उत्तराखंड: हाईकमान को जवाब देने के लिए होमवर्क में जुटी कांग्रेस
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी हाई कमान को जवाब देने के लिए समीक्षा में जुट गई है। इसमें हार के तमाम कारणों पर मंथन होगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य की चौथी विधानसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्र्रेस को पहली बार इस कदर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। स्थानीय स्तर पर इस हार की समीक्षा की मांग कार्यकर्ता कर रहे हैं।
इसके साथ ही केंद्रीय नेतृत्व भी हार के कारणों की समीक्षा करेगा। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मिल रहे ऐसे संकेतों को देखते हुए प्रांतीय नेतृत्व ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस की हार के तमाम कारण रहे। इनको लेकर अलग-अलग धड़ों की अलग-अलग राय भी है। हार का ठीकरा किस के सिर फोड़ा जाए, इसे लेकर कांग्रेस में अभी दबी जुबान ही चर्चा हो रही है, लेकिन जल्द हार की समीक्षा के आसार नजर आ रहे हैं।
इसके बाद स्थिति सिर फुटौव्वल की भी आ सकती है। दरअसल, राज्य में कांग्रेस सरकार और संगठन के बीच की तनातनी और दूरी जग जाहिर थी। इसे लेकर खुले मंचों से भी तमाम मौकों पर सरकार और संगठन की ओर से आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जाते रहे।
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टिकटों के बंटवारे से लेकर प्रचार की रणनीति तक में यह खाई साफ नजर आई। सभी इसे हार के बड़े कारण के तौर पर देख भी रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि हाईकमान के सामने क्या इसे हार के कारण के रूप में रखा जाएगा, शायद नहीं।
ऐसे में उत्तराखंड कांग्रेस अब ऐसी तैयारी में लगी है कि हार की समीक्षा भी हो जाए और सिर फुटौव्वल की नौबत भी न आए। हार के कारणों की बात करें तो कांग्र्रेस भितरघात, बगावत और नोटबंदी को हार के कारणों के तौर पर देख रही है।
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मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय तक भाजपा पर धनबल के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। इसे नोटबंदी से भी जोड़ा गया। कांग्र्रेस इसे भी हार के आधार के रूप में हाईकमान के सामने रखेगी।
इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि हार के लिए सीधे तौर पर आपसी विवादों को सामने लाने से बचा जाए और भाजपा द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त, सरकार गिराने की कोशिश जैसे मुद्दों को हार के कारण के तौर पर पेश किया जाए। कांग्रेस संगठन के स्तर पर और कार्यवाहक सीएम हरीश रावत के स्तर पर भी हार की समीक्षा में रखे जाने वाले बिंदुओं पर काम किया जा रहा है।
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