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Election-2017: गठबंधन में टिकट के पेंच पर प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव को भेजा संदेश

प्रियंका गांधी ने इस संदेश में कहा है कि अखिलेश यादव कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटें कांग्रेस को देकर अपना दिया वादा निभाएं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 28 Jan 2017 10:50 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2017 12:29 PM (IST)
Election-2017: गठबंधन में टिकट के पेंच पर प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव को भेजा संदेश
Election-2017: गठबंधन में टिकट के पेंच पर प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव को भेजा संदेश

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद भी सीटों के लेकर पेंच फंसा है। इस बार गठबंधन में अहम भूमिका अदा करने वाली प्रियंका गांधी एक बार फिर मोर्चा थामने जा रही हैं। एक बार फिर प्रियंका गांधी वाड्रा ने अब प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फिर एक संदेश भेजा है।

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प्रियंका गांधी ने इस संदेश में कहा है कि अखिलेश यादव कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटें कांग्रेस को देकर अपना दिया वादा निभाएं। इससे पहले भी प्रियंका गांधी ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन में अहम भूमिका निभाई थी। प्रियंका गांधी के एक फोन कॉल के बाद ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर अखिलेश यादव ने सहमति दी थी। समाजवादी पार्टी ने अभी तक चार लिस्ट जारी की है जो कि गठबंधन की तय सीटों (298) से ज्यादा है।

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गठबंधन धर्म निभाने की गुजारिश

प्रियंका ने कहा है कि इटावा, एटा, मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ में कांग्रेस ने गठबंधन के वादे के मुताबिक कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है। अब अखिलेश भी अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस की झोली में देकर इस बार के गठबंधन का धर्म निभाएं।

कांग्रेस खेमे में बेचैनी

गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों की लगातार घोषणा कर रही है। जिसकी वजह से कांग्रेस खेमे में बेचैनी साफ देखी जा रही है। कांग्रेस ने 25 जनवरी को रायबरेली के बछरावां विधानसभा से घोषित प्रत्याशी सुशील पासी का टिकट होल्ड कर लिया है। पार्टी का कहना है कि वह रायबरेली संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर एक साथ प्रत्याशियों की घोषणा करेगी।

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अमेठी और रायबरेली की सभी सीटों पर कांग्रेस अपनी दावेदारी ठोक रही है, वहीं समाजवादी पार्टी असमंजस में है। अमेठी से मौजूदा विधायक तथा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति भी चुनाव लडऩा चाहते हैं, जबकि कांग्रेस अमिता सिंह को मैदान में उतारना चाहती है।

सीटों को लेकर झगड़ा

लोकसभा चुनाव (2014) में भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी से कांग्रेस उपाध्यक्ष को मिली कड़ी टक्कर के बाद कांग्रेस पार्टी 2019 से पहले अपने इस मजबूत किले की पुख्ता घेराबंदी करना चाहती है ताकि कोई बड़ा उलटफेर न हो सके। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद कांग्रेस अमेठी की ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने अभी तक चार लिस्ट जारी की है जो कि गठबंधन की तय सीटों (298) से ज्यादा है।ऐसी स्थिति में कई सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार या तो समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे या फिर पार्टी अपने घोषित उम्मीदवारों के नाम वापस लेगी।

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समाजवादी पार्टी ने कल जारी सूची में अपने तीन उम्मीदवार भी बदल दिए. लेकिन अभी तक पार्टी ने अमेठी और रायबरेली जिले के अंतर्गत आने वाली सीटों पर अपना रुख साफ़ नहीं किया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से अमेठी और रायबरेली की ज्यादातर सीटों की मांग की है ताकि वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी जमीन मजबूत कर सके।

दरकने लगा कांग्रेस का किला

पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से कड़ी टक्कर दी थी। उस समय लोगों का मानना था कि कांग्रेस का यह अभेद्य किला अब दरकने लगा है। उस समय भी प्रियंका गांधी ने अमेठी में पड़ाव डाल दिया था। मतदान के दिन वह विभिन्न मतदान केंद्रों पर लगातार दौरा कर रहीं थी। चुनाव हारने के बाद भी जिस तरह से स्मृति ईरानी अमेठी का दूर कर जनसंपर्क करती रहीं उससे कहीं न कहीं कांग्रेस के माथे पर भी चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगीं थी. यहां तक कहा जा रहा था कि 2019 में कांग्रेस के हाथ से अमेठी छीन सकता है।

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2012 में कांग्रेस के खाते में गई थी दो सीटें

बीते विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस के इस गढ़ में समाजवादी पार्टी ने सेंध लगाई थी। पांच विधानसभा सीटों पर सपा के तीन प्रत्याशी जीते थे जबकि कांग्रेस महज दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। कांग्रेस के राधे श्याम जगदीशपुर से जीते थे। अमेठी से सपा के गायत्री प्रजापति, गौरीगंज से सपा के राकेश प्रताप सिंह तथा सलोन से सपा की आशा किशोर ने जीत दर्ज की थी। तिलोई से कांग्रेस के डॉ मोहम्मद मुस्लिम जीते जिन्हीने बाद में पार्टी छोड़ दी और बसपा में शामिल हो गए हैं।


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