उत्तराखंड असेंबली इलेक्शन: अहम होंगी प्रदेश की मैदानी सीटों की भूमिका
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में सूबे की 70 सीटों में मैदानी जिलों हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में ही 20 सीटें हैं। देहरादून जिले की 10 सीटों में से आठ मैदानी प्रकृति की हैं।
By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 10 Mar 2017 11:42 AM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 04:00 AM (IST)
देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: उत्तराखंड की 70 विधान सभा सीटों में से 36 सीटें जीतने वाला दल राज्य में सत्ता पर आसीन होगा। इन 70 सीटों में मैदानी जिलों हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में ही 20 सीटें हैं। इनके अलावा देहरादून जिले की 10 सीटों में से आठ मैदानी प्रकृति की हैं। इन 28 सीटों का समीकरण काफी हद तक सत्ता की राह निर्धारित करेगा। 2012 में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की 20 सीटों में से भाजपा ने 12 पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस ने पांच और बसपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की। देहरादून की आठ मैदानी सीटों में से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी चार-चार सीटों पर जीते।
इन मैदानी सीटों पर भाजपा ने बढ़त प्राप्त की, लेकिन सत्ता पर आसीन नहीं हो पाई। हालांकि, सीटों और मत प्रतिशत में अंतर बेहद कम था। उत्तराखंड विधान सभा चुनाव 2012 में कांग्रेस को 32 व बीजेपी को 31 सीटें मिलीं थीं। मत प्रतिशत का अंतर महज 0.66 फीसद का था। इस चुनाव में भाजपा की कोशिश रही कि मैदानी सीटों पर वर्चस्व बरकरार रखते हुए पर्वतीय सीटों में वृद्धि की जाए।
इसके लिए तमाम रणनीति भी अपनाई गई। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2012 में सबसे बड़ा दल होने के चलते कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिला और बसपा व निर्दलीयों के साथ लेकर कांग्रेस ने सत्ता संभाली। इसके बाद दो उपचुनावों में कांग्रेस ने ऊधमसिंहनगर में भाजपा की एक सीट कम कर जीत दर्ज की, वहीं हरिद्वार में बसपा की सीट पर कब्जा किया।
2017 में भी इन 28 सीटों पर जीत हार काफी हद तक सत्ता की राह तय करेगी। इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद दोनों जिलों से एक-एक सीट पर चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों मैदानी जिलों और देहरादून की सात सीटों के समीकरण कहीं न कहीं सत्ता पाने की राह आसान करेंगे। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इन 28 सीटों पर ताकत झोंकी है। ऐसे में 42 पर्वतीय सीटों के समीकरण इन 28 सीटों से प्रभावित होंगे।
मतदान प्रतिशत की बात करें तो दोनों मैदानी जिले सर्वाधिक मतदान के मामले में भी बीते चुनाव की तरह इस बार भी सबसे आगे हैं। इन सीटों पर तमाम दिग्गजों की इज्जत भी दांव पर लगी है। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत करीब आधा दर्जन मंत्री इन सीटों पर चुनाव मैदान में हैं।
इनके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने इस सीटों पर ताकत झोंके रखी। कांग्रेस की ओर से भी इन सीटों पर पूरी ताकत लगाई गई है। चुनाव में जीत को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। हालांकि, असल तस्वीर तो 11 मार्च को ही साफ हो पाएगी।
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