उत्तराखंड विधानसभा चुनावः डेढ़ दर्जन सीटों को लेकर संशय में कांग्रेस
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में डेढ़ दर्जन सीटों पर कांटे के मुकाबले के अंदेशे से कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें अंदरखाने बढ़ी हुई हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: कांग्रेस प्रदेश में अपनी सरकार बनने का दावा तो कर रही है, लेकिन डेढ़ दर्जन सीटों पर कांटे के मुकाबले के अंदेशे से पार्टी की मुश्किलें अंदरखाने बढ़ी हुई हैं। पिछले चुनाव में इनमें से अधिकतर सीटों पर पार्टी ने बहुत कम मतों के अंतर से जीत प्राप्त की तो कई सीटें कुछ मतों के अंतर से ही गवां दीं थी।
टीवी चैनलों के एग्जिट पोल के दावे कुछ भी हों, लेकिन कांग्रेस का आकलन है कि राज्य में उसकी सरकार बनने जा रही है। पार्टी ये मानकर चल रही है कि उसकी मौजूदा सरकार के साथ जनता की सहानुभूति चुनाव नतीजे के रूप में उसके पक्ष में नजर आएगी।
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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में इस दावे के बावजूद कांग्रेस अंदरखाने बेचैन है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत में आने के लिए कई विधानसभा सीटें बाधक बन गई थीं। ऐसी तकरीबन डेढ़ दर्जन सीटें पार्टी आंक रही है।
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पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बेहद कम मतों के अंतर से कई सीटें गंवा दी थीं। ये नौबत इस बार नहीं आएगी, इसे लेकर पार्टी आश्वस्त नहीं है। मतदान के बाद तमाम हालात पर विचार करने के बाद पार्टी को डर के साथ ही ये उम्मीद भी बंधी है कि इस बार जीत का परचम वह लहराएगी, भले ही जीत का अंतर कम मतों से रह जाए।
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इन सीटों में कर्णप्रयाग सीट भी है, जिसके लिए मतदान गुरुवार को हुआ। पिछले चुनाव में पार्टी महज 227 मतों से ही सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी। नरेंद्रनगर, रायपुर, प्रतापनगर, थराली, रुड़की, रुद्रप्रयाग, कपकोट, अल्मोड़ा, डोईवाला सीटों पर पार्टी की जीत का अंतर कम ही रहा। वहीं देवप्रयाग, टिहरी, मंगलौर सीटें कांग्रेस ने निर्दलीयों व बसपा के हाथों कम मतों से गवां दी थीं।
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रानीखेत सीट पर भाजपा के हाथों कम मतों से पराजय का दर्द कांग्रेस को सालता रहा है। पार्टी को इन सीटों में अधिकतर में फिर हार-जीत का अंतर बेहद कम रहने का अंदेशा है। इस वजह से इन सीटों पर जीत मिलेगी, इसे लेकर पार्टी पूरी तरह निश्चिंत नजर नहीं आ रही है। इनमें से कुछ ही सीटें हैं, जिन पर पार्टी को जीत का भरोसा है।
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मतदाताओं ने इस बार फीडबैक को लेकर जिसतरह चुप्पी दिखाई है, उससे पार्टी के रणनीतिकार कम मतों के अंतर से हार-जीत के फैसले की जद में आने वाली सीटों की संख्या बढ़ने का अंदेशा भी जता रहे हैं।
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