पापा कहते थे बड़ा नाम करेगा, पर वक़्त से पहले गुम हो गये ये स्टार किड्स
स्टार किड्स को लाइट्स कैमरा और एक्शन विरासत में मिलने की वजह से शुरुआती संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ता, मगर अंतिम फ़ैसला तो जनता का होता है, जो अपना हीरो चुनते समय...
मुंबई। बॉलीवुड में जब भी कोई नया स्टार किड अपना करियर शुरू कर रहा होता है तो नेपोटिज़्म यानि भाई-भतीजावाद की बहस तेज़ हो जाती है। 'धड़क' से श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर फ़िल्मी पारी शुरू कर रही हैं। उनका डेब्यू भी अक्सर नेपोटिज़्म की चर्चाओं के केंद्र में रहता है। जाह्नवी इस बात को जानती हैं और समझती भी हैं। इसीलिए अपने हिसाब से इस पर सफ़ाई भी देती हैं।
इसमें कोई शक़ नहीं कि स्टार किड्स को लाइट्स कैमरा और एक्शन विरासत में मिलने की वजह से शुरुआती संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ता, मगर अंतिम फ़ैसला तो जनता का होता है, जो अपना हीरो चुनते समय इस बात को याद नहीं रखती कि फलां एक्टर या एक्ट्रेस किसी सुपरस्टार का बेटा या बेटी है। जो जनता का दिल जीतता है वो ही ज़माना जीतता है।
स्टार किड्स को अपने पेरेंट्स की लेगेसी का बोझ और दर्शकों की अपेक्षाएं पहली ही फ़िल्म से पैकेज के रूप में मिलती हैं और जब ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो दर्शक भी इन्हें ठुकराने में देर नहीं लगाते। ऐसे ही कुछ एक्टर्स, जिन्हें फ़िल्मी दुनिया विरासत में मिली, मगर इस दुनिया में इनकी मौजूदगी 'गेस्ट अपीयरेंस' बनकर रह गयी है। मेहमान की तरह कभी-कभी दिखायी देते हैं और फिर ग़ायब हो जाते हैं। आइए, जानते हैं ऐसे ही एक्टर्स के बारे में, जो नेपोटिज़्म की बहस को ये एंगल देते हैं- Survival Of The Talent.
पुरु राजकुमार: बात एक्टिंग के साथ स्टाइल और डायलॉगबाज़ी की हो तो राज कुमार के सामने शायद ही कोई ठहर सके। उनके बेटे पुरु राजकुमार ने 1996 की फ़िल्म 'बाल ब्रह्मचारी' से बॉलीवुड में क़दम रखा, मगर राज कुमार जैसा असर वो पैदा ना कर सके। आख़िरी बार वो अजय देवगन की फ़िल्म 'एक्शन जैक्सन' में दिखायी दिये थे। उससे चार साल पहले सलमान ख़ान की फ़िल्म 'वीर' में भी पुरु नज़र आए थे।
ज़ाएद ख़ान: अपने दौर के हैंडसम एक्टर-प्रोड्यूसर संजय ख़ान के बेटे ज़ाएद ख़ान ने 2003 की फ़िल्म 'चुरा लिया है तुमने' से फ़िल्मी पारी शुरू की। मगर, ज़ाएद का करियर भी उस तरह शेपअप नहीं हुआ, जैसा एक स्टार किड का होना चाहिए। ज़ाएद का पर्दे पर आना-जाना लगा रहता है। बतौर लीड उनकी आख़िरी फ़िल्म 2015 में आयी 'शराफ़त गयी तेल लेने' है।
राहुल खन्ना: विनोद खन्ना के छोटे बेटे राहुल खन्ना बॉलीवुड में गेस्ट अपीयरेंस ही देते हैं। राहुल की आख़िरी स्क्रीन प्रेजेंस 2014 की फ़िल्म 'फ़ायरफ्लाइज़' है। इससे पहले वो 'लव आज कल' और 'वेकअप सिड' में नज़र आये थे, जो 2009 में रिलीज़ हुई थीं।
लव सिन्हा: शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी फ़िल्मों और पर्सनेलिटी के ज़रिए एक अलग ही मुक़ाम पाया है, लेकिन उनके बेटे लव सिन्हा का करियर पहली फ़िल्म के बाद ही ठहर गया। लव ने 2010 की फ़िल्म 'सदियां' से डेब्यू किया, मगर उनका करियर कुछ साल भी नहीं चला। हालांकि डेब्यू के सात साल बाद लव को जेपी दत्ता की फ़िल्म 'पलटन' मिली, जो इसी साल रिलीज़ हो रही है। यह मल्टीस्टारर फ़िल्म है।
हरमन बावेजा: फ़िल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैरी बावेजा के बेटे हरमन बावेजा ने 2008 में 'लव स्टोरी 50-50' से डेब्यू किया था। इसके बाद वो 2009 में 'व्हाट्स योर राशि' और 'विक्ट्री' में नज़र आये। हरमन को आख़िरी बार 2014 में 'ढिश्कियायूं' में पर्दे पर देखा गया। मगर, इस फ़्लॉप के बाद हरमन अभी तक पर्दे पर नहीं लौटे हैं।
जैकी भगनानी: जैकी भगनानी मशहूर प्रोड्यूसर वाशु भगनानी के बेटे हैं। जैकी ने 2009 की फ़िल्म 'कल किसने देखा' से बतौर हीरो पारी शुरू की। इसके बाद वो 5 फ़िल्मों में और दिखायी दिये। जैकी आख़िरी बार 2015 की फ़िल्म 'वेल्कम टू कराची' में अरशद वारसी के साथ पर्दे पर दिखे। बतौर एक्टर जैकी की स्थिति भी अब बॉलीवुड में मेहमानों जैसी ही है। फिलहाल वो कभी-कभार शॉर्ट फ़िल्मों में दिख जाते हैं।
महाअक्षय चक्रवर्ती: मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा के उन एक्टर्स में शामिल हैं, जिन्होंने अपने टेलेंट से नाम कमाया है। मगर, बेटे महाअक्षय चक्रवर्ती पापा की कामयाबी और शोहरत से बहुत पीछे रह गये हैं। 2008 में महाअक्षय ने जिम्मी से बॉलीवुड में डेब्यू किया। फ़िल्म फ़्लॉप रही और महाअक्षय के स्टार बनने के सपने टूट गये। फिर भी कोशिशें जारी रखीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म इश्क़ेदारियां है, जो 2015 में आयी, मगर महाअक्षय आज भी बॉलीवुड के गेस्ट स्टार ही हैं। हाल ही में महाअक्षय की शादी हुई है और वो हनीमून पर हैं। महाअक्षय एक यौन दुराचार के मामले में भी फंसे हुए हैं।
फ़रदीन ख़ान: फ़िरोज़ ख़ान के बेटे फ़रदीन ख़ान ने 1998 की फ़िल्म प्रेम अगन से बॉलीवुड में डेब्यू किया। शुरू से ही फ़रदीन का करियर वो रफ़्तार नहीं पकड़ सका, जिसकी उनसे उम्मीद थी। फ़रदीन 2010 की फ़िल्म दूल्हा मिल गया में आख़िरी दफ़ा पर्दे पर दिखायी दिये। फ़िलहाल बतौर लीड एक्टर उनकी वापसी की संभावना बहुत कम है। यानि बॉलीवुड में उनकी प्रेजेंस भी मेहमान की तरह हो चली है।