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जब गले मिले भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी, देखते रह गए सभी

राजनीति में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। संसद में राहुल गांधी जब प्रधानमंत्री मोदी के गले मिले थे तो वह दृश्य देखने लायक था। ऐसा ही कुछ मेरठ में हुआ पर इस बार...

By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 10:46 PM (IST)
जब गले मिले भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी, देखते रह गए सभी
जब गले मिले भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी, देखते रह गए सभी
मेरठ, [राजेंद्र शर्मा]। बंद हो गया है ...सियासत की दुनिया में मनोभावों को पुलकित कर देने वाले ऐसे दृश्यों का दिखना। मगर ठहरिए, एक शब्द है अपवाद। ...और, सोमवार को एक घटना अपवाद बनकर सैकड़ों लोगों की नजरों के सामने नुमांया हो गई। हो भी क्यों न। जब पूरे देश में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे को बोली-भाषा के पराभव की गर्त तक जाकर लानत मलानत कर रहे हों तब ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के मेरठ लोकसभा क्षेत्र प्रत्याशी एक दूसरे के गले मिलें ...तो आप क्या कहेंगे। बेशक, बेशर्म बयानबाजियों के तपते रेगिस्तान में यह दृश्य ताजा हवा के शीतल झोंके सा लहराया। आनंद आ गया साहब।
दृश्य देखिए
दिन सोमवार। स्थान जिलाधिकारी न्यायालय का बरामदा। मौका, लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में नामांकन का अंतिम दिन। मेरठ संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल सुबह अपना नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे। नामांकन दाखिल करके जब कक्ष से बाहर निकले उस समय कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र अग्रवाल अपने पार्टी नेताओं विनोद मोघा, डा. यूसुफ कुरैशी, सतीश शर्मा व कृष्ण कुमार किशनी आदि के साथ अपनी बारी की प्रतीक्षा में नामांकन कक्ष के बाहर बैठे थे। राजेंद्र अग्रवाल के बाद हरेंद्र को नामांकन दाखिल करने के लिए अंदर जाना था। अब वहां दोनों आमने-सामने थे।
गले मिले
अचानक, राजेंद्र ने बेहिचक कदम आगे बढ़ाए और हरेंद्र का बड़े भाई के नाते अभिवादन किया। अपनेपन की इस मीठी फुहार से भीगते हुए हरेंद्र भी तुरंत खड़े हुए और राजेंद्र का अभिवादन स्वीकार किया। कुछ सेकेंड तक दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा ...और इसके बाद आपस में गले मिल गए। कुछ देर तक दोनों ने एक दूसरे का कुशलक्षेम पूछा-जाना।
मेरे बड़े भाई हैं...
अंतत: बाद में, मीडिया ने राजेंद्र अग्रवाल से पूछा कि यह राजनीतिक शिष्टाचार है या सामान्य शिष्टाचार? उन्होंने तपाक से जवाब दिया कि नहीं, यह छोटे भाई का बड़े भाई के प्रति शिष्टाचार है, जो हर किसी में होना चाहिए। भले ही हमारी राजनीतिक विचारधाराएं अलग-अलग हों। हरेंद्र जी मेरे बड़े भाई हैं।
नासिर काज़मी साहब की एक गजल की यह लाइन अचानक याद आ गई...
दिल में इक लहर सी उठी है अभी।
कोई ताज़ा हवा चली है अभी।।

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