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यूपी विधानसभा चुनावः कौन तोड़ेगा आखिरी चरण का चक्रव्यूह

पिछले विधानसभा चुनाव में 40 में से 23 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी को अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो भाजपा और बसपा के लिए खुद को बेहतर साबित का मौका है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 08 Mar 2017 10:53 AM (IST)Updated: Wed, 08 Mar 2017 01:31 PM (IST)
यूपी विधानसभा चुनावः कौन तोड़ेगा आखिरी चरण का चक्रव्यूह
यूपी विधानसभा चुनावः कौन तोड़ेगा आखिरी चरण का चक्रव्यूह

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। अंतिम चरण में सिर्फ 40 सीटों पर चुनाव होना है लेकिन, राजनीतिक दलों ने सबसे अधिक ताकत यहीं झोंकी है। नेताओं का सबसे अधिक मेला भी यहीं रहा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी में डटे रहे। उनके संसदीय क्षेत्र पर सभी की निगाहें रहेंगी।

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वाराणसी और मीरजापुर मंडल में बुधवार को होने जा रहे मतदान में कई बड़े चेहरों की परीक्षा होनी है। इसमें जहां सपा सरकार के मंत्री पारसनाथ यादव, सुरेंद्र पटेल, शैलेंद्र यादव 'ललई और कैलाश चौरसिया का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में मतदान पर सबकी निगाहें लगी रहेंगी। चुनावी गठबंधनों की परीक्षा के साथ बाहुबलियों के दमखम का आकलन होगा। केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, मनोज सिन्हा, महेंद्र नाथ पांडेय और अनुप्रिया पटेल का भी इम्तिहान होगा। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह भी अपने बेटे अनुराग को विधायक बनाने की कोशिश में है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कमलापति त्रिपाठी परिवार की सियासी पकड़ भी ललितेशपति त्रिपाठी के चुनाव में परखी जाएगी।

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पिछले विधानसभा चुनाव में 40 में से 23 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी को अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो भाजपा और बसपा के लिए खुद को बेहतर साबित का मौका है। वर्ष 2012 में बहुजन समाज पार्टी ने पांच, भारतीय जनता पार्टी ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटें जीती थीं। अपना दल और कौमी एकता दल के खाते में एक-एक सीट गई थी, वहीं तीन निर्दल प्रत्याशी भी विजयी हुए थे।
वीवीआइपी चुनावी क्षेत्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने संसदीय क्षेत्र में भाजपा की फतेह सुनिश्चित कराने के लिए अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ी। वहीं, विपक्षी दलों ने भी प्रधानमंत्री मोदी को उनके संसदीय क्षेत्र में घेरने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साझा रोड शो करके व अलग अलग जनसभाओं के जरिए माहौल बनानेे की कोशिश की। उधर, बसपा प्रमुख मायावती ने भी बड़ी सभाएं संबोधित करके अपनी सीटों का आंकड़ा बढ़ाने को पसीना बहाया। अंतिम चरण का मतदान होने के कारण सभी पार्टियों के नेताओं का जमघट यहां पर रहा।

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चुनावी गठजोड़ की परख : सपा-कांग्रेस गठबंधन के अलावा भाजपा भी अपना दल (एस) व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसे स्थानीय दलों को साथ में लिया। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी कौमी एकता दल का विलय कराने में ही बेहतरी समझी। इसके अलावा निषाद पार्टी और अपना दल (कृष्णा गुट)भी मिलकर चुनाव लड़ रहे है। सातवें चरण में गठबंधन के सियासी गणित का रिजल्ट भी सामने आएगा।
बाहुबलियों का पावर गेम : सातवें चरण में कई बाहुबली भी सियासी अपने दमखम को आजमाने उतरे हैं। जेल में बंद बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे सुशील के मुकाबिल श्यामनारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह डटे हैं। वहीं, बाहुबली मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह मडिय़ाहूं सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व सांसद धनंजय सिंह मल्हनी सीट पर निषाद पार्टी से उम्मीदवार बने हैं। उधर बाहुबली विधायक विजय मिश्र ज्ञानपुर से व पूर्व सांसद उमाकांत यादव ने अपने पुत्र दिनेशकांत को शाहगंज सीट पर रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ाकर दमखम दिखाने की ठानी है। मुख्तार अंसारी को भाई सिगबतुल्ला अंसारी को फिर विधायक बनाने का सवाल है। अब जनता बाहुबलियों को अपनी ताकत का अहसास कराएगी।

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बागियों का असर : सातवें चरण में सभी प्रमुख दल बागियों से आहत है। सपा को कुनबे की कलह से खतरा है तो भाजपा में टिकट बंटवारे का बवाल बना था। जिस पर काबू करने के लिए अनुशासन की तलवार भी चलानी पड़ी। अब देखना है भाजपा में बुजुर्ग विधायक श्यामदेव राय चौधरी के अलावा कुछ अन्य नेताओं की नाराजगी को शांत करने की कोशिशें कितनी कारगर होगी? अपना दल जैसी स्थानीय पार्टी में विरासत की जंग है। मां और बेटी में बंटे अपनादल के दोनों गुटों में असली वारिस भी जनता तय करेगी।
पर्दे के पीछे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिष्ठा सीधे तौर से दांव है। राजनाथ सिंह को गृह क्षेत्र में बेहतर कर के दिखाना होगा। वहीं प्रदेश सरकार में मंत्री पारसनाथ के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव खुद जनसभा करने पहुंचे। पूरे चुनाव में मुलायम सिंह यादव की यह चौथी सभा थी। देखना है कि पारसनाथ के पक्ष में मुलायम की यह सभा कितनी कारगर होगी? 

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