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10th Jagran Film Festival में बोले Anil Kapoor नसीब और मेहनत से मिलती है सफलता

10th Jagran Film Festival में बोलते हुए Anil Kapoor ने कहा कि सही वक्त पर अगर आपके सामने सही इंसान सही रोल लेकर आ जाए तो आपको भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए।

By Rupesh KumarEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 08:13 AM (IST)
10th Jagran Film Festival में बोले Anil Kapoor नसीब और मेहनत से मिलती है सफलता
10th Jagran Film Festival में बोले Anil Kapoor नसीब और मेहनत से मिलती है सफलता

यशा माथुर, नई दिल्लीl दसवें जागरण फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन इंडिया रेट्रोस्पेक्टिव सेशन पर बोलते हुए बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अनिल कपूर ने मेहनत और किस्मत के साथ अपनी सफलता के राज शेयर किए। उन्होंने अपनी फिल्मों से जुड़ी अनकही बातें दर्शकों को बताईं जिनसे अब तक सभी अनजान थे। अपनी पहली फिल्म ‘वो सात दिन’ के बारे में उन्होंने बताया कि इस फिल्म को करने के बाद उनका नाम ‘थैले वाला एक्टर’ पड़ गया था।

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उस समय उनके पास कोई च्वाइस नहीं थी। उन्होंने बताया कि जब मैंने स्क्रिप्टस और रोल देखा तो सोचा कि मैं इसे कैसे कर सकूंगा। उस समय के हीरो लेदर जैकेट पहन कर बाइक पर चलते थे।

मुझे गांव वाले लड़के का रोल करना था। मैं मुंबई का रहने वाला था लेकिन मैं ना करने की स्थिति में नहीं था। मैंने तेलगु और कन्नड फिल्में भी की। उस समय रमेश सिप्पी ने एक फिल्म शतरंज के लिए ऑडिशन दिया। वह फिल्म तो नहीं बनी लेकिन मेरा नाम अखबारों में आ गया। तभी से मेरी यात्रा शुरू हो गई। मैं नया था और मैं ही पहला एक्टर हूं जिसने हरियाणवी सीख कर यह भूमिका निभाई।

यह वर्ष 1983 की बात है और अब 2019 है, 36 साल हो गए इस बात को। अनिल ने कहा कि जब मेरे मन ने हां कहा मैंने फिल्म के लिए हां कह दी। केवल भूमिका को नहीं बल्कि स्क्रिप्ट को भी देखा। मिस्टर इंडिया उनकी सुपर हिट फिल्मी थी। इसके बारे में उन्हों ने बताया कि इसकी कहानी उस समय की है जब सलीम-जावेद साहब साथ थे। बाद में जावेद साहब ने इसकी स्क्रिप्ट पूरी की और यह सच है कि इस फिल्म को अमिताभ बच्चन साहब के लिए लिखा गया था।

पीटर परेरा ने इसके स्पेशल इफेक्ट दिए थे। वे अभी भी जिंदा है। अनिल ने यह भी बताया कि वे अपनी सफलता पर घमंड नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कभी सफल होने की फीलिंग नहीं रखी। मैं हमेशा लेबर क्लास स्ट्र गलर रहा हूं। सुबह बोरी बिस्तर उठाता हूं और काम पर निकल जाता हूं। अनिल ने बताया कि फिल्मा ‘राम लखन’ कब शुरू हुई और कब खत्म हुई पता ही नहीं चला। ‘दिल धड़कने दो’ जावेद साहब के कहने पर की। पहले जब मैं एक बार में एक ही फिल्म करता था तो लोग कहते कि इनके पास काम नहीं है लेकिन मैं किरदार में घुस जाता था। जब 1942 लव स्टोरी की तो युवा दिखने के लिए वजन घटाया।

अनिल ने आगे कहा कि सही वक्त पर अगर आपके सामने सही इंसान, सही रोल लेकर आ जाए तो आपको भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए। अगर ऐसा न हो तो तो आप क्या करेंगे। आपकी मेहनत काम नहीं कर पाएगी। गलत फिल्म और गलत भूमिका आपको आगे नहीं जाने देगी। मैं एक्टिंग से प्याए करता हूं, यह मेरा पैशन है। मैं काम को बहुत एंजॉय करता हूं लेकिन जब तक इसके साथ नसीब का कॉम्बिनेशन नहीं होता मैं इस मुकाम तक नहीं आता। आज भी मेरे पास कुछ न कुछ ऐसा आ जाता है कि मैं एक्साइटेड हो जाता हूं कि यह फिल्म मेरी बेस्ट फिल्म होगी। चाहे फिर वह फिल्म‍ चले न चले।


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