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यूपी चुनाव 2017: सियासी खेमों में बंटी नजर आई काशी

यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में मोदी, अखिलेश,राहुल गांधी व मायावती सभी ने आज वाराणसी को केंद्र बनाया। इससे काशी तीन खेमों में बंटा नजर आई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 04 Mar 2017 08:07 PM (IST)Updated: Sat, 04 Mar 2017 09:17 PM (IST)
यूपी चुनाव 2017: सियासी खेमों में बंटी नजर आई काशी
यूपी चुनाव 2017: सियासी खेमों में बंटी नजर आई काशी

वाराणसी (जेएनएन) यूपी विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के चुनाव से पूर्व काशी का सियासी पारा चरम पर पहुंच गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व बसपा सुप्रीमो मायावती सभी ने नाराणसी को केंद्र बनाया। दोपहर तक मोदी का जादू चलता रहा तो दोपहर बाद राहुल और अखिलेश ने सड़कों पर फिजा बदल दी। बीच सफर में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद मांगने से भी इनमें से कोई नहीं चूका। इनसे कुछ किलोमीटर दूर मायावती की जनसभा होती रही। सभी के समर्थक जोश से लबरेज दिखे। एक तरह काशी तीन खेमों में बंटा नजर आई। हालांकि इस दौरान बड़ी संख्या में तटस्थ भी दिखे।

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डेढ़ महीने पहले सजे उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में अभी तक सभी दलों के सूरमा केवल दूर-दूर से एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे। अंतिम चरण में 40 सीटों के लिए बची लड़ाई के दौरान चार मार्च का दिन काशी में ऐतिहासिक हो गया। वाराणसी में टिकट बंटवारे से उपजे असंतोष व बागियों की चुनौती से जूझ रही भाजपा ने बाबा दर्शन के बहाने मोदी को सड़क पर उतार दिया। काशीवासियों के मर्म को सहलाने के लिए इसमें इस बार कालभैरव दर्शन को भी जोड़ा गया क्योंकि अभी तक मोदी एक बार भी कालभैरव नहीं गए थे जबकि मान्यता है कि बाबा के दर्शन से पहले शहर कोतवाल कालभैरव के दर्शन करना जरूरी है। 
दोपहर तक शहर अगर मोदी-मोदी के नारों से गुंजायमान था तो दोपहर बाद यूपी को यह साथ पसंद है, रोड पर उतर गया। अब तक भले ही सपा व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में समन्वय न होने के स्वर उठते रहे हों लेकिन वाराणसी में दोनों के कार्यकर्ता गलबहियां डाले ही दिखे। क्रिया की प्रतिक्रिया सुबह से ही शुरू हो चुकी थी। टकराहट का माहौल कई जगह बना लेकिन इस अलमस्त शहर ने दलीय प्रतिबद्धता के बीच अमन-चैन बनाए रखा। शाम को राहुल-अखिलेश थमे तो फिर जौनपुर से लौटे मोदी की शहर के मध्य टाउनहाल में सभा शुरू हो गई। हर पाले की यही कोशिश कि दूसरे के पक्ष से उठे शब्द मतदाता के दिमाग में घर न बना सकें। सड़कों पर उमड़ी इस लड़ाई से कुछ किलोमीटर दूर दोपहर में अपने परंपरागत वोटों की भीड़ को बसपा सुप्रीमो इन दोनों से दूर रहने की नसीहत देते हुए गरज रही थीं। कुल मिलाकर दिनभर राजनीतिक तापमान चढ़ा रहा। 

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