यूपी विधानसभा चुनावः आज है सियासी घरानों के दमखम की परख
तराई और पूर्वी क्षेत्र के तीन मंडलों फैजाबाद, देवीपाटन व बस्ती में वोट डाले जाएंगे। इस चरण के चुनाव में जातीय समीकरणों के संग रजवाड़ों और सियासी घरानों का दमखम परखा जाएगा।
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। 17वीं विधानसभा गठन के लिए पांचवें चरण में सोमवार होने वाला मतदान पहले चार चरणों से कुछ अलहदा माना जा रहा है। तराई और पूर्वी क्षेत्र के तीन मंडलों फैजाबाद, देवीपाटन व बस्ती में वोट डाले जाएंगे। इस चरण के चुनाव में अगड़ा-पिछड़ा व दलित-मुसलमान जैसे जातीय समीकरणों के संग रजवाड़ों और सियासी घरानों का दमखम परखा जाएगा। पांचवें चरण के इस चुनाव में नब्बे के दशक की राजनीतिक केंद्र बिंदु रही अयोध्या का फैसला होना है वहीं कांग्रेस के गढ़ अमेठी का सियासी मूड भी भांपा जाएगा। अखिलेश सरकार के नौ मंत्रियों सहित कुल 607 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। एडीआर के अनुसार हर पांचवें प्रत्याशी पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। गत विधानसभा चुनाव में समाजवादी बढ़त में निर्णायक भूमिका निभाने वाले इन क्षेत्रों से सपा की उम्मीदें फिर लगी हैं। वहीं बसपा, भाजपा व कांग्रेस जैसी पार्टियां कुछ ज्यादा कर दिखाने की होड़ में हैं।
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दांव पर दिग्गज : राज्य सरकार के जिन नौ मंत्रियों के कामकाज पर सोमवार को जनता की मुहर लगनी है, उसमें अमेठी सीट पर गायत्री प्रजापति, अकबरपुर से राममूर्ति वर्मा, तरबगंज क्षेत्र से विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह, मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद, अयोध्या से तेजनारायण उर्फ पवन पांडेय, जलालपुर से शंखलाल मांझी, मटेरा सीट पर यासर शाह, महादेवा सुरक्षित क्षेत्र से रामकरन आर्य तथा गैंसड़ी सीट से शिव प्रताप यादव शामिल हैं। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बसपा प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर, पीस पार्टी मुखिया डॉ. अय्यूब, पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह व योगेश प्रताप सिंह, बसपाकाल में मंत्री रहे लालजी वर्मा, कप्तानगंज से पांच बार विधायक रहे रामप्रसाद, बांसी से जयप्रताप सिंह, बस्ती से जितेंद्र कुमार जैसे नेताओं के भाग्य का फैसला होगा।
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विरासत की सियासत : सियासी विरासत के कई अहम फैसले सोमवार को जनता के हाथ होने है। अमेठी राजघराने में दो रानियों अमिता सिंह (कांग्रेस) और गरिमा सिंह (भाजपा) की चुनावी जंग में विवादित रहे मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी उलझे हैं। इस सीट पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राज्यसभा सदस्य संजय गांधी के साथ सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। कांग्रेस प्रत्याशी अमिता सिंह सांसद संजय सिंह की दूसरी पत्नी, जबकि भाजपा उम्मीदवार गरिमा उनकी पहली पत्नी हैं। उधर, मंत्री गायत्री प्रसाद को मुलायम सिंह का बेहद करीबी माना जाता है। सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बीकापुर क्षेत्र से रालोद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व.मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी शोभा वती भाजपा उम्मीदवार बनी हैं। पूर्व सांसद भालचंद्र के पुत्र सुबोध खलीलाबाद से, रिजवान जहीर की बेटी जेबा- तुलसीपुर, विधायक रामंचद्र चौधरी के पुत्र अंगद कादीपुर सीट से मैदान में हैं। गोंडा जिले में विरासत की जंग कम रोचक नहीं। सदर सीट पर सांसद ब्रजभूषण के पुत्र प्रतीकभूषण और मंत्री पंडित सिंह के भतीजे सूरज सिंह के बीच मुकाबला है।
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दागियों का दमखम : एडीआर के अनुसार चुनाव मैदान में मौजूद 117 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है। इसमें से 96 उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण व महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं। इन दागियों में भाजपा से 21, बसपा से 23, रालोद से आठ, सपा से 17 व कांग्रेस से तीन और 19 निर्दलीय प्रत्याशी हैं।
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गठबंधन का इम्तिहान भी : पांचवें चरण में गठबंधन की परीक्षा भी होगी। गठबंधन होने के बावजूद अमेठी समेत कई सीटों पर कांग्रेस व सपा के उम्मीदवार आमने सामने डटे हैं। इसी क्रम में भाजपा व अपना दल का गठजोड़ में वोट स्थानांतरण भी परखा जाएगा। सुलतानपुर में सांसद वरुण गांधी की नाराजगी के नुकसान का आकलन भी भाजपाई करेंगे। पीस पार्टी का छोटे दलों से तालमेल का असर भी देखा जाएगा। इस चरण में बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, अमेठी और सुलतानपुर में से आलापुर सीट को छोड़कर 51 स्थानों पर चुनाव होगा। सपा प्रत्याशी चंद्रशेखर कनौजिया के निधन के कारण अब यहां नौ मार्च होगा। पांचवें चरण में 52 सीटों में से 37 पर वर्ष 2012 सपा ने जीत हासिल की थी। भाजपा और कांग्रेस को पांच-पांच सीटें व बसपा को तीन और पीस पार्टी को दो सीटें मिली थीं। श्रावस्ती, बलरामपुर, सुलतानपुर और अंबेडकरनगर में सभी सीटें समाजवादी के कब्जे में थी।
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छोटे दलों पर भी निगाहें : इस मतदान में छोटे दलों पर नजर रहेगी। पश्चिमी उप्र की पार्टी कहे जाने वाले राष्ट्रीय लोकदल का इन जिलों में बड़ा दांव है। खासकर सुलतानपुर और बस्ती जैसे जिलों में रालोद प्रमुख अजित सिंह की सभाओं में भीड़ को सुखद मान रहे रालोद नेता पूर्वांचल में उलटफेर का दावा कर रहे हैं। वहीं गत चुनाव में चार सीटें जीत कर चौंकाने वाले पीस पार्टी के मुखिया डा. अय्यूब को इस चरण से ही बेहतरी की उम्मीद है। डा. अय्यूब खुद खलीलाबाद और उनके पुत्र मेहंदावल से उम्मीदवार हैं।
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अमर्यादित सियासी बोल : पांचवें चरण में चुनावी माहौल बनाने के लिए सभी प्रमुख दलों के नेताओं से भाषणों में मर्यादाओं को लांघने से भी गुरेज नहीं किया। कुल 1.84 करोड़ मतदाताओं में से महिलाएं 96 लाख हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहराइच रैली में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर गधे की टिप्पणी का करारा जवाब दिया। अयोध्या की जंग में भी कड़वे बोलों की होड़ रही। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 'कसाब के जरिए 'क से कांग्रेस, 'स से सपा और 'ब से बसपा समझाने पर पलटवार करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अमित शाह को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि शाह से बड़ा कसाब यानी आतंकी नहीं हो सकता। उधर, अखिलेश भी 'कसाब वाली टिप्पणी पर जवाब देना नहीं चूके। उन्होंने कहा कि कसाब के 'क से मतलब 'कबूतर और इस चुनाव में जनता भाजपा का कबूतर उड़ा देगी। उधर, राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ी टिप्पणी करने में कमी नहीं छोड़ी।
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