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बंगाल और असम में भाजपा के बड़े चेहरों पर खुद के साथ दो से तीन अन्य सीटें जिताने का भी जिम्मा, जानें रणनीति

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस व दूसरे दलों से आए उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में टिकट देने के बाद कई सांसदों के मैदान में उतारने की भाजपा की कोशिशों को यूं तो योग्य उम्मीदवारों की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन BJP की रणनीति कुछ और है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 07:55 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 07:39 AM (IST)
बंगाल और असम में भाजपा के बड़े चेहरों पर खुद के साथ दो से तीन अन्य सीटें जिताने का भी जिम्मा, जानें रणनीति
असम और बंगाल चुनाव में भाजपा खास रणनीति के तहत काम कर रही है...

नई दिल्ली, जेएनएन। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस व दूसरे दलों से आए उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में टिकट देने के बाद कई सांसदों के मैदान में उतारने की भाजपा की कोशिशों को यूं तो योग्य उम्मीदवारों की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन भाजपा इसे छोटे-छोटे समूह में चुनाव को प्रभावी बनाने की रणनीति के रूप में देख रही है। यह अपने प्रमुख चेहरों को केंद्रित कर उसके आसपास की सीटों को प्रभावित करने की कोशिश है।

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बंगाल में मजबूत की जड़ें 

बंगाल में मुख्य विपक्ष बनने की भाजपा की यात्रा महज तीन-चार साल की गाथा है। जाहिर तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की कमी से जूझती रही थी और ऐसे में दूसरे दलों से चेहरों की कमी पूरी हुई। पिछले वर्षों में भाजपा इस रणनीति पर काम करती रही है और जीतती भी रही है। वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भी यह कवायद रही, हालांकि वहां पहले से ही भाजपा की जड़ें मजबूत थीं।

असम में यह है रणनीति 

असम में तो एजीपी से भाजपा में आए सर्बानंद सोनोवाल महज छह साल के अंदर ही मुख्यमंत्री चेहरा बन गए। ऐसी स्थिति में इस बार जब बंगाल में सत्ता में आने की लड़ाई चल रही है तो भाजपा हर एक सीट पर दांव लगाना चाहती है। लगभग आधा दर्जन सांसदों को भी मैदान में उतारने की रणनीति के पीछे भी यही सोच है। दरअसल पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व के करीब माना जाने वाला बड़ा चेहरा अगर मैदान में होगा तो वह आसपास की सीटों को भी प्रभावित कर पाएगा।

इन बड़े चेहरों के दम पर भाजपा 

अहम बात यह है कि एक तरफ जहां तृणमूल का पूरा चुनाव ममता बनर्जी पर केंद्रित है, वहीं भाजपा का हर बड़ा चेहरा सीधे ममता पर हमला बोलने वालों के रूप में जाना जाता है। नंदीग्राम में जहां सुवेंदु अधिकारी के साथ ममता की आमने-सामने की लड़ाई है, वहीं मुकुल राय, लाकेट चटर्जी, बाबुल सुप्रियो जहां आम बंगाली वोटरों को लुभाएंगे, वहीं स्वपन दास गुप्ता जैसे उम्मीदवार खासतौर पर बंगाली भद्र लोक को संबोधित करेंगे। 

ममता को हर मोर्चे पर घेरने की रणनीति 

माना जा रहा है कि ममता इस बार उत्तर बंगाल की बजाय अपने दूसरे मजबूत क्षेत्रों पर ही पूरा जोर लगाएंगी। ऐसे में भाजपा की पूरी रणनीति यह है कि ममता बनर्जी को हर मोर्चे पर घेरा जाए। अलग-अलग क्षेत्रों से सीधे ममता से सवाल पूछे जाएं और इस क्रम में बड़े लोकप्रिय चेहरे अपनी सीट के साथ-साथ दो से तीन अन्य सीटें जिताने में भी मदद करें।


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