UPElectionResult: मुस्लिम महिलाओं को भाया तीन तलाक का स्टैंड
तीन तलाक पर केंद्र सरकार के रुख ने मुस्लिम महिलाओं को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित किया? ज्यादा संख्या में मुस्लिम महिलाओं का अधिक मतदान व भाजपा की जीत से सही लगता है।
लखनऊ [परवेज अहमद]। तीन तलाक पर केंद्र सरकार के रुख ने मुस्लिम महिलाओं को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित किया? 30 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अधिक मतदान व उन क्षेत्रों में भाजपा की जीत से यह संभावना प्रतीत होती है। हालांकि सवाल हो सकता है कि अधिक मतदान करने वाली औरतें मुसलमान थीं, यह कैसे कहा जा सकता है? इसका जवाब सिर्फ 'रवायत है। ढेरों नजीरें हैं कि मताधिकार का प्रयोग करने में मुस्लिम महिलाएं अग्रणी रही हैं।
राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संस्थाओं ने जो डेटा तैयार किया है, उसके मुताबिक 70 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसद तक और कमोवेश इतनी ही सीटें ऐसे ही जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसद से अधिक है। सरकारी दस्तावेजों में 20 फीसद से अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिलों की संख्या-21 है। आंकड़ों से इतर देखें तो जिन क्षेत्रों को मुस्लिम बहुलता वाला माना गया है, वहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक वोट डाले। इस वर्ग की बहुलता वाले क्षेत्र में महिलाओं के अधिक मतदान से राजनीतिक दलों की सांसे अटकी हुई थी, इन क्षेत्रों का परिणाम जब भाजपा के पक्ष में आया तो स्वाभाविक तौर पर यह सवाल उठा कि क्या तीन तलाक पर केंद्र सरकार के रुख ने मुस्लिम महिलाओं को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित किया। और इन महिलाओं ने अपने हक-हकूक के लिए पारंपरिक बंधन को तोडऩे का जोखिम उठाया है। तर्कवादी फिलहाल यह कह सकते हैं कि कैसे साबित होगा कि जिन क्षेत्रों में महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा है, वह मुस्लिम महिलाओं के मतदान में बढ़ोतरी का प्रतीक है। चुनाव सुधार के कार्यों में लगे व एडीआर के मुख्य समन्वक संजय सिंह कहते हैं कि यह साबित तो नहीं किया जा सकता है, मगर जब बूथवार विश्लेषण होगा तो उस क्षेत्र के मतदाता संख्या व डाले गए वोटों की तुलना से यह साफ हो जाएगा कि किस वर्ग के लोगों ने ज्यादा मतदान किया है। मगर वोट किसको गया? यह साबित नहीं किया जा सकता। यही लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती भी है। मगर पुरानी परंपरा के आधार पर अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है। तीन तलाक के मुद्दे पर केन्द्र सरकार के रुख का समर्थन करती आ रही शाइस्ता अंबर का कहती हैैं कि मुस्लिम महिलाएं अपने हकूक के लिए संघर्ष करने को तैयार होने लगी हैैं। वह शरीयत की रोशनी में न्याय चाहती हैैं, फतवों के आधार पर नहीं। ऐसे में यदि मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया ही हो तो आश्चर्य कैसा? राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि मुस्लिम बहुल इलाकों में जिस तरह से मतदान हुआ और विभिन्न दलों में वोटों के बटवारे के बाद भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई, उससे तो प्रतीत होता है कि मुस्लिम महिलाओं में से कुछ भाजपा को भी वोट दिया।
क्षेत्र पुरुष महिला सीट
नौगांव- 74.57 77.94 भाजपा
बिथरी चैनपुर- 64.33 65.18 भाजपा
धामपुर- 65.01 71.64 भाजपा
चांदपुर- 67.77 72.10 भाजपा
खतौली-70.01 71.62 भाजपा
मीरापुर-68.77 70.13 भाजपा
थाना भवन-67.93 68.80 भाजपा
धनौरा- 68.02 72.42 भाजपा
हसनपुर- 72.98 75.63 भाजपा
बदायूं-59.60 60.48 भाजपा
बिल्सी-57.90 59.44 भाजपा
शेखूपुर-60.59 64.46 भाजपा
कुंदरकी-70.58 72.22 भाजपा
बढ़ापुर- 62.91 68.79 भाजपा
बेहट- 74.36 75.36-भाजपा
रामपुर मनिहारन-73.01 73.72-भाजपा
दरियाबाद-63.94 67.35-भाजपा
कांठ- भाजपा
30 फीसद से ज्यादा मुस्लिम वोटों वाली कुछ और सीटें
नकुड़, सहारनपुर, सहारनपुर, गंगोह, चथरावल, पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, नूरपुर, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, असमोली, बिलासपुर, मिलक, अमरोहा, किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण, नहटौर, सहसवान, फरीदपुर, बिथरी चैनपुर, गढ़मुक्तेश्वर, बुलंदशहर, नवाबगंज, बरेली, बरेली कैंट, कटरा, टांडा, लखनऊ मध्य, बहराइच, नानपारा, बलहा, कैसरगंज, भिनगा, तुलसीपुर, गैडसढ़ी, बलरामपुर, इटवा, वाराणसी कैंट, वाराणसी दक्षिण, शोहरतगढ़, गौरा व मोहम्मदी।