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UP election: जून के पहले सप्ताह में जारी होगी निकाय चुनाव की अधिसूचना

राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने कहा कि जून के प्रथम सप्ताह में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 16 May 2017 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 16 May 2017 10:00 PM (IST)
UP election: जून के पहले सप्ताह में जारी होगी निकाय चुनाव की अधिसूचना
UP election: जून के पहले सप्ताह में जारी होगी निकाय चुनाव की अधिसूचना

वाराणसी (जेएनएन)। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने कहा कि जून के प्रथम सप्ताह में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। चुनाव कितने चरणों में होगा फिलहाल यह तय नहीं है लेकिन सात जुलाई तक इसे संपन्न करा लिया जाएगा। सकुशल चुनाव कराने व शांति व्यवस्था के बाबत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे। संवेदनशील बूथों पर फोर्स की मौजूदगी के बीच विशेष नजर रखी जाएगी। वोटिंग प्रक्रिया की जानकारी के लिए बूथों पर वेबकास्टिंग, सीसी कैमरे, ड्रोन कैमरे लगाने के साथ वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने  वाराणसी, मीरजापुर व आजमगढ़ मंडल के दस जिलों के संग देवरिया में निकाय चुनाव संबंधी तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव की तैयारियां पूरी हैं। कुछ अधूरे कार्यों के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

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पुलिस कार्रवाई संतोषजनक नहीं 

कानून-व्यवस्था से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहुतायत मामले में पुलिस की कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। अपराधियों के खिलाफ सख्ती नहीं हो रही है। समीक्षा बैठक के दौरान अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा समेत 11 जिलों के अधिकारी मौजूद थे।राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि चुनाव में शांति व्यवस्था के लिए महज छोटे अपराधियों की धरपकड़ से काम नहीं चलने वाला। जघन्य अपराधों के मामले में भी सख्ती दिखानी होगी। चुनाव के दृष्टिगत अशांति फैलाने व गतिरोध उत्पन्न करने वालों की तत्काल सूची बनायी जाए। सिर्फ खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए। निर्वाचन आयुक्त ने निर्देश दिया कि पुलिस क्षेत्र में आम्र्स एवं कारतूस बिक्री केंद्रों पर भी पैनी नजर रखे। चुनाव के 24 घंटे पहले शराब की दुकानें बंद हो जानी चाहिए।

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आरोप लगाना आसान, सिद्ध करना बड़ी चीज

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने ईवीएम को लेकर पिछले दिनों उठे सवालों के जवाब में कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने की छूट है। आरोप लगाने से ईवीएम को खारिज नहीं किया जा सकता। आरोप सिद्ध होने चाहिए। नगर निगम के बूथों पर जो भी ईवीएम लग रही हैं सब नई यानी वर्ष 2011-12 की हैं। 


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