त मुझे लगा कि बाप रे हिंदी गाना कैसे गा पाउंगी। लेकिन मैंने ओके कह दिया। फिर तीन महीने में काम किया। कॉलेज के साथ साथ लन्दन जा कर रिकॉर्डिंग भी कर रही थी। शुरू में मुझे ये गाने बिल्कुल पसंद नहीं आये थे लेकिन, हमने जॉनी जोकर की शूटिंग और रिकोर्डिंग दो दिन में पूरी कर ली थी। फिर वहीं मेरी केन घोष से मुलाक़ात हुई और फिर हम आगे बाकी प्रोजेक्ट्स पर काम करने लगे।

ए आर रहमान के साथ खास रहा सफर

श्वेता कहती हैं कि ये सच है कि ए आर रहमान के साथ तीन फ़िल्मों पर काम करके मैंने काफी सीखा। उन्हें उस वक़्त ‘रोजा’ के गीत ‘रुकमणि रुकमणि’ के लिए अलग तरह की आवाज़ चाहिए थी। उन्होंने मेरा काम देख रखा था तो, उन्होंने मुझे बुलाया। फिर उनके साथ ‘लव यू हमेशा’ और ‘रंगीला’ का गाना ‘मांगता है क्या’ पर काम किया। रहमान बेहद प्रोफेशनल म्युज़िक निर्देशक हैं वह आर्टिस्ट को तब तक निचोड़ते हैं, जबतक उनसे बेस्ट न निकलवा लें। खास बात यह है कि उनके स्टूडियो में गाते हुए ऐसा महसूस होता था कि उनका स्टूडियो स्टूडियो नहीं टेम्पल है। वह उस दौर में भी दुनिया के बेस्ट तकनीक का इस्तेमाल करते थे। श्वेता कहती हैं कि भारत लौटने के बाद उन्होंने ए आर रहमान से संपर्क किया था। रहमान ने उन्हें कहा कि अगर कभी उनके लिए कोई गाना सूझेगा तो वह उन्हें जरूर याद करेंगे।


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