10th Jagran Film Festival: पहले दिन उमड़ा सिनेप्रेमियों का हुजूम, बारिश भी नहीं रोक सकी क़दम
10th Jagran Film Festival अनिल कपूर के वहां पर प्रवेश करते ही सिनेप्रेमियों का हुजूम देखने लायक थे। वे उनके बोले डायलॉग भी जोर-जोर से बोलते नजर आए।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुबह आसमान में काले घने बादल छाए थे। झमाझम बारिश, गर्मी से राहत तो दी पर सड़कों पर जाम का झाम परेशान कर रहा था। लेकिन यह जागरण फिल्म फेस्टिवल के प्रति सिनेप्रेमियों की दीवानगी ही थी जो बारिश और जाम से जूझते हुए भी बड़ी संख्या में सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम पहुंचे।
टिकट बुंकिंग काउंडर के बाहर सिनेप्रेमियों का जमावाड़ा लगा हुआ था। वे सत्र में शिरकत करने वाले कलाकारों, फिल्ममेकरों और निर्माताओं को लेकर आपसी विचार-विमर्श में लगे हुए थे। कोई अनिल कपूर का दीदार करना चाहता था तो कोई फराह खान की बातचीत का सत्र सुनने को बेताब था। अनिल कपूर के वहां पर प्रवेश करते ही सिनेप्रेमियों का हुजूम देखने लायक थे। वे उनके बोले डायलॉग भी जोर-जोर से बोलते नजर आए। फिल्मों को देखने के लिए लिए दिल्ली के अलावा नोएडा, फरीदाबाद और अन्य जगहों से भी लोग आए। समय पर पहुंच जाने के कारण फिल्म और सत्र मिस न होने की खुशी उनकी बातों और चेहरे पर साफ नजर आई।
चरम पर उत्साह सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम के प्रवेश पर द्वार पर लगे फिल्म फेस्टिवल के आयोजन संबंधी बैनर, पोस्टर और होर्डिंग के पास सिनेप्रेमी फोटो खिंचाते और सेल्फी लेते भी नजर आए। फेस्टिवल में बड़ी संख्या में दिल्ली-एनसीआर से बुजुर्ग एवं महिलाएं भी आई थी।
पूर्वी दिल्ली से आए विकास ने बताया कि वह अनिल कपूर के प्रशंसक है। जागरण फिल्म फेस्टिवल में जब अनिल कपूर के आने की जानकारी मिली तो खुद को यहां आने से रोक नहीं पाए। सेशन से पहले फिल्मी गपशप जेएफएफ के पहले दिन हर सेशन के पहले मानों मेला सा माहौल था। दर्शक समय से पहले ही ऑडिटोरियम के बाहर खड़े होकर फिल्म देखने और सत्र शुरु होने का इंतजार करते दिखे।
कई ऐसे भी दर्शक थे जो जागरण फिल्म फेस्टिवल में विगत कई सालों से लगातार आ रहे हैं। कई नवोदित फिल्ममेकर भी अपनी जिज्ञासाओं को लेकर पहुंचे। उन्होंने जागरण फिल्म फेस्टिवल की तारीफ की और कहा कि यह हिंदी सिनेमा को समृद्ध कर रहा है। जुबां पर छाए फिल्मी डॉयलाग ऑडिटोरियम के बाहर हिंदी फिल्मों के डॉयलाग लिखे हुए थे। जिसे पढ़कर दर्शक भी गदगद हुए।
मोगैंबो खुश हुआ, राहुल-नाम तो सुना होगा। तुमसे ना हो पाएगा। आल इज वेल, मेरे पास मां है। एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देते हैं जैसे डॉयलाग ने उन फिल्मों की यादें ताजा की जो किसी समय की सुपरहिट फिल्में रही हैं।