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Loksabha Election 2019 : यक्ष प्रश्‍न - पूर्वांचल में खेल के साथ कब तक होता रहेगा खेल

पूर्वांचल में खेल के प्रति उपेक्षात्मक रवैया यह कि इसे आज तक किसी भी राजनीतिज्ञ या उनके दल ने कभी चुनावी एजेंडे में शामिल नहीं किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 08:41 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 08:45 AM (IST)
Loksabha Election 2019 : यक्ष प्रश्‍न - पूर्वांचल में खेल के साथ कब तक होता रहेगा खेल
Loksabha Election 2019 : यक्ष प्रश्‍न - पूर्वांचल में खेल के साथ कब तक होता रहेगा खेल

वाराणसी [ कृष्ण बहादुर रावत]। टेलीविजन स्क्रीन पर जब आप किसी खिलाड़ी को सम्मानित होते देखते हैं तो निश्चित तौर पर गौरवान्वित महसूस करते होंगे। महत्वपूर्ण पहलू यह कि उस खिलाड़ी को सम्मानित करने वाले नेता व मंत्री होते हैं। उस दौरान वह भी बहुत गर्व महसूस करते हैं। लेकिन, दुर्भाग्य यह कि खेल को आगे बढ़ाने की दिशा में राजनीतिज्ञों ने कोई ठोस पहल नहीं की है। खेल के प्रति उपेक्षात्मक रवैया यह कि इसे आज तक किसी भी राजनीतिज्ञ या उनके दल ने कभी चुनावी एजेंडे में शामिल नहीं किया। वैसे देखा जाए तो पूर्वांचल की धरती से खेल के मैदान में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी निकले हैंं। आश्चर्यजनक यह कि वाराणसी के विधायक नीलकंठ तिवारी प्रदेश के खेल मंत्री भी हैं। लेकिन उन्होंने भी खेल की दुनिया में पूर्वांचल के लिए कुछ नहीं किया। पूर्वांचल के अन्य जिलों में खेल सुविधाओं की तस्वीर बेहद बदसूरत है। 

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वाराणसी के अब तक दर्जनों खिलाड़ी ओलंपिक खेलों, विश्व कप, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडलीय खेलों में भारत का परचम लहरा चुके हैं जिनमें दिवंगत गुलजारा सिंह, चिक्कन पहलवान, मोहम्मद शाहिद, विवेक सिंह के अलावा संजय राय, राहुल सिंह, संजीव सिंह ने ओलंपिक खेलों में, वल्‍र्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीलू मिश्रा, विश्व कप हॉकी में ललित और नीतिन व एशियाई व राष्ट्रमंडलीय खेलों में प्रशांति सिंह, दिव्या सिंह, आकांक्षा सिंह, पूनम यादव और स्वाति सिंह ने बनारस का परचम लहराया। यदि हम खेल की सुविधाओं पर नजर डालें तो उनकी दुर्दशा की तस्वीर खुद सामने आ जाती है।  

वाराणसी जिले में डा. भीमराव आंबेडकर क्रीड़ा संकुल, बड़ा लाल और डा. संपूर्णानंद स्पोटर्स स्टेडियम सिगरा में प्रदेश सरकार कई खेलों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। बीएचयू में कई बड़े खेल मैदान हैं। इसके अलावा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, यूपी कालेज, ओलंपिन विवेक सिंह मिनी स्टेडियम शिवपुर व डीएवी कालेज में भी खेल के मैदान व उपकरण मौजूद हैं। लेकिन, उनका हाल किसी से छिपा नहीं है।

चंदौली जिले का हाल तो बद से बदतर है। वहां अब भी खेल की योजनाएं कागज तक ही सीमित हैं। चार वर्ष पूर्व दो बार प्रस्ताव गया जिसे मंजूरी भी मिली लेकिन, जमीन फाइनल नहीं हो सकी। इस वर्ष स्टेडियम के लिए पुन: प्रस्ताव भेजा गया है। जमीन मद्धुपुर में फाइनल हो गई है। वर्तमान में खेल मैदान के नाम पर महेंद्र टेक्निकल और रेलवे इंटर कालेज का ही मैदान है। यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। मसलन अंडर-16 वालीबाल बालिका टीम में रीता मौर्या नेशनल लेबल पर और शिवानी सिंह सीनियर टीम में स्टेट लेबल पर खेल चुकी हैं।

मऊ में भी एक बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला हाकी खिलाड़ी पूनम सिंह, निशा सिंह, रश्मि सिंह हैं तो अंतरराष्ट्रीय पुरुष हाकी खिलाड़ी में सुनील यादव, मजहर कमाल अपना जौहर दिखा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में भी रामप्यारे यादव, संतोष यादव, सुनील सिंह दांव लगाकर बड़े से बड़े पहलवानों को चित कर चुके हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल में सचिन भारद्वाज, उच्च्वला भारद्वाज, विजय सिंह, विनय कन्नौजिया एशियाड गेम्स में प्रतिभाग कर चुके हैं। वालीबाल अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मिथिलेश कुमार सिंह व वेट लिफ्टिंग में विवेक सिंह कामनवेल्थ गेम्स में हुनर दिखा चुके हैं। एथलेटिक्स में बहादुर प्रसाद तो एशियन गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं। वह ओलंपिक में भाग ले चुके हैं। उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। श्याम बिहारी यादव, रामानंद राजभर भी इस क्षेत्र में नाम रोशन किए हैं। आइपीएल क्रिकेट में कामरान खान तो अंतरराष्ट्रीय बास्केट बाल प्रतियोगिता में त्रिदीप राय अपना जलवा दिखा चुके हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले खिलाडिय़ों में हाकी खिलाड़ी मनीष यादव जूनियर भारतीय टीम में प्रशिक्षणरत हैं। वहीं महिला हाकी में विनम्रता यादव, अर्चना राजभर जूनियर भारतीय टीम में प्रशिक्षणरत हैं। कुश्ती में अरुण यादव व अनिल यादव अपना स्थान बना चुके हैं। लेकिन, दुर्भाग्य देखिए कि यहां का खेल मैदान डा. भीमराव आंबेडकर स्पोट्र्स स्टेडियम को उतनी सुविधा नहीं मिली है जितने यहां से प्रतिभाशाली खिलाड़ी पैदा हुए हैं। जिले में खेल मैदानों की कमी के साथ ही साथ कोच की कमी भी है। हाकी एस्ट्रोटर्फ, तरणताल एवं सिंथेटिक ट्रैक, वेट लिफ्टिंग हाल, जिम्नास्टिक हाल के प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चले गए हैं। 

गाजीपुर जिला खेल प्रतिभाओं का खान है। यहां अंतरराष्ट्रीय पहलवान त्रिलोकी यादव, अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर अमित राय, अंतरराष्ट्रीय वालीबाल खिलाड़ी रजी अहमद को कौन भूल सकता है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय, अजीत पांडेय, राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी राजकुमार पाल, अंतरराष्ट्रीय वालीबाल खिलाड़ी अनन्या राय, अंतरराष्ट्रीय बेसबाल खिलाड़ी संगीता यादव, राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी ऋषिता राय व  ऋषि राय तथा राष्ट्रीय स्तर के 22 तीरंदाज हैं। इतना सब कुछ के बाद भी दुखद यह कि जिले में खेल के मैदान, योग्य कोच की अनुपलब्धता है। जिले में नेहरू स्टेडियम व पीजी कालेज का खेल मैदान अपनी दुर्दशा की कहानी चीख-चीख का बता रहा है। वैसे यहां सरकारी प्रयास धरातल पर उतरता दिख रहा है। मसलन आरटीआइ मैदान में पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है।

बलिया भी खेल प्रतिभा से भरपूर है। यहां राष्ट्रीय स्तर पर पूर्व में कुश्ती खिलाड़ी चन्द्रभान सिंह सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। वहीं हाकी में शतानंद व अतहर अली अपना जलवा बिखेर चुके हैं। फुटबाल में गिरधर, मुन्नम सिंह, झुन्नम सिंह, जनार्दन सिंह, मुहम्मद अफरोज, अरविंद सिंह, आजाद अंसारी, संतोष कुमार व कमाल अख्तर ने संतोष ट्राफी में अपना हुनर दिखा चुके हैं। वहीं एथलेटिक्स में रीता, ओंकार पांडेय नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडलिस्ट हैं। सतेन्द्र सिंह, वीना सिंह व शालिनी शर्मा भी अपने-अपने जौहर दिखा चुके हैं। कबड्डी में फिरोज गांधी, बैडमिंटन में गुरुशरण वर्मा, अभय श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, रंजना सिंह प्रमुख हैं। क्रिकेट में विजेन्द सिंह, संजीव मिश्र व अजित सिंह बाबू व खोखो में प्रीति गुप्ता, मृगेन्दु राय तथा अंजू वर्मा अपने हुनर का प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में खोखो के राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों में अंजली यादव, पूजा पांडेय, अजित वर्मा तथा पवन कुमार शामिल हैं। जिले में सुखपुरा, सागरपाली तथा विसौली में मिनी स्पोट्र्स स्टेडियम बने हैं। लेकिन, इनका हाल बहुत बुरा है।  वैसे जिला मुख्यालय पर वीर लोरिक स्पोट्र्स स्टेडियम तथा सिकन्दरपुर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा पुर में स्पोटर्स कालेज निर्माणाधीन है।

सोनभद्र में भी प्रतिभाएं हैं। हॉकी में स्वदीप श्रीवास्तव, ईश्वर प्रसाद, सत्यपाल यादव, जयदीप डे, नितेश, हरिकेश प्रताप, आलोक वीसी, अरुण शर्मा व उत्तर कुमार काफी नाम कमा चुके हैं। एथलेटिक्स में रमेश यादव, अरविंद यादव, आलोक शर्मा क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं।

वहीं वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले कई खिलाड़ी हैं। तीरंदाजी के नीरज, इंद्र कुमार, रजनीश कुमार, सीमा, दृष्टि, जीनत आरा, सगुप्ता, आंचल और हॉकी में महिमा चौधरी, यूपी के पूर्व कैप्टन शिवाकांत, अमरजीत यादव, दीप कुमार, मिथिलेश, विष्णु कुमार, रंजना केशरी आदि को मेडल मिल चुका है। क्रिकेट में लव कुमार व तीरंदाजी में विजय कुमार अपना हुनर प्रदर्शित कर रहे हैं। जिले में तीरंदाजी के लिए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान है। यूपी का महिला व पुरुष तीरंदाजी छात्रावास भी जिले के विशिष्ट स्टेडियम में है लेकिन हॉकी के लिए खेल मैदान नहीं है। संसाधनों का भी अभाव है।

जौनपुर में पूर्व खिलाडिय़ों में आइपीएल खेल चुके राहुल शुक्ला व एथलेटिक्स में प्रमोद तिवारी और लक्ष्मण अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं। संदीप व तुलसी यादव जूनियर ग्रीकोरोमन विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता रह चुके हैं। जटाशंकर 1999 में एशियन ट्रैक फील्ड के पदक विजेता हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों में शिखा पांडेय भारतीय महिला क्रिकेट टीम खिलाड़ी तो राधना यादव एथलेटिक्स में जलवा बिखेर रहीं हैं। अमरजीत यादव व रणजीत यादव भारतीय खो-खो टीम के सदस्य हैं। आशीष श्रीवास्तव दिव्यांग भारतीय क्रिकेट टीम कप्तान तो गुलाब निषाद अंडर-19 भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ी हैं। शुभम यादव अंडर 19 अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। जिले में इंदिरा गांधी स्टेडियम व जलालपुर स्थित वनपुरवा स्टेडियम ही है। दोनों की स्थिति बेहतर नहीं है। 

मीरजापुर में पूर्व राष्ट्रीय खिलाडिय़ों में आनंद तिवारी व अखिलेश मिश्रा रणजी खेल चुके हैं। वहीं मोहम्मद तुफैल राष्ट्रीय फुटबाल खिलाड़ी थे अब कोच की भूमिका में हैं। वहीं वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले खिलाडिय़ों में खुशबू जूनियर फुटबाल खिलाड़ी, परवीन बानो फुटबाल खिलाड़ी, निधि सिंह पॉवर लिफ्टर, काजल पटेल पर्वतारोही हैं। श्वेता सिंह व अंजलि सोनकर अंडर-17 फुटबाल टीम में शामिल हैं। जिले में जीआइसी व पालिटेक्निक मैदान ही खेल की प्रतिभाओं को तराशने का काम करतीं हैं। बरकछा पहाड़ी जसोवर के पास स्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा है। 12 वर्ष से यह कार्य अटका पड़ा है। 

आजमगढ़ में भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। पूर्व खिलाडिय़ों में इकबाल अब्दुल्ला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके हैं। वहीं वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले खिलाडिय़ों में दिव्यांग अजय मौर्य एथलेटिक्स में सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुके हैं। अजेंद्र राय बैडमिंटन के अंतरराष्ट्रीय कोच हैं। शिवम शर्मा इंटनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी है। मोहम्मद सरफराज आइपीएल क्रिकेट में खेल रहे हैं।

जिले में मात्र सुखेदव पहलवान स्पोर्टस स्टेडियम है। यह भी बदहाल है। खिलाडिय़ों के हित में सरकारी स्तर पर अभी तक कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया है। इसकी वजह से प्रतिभाएं उपेक्षित हैं। रानी की सराय के तमौली स्टेडयिम का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चल गया है।


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