पश्चिम यूपी की सियासत में बाहुबली की एंट्री, गठबंधन के जरिए विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में रापद
छह दिसंबर को वह दिल्ली रो़ड स्थित होटल में पहलवान सिंह यादव की बेटी के शादी समारोह में शामिल हुए थे। यहां उनसे कई सियासी लोगों ने मुलाकात की। इसे लेकर सियासी लोगों में तमाम चर्चाएं हैं। डीपी यादव की मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत पकड़ है।
मुरादाबाद [ मोहसिन पाशा]। गाजियाबाद की दादरी विधानसभा से भाजपा के विधायक रहे महेंद्र भाटी हत्याकांड में उत्तराखंड हाईकोर्ट से बरी होने के बाद राष्ट्रीय परिवर्तन दल के अध्यक्ष धर्मपाल सिंह उर्फ डीपी यादव की पश्चिमी यूपी की सियासत में एंट्री हो गई है। बाहुबली कहे जाने वाले डीपी यादव सम्भल की असमोली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। डीपी यादव का बदायूं और सम्भल जिलों की सियासत में कई दशक तक दखल रहा है।
वर्ष 1996 वह बसपा के टिकट पर सम्भल लोकसभा सीट से सदस्य चुने गए। इससे पहले मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे। सम्भल चुनाव सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के सामने लड़ा। लेकिन, हार गए। छह दिसंबर को मुरादाबाद के एक सपा नेता के घर दावत में आने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। महेंद्र भाटी हत्याकांड में बरी होने के बाद डीपी यादव ने फिर से राजनीतिक सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी वह अपनी पार्टी को जिंदा करने लिए टीम बना रहे हैं। डीपी यादव ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल का सदस्य बनाने के लिए मोबाइल नंबर भी जारी कर दिया है। भाजपा, सपा और बसपा तीनों ही प्रमुख दलों से साथ डीपी यादव ने सियासत की है। 1989 में बुलंदशहर से विधायक चुने जाने के बाद डीपी यादव मुलायम सिंह यादव की सरकार में पंचायतीराज मंत्री रहे। बसपा का साथ मिलने पर सम्भल लोकसभा से सांसद चुने गए। वर्ष 2007 में वह सहसवान से और उनकी पत्नी उमलेश यादव बिसौली से विधायक चुनी गईं थीं। महेंद्र भाटी हत्याकांड में जेल जाने के बाद उसका सियासी सफर थम गया था। अब फिर से उन्होंने अपनी पार्टी को नई धार देनी शुरू कर दी है। डीपी यादव पहले पश्चिमी यूपी की सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। गठबंधन के दौर में सही मौका मिला तो किसी बड़े दल के टिकट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में वह अपने कुछ करीबियों को टिकट दिलाकर उन्हें चुनाव जिताने का काम भी करेंगे। बदायूं की सहसवान, बिसौली के अलावा सम्भल की दो सीटों पर उनके प्रत्याशी चुनाव लड़ सकते हैं। मुरादाबाद में भी वह विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतार सकते हैं। छह दिसंबर को वह दिल्ली रो़ड स्थित होटल में पहलवान सिंह यादव की बेटी के शादी समारोह में शामिल हुए थे। यहां उनसे कई सियासी लोगों ने मुलाकात की। इसे लेकर सियासी लोगों में तमाम चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि डीपी यादव की मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत पकड़ है। रापद ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे तो सपा को नुकसान हो सकता है।
डीपी यादव का सियासी सफर : डीपी यादव ने 1989 में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ हाथ मिलाया। बुलंदशहर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। मुलायम सिंह ने उन्हें अपने मंत्रीमंडल में पंचायती राज मंत्री बनाया। 2004 में डीपी यादव को भारतीय जनता पार्टी ने शामिल कर लिया गया। इसे लेकर काफी आलोचना हुई। आखिरकार भाजपा को चार दिन चले हंगामे के बाद डीपी यादव से रिश्ते ही खत्म करने पड़े। इसके बाद वह अपनी पार्टी से ही सम्भल लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के खिलाफ चुनाव लड़े। लेकिन, हार गए। वर्ष 1996 वह बसपा के टिकट पर सम्भल लोकसभा के सदस्य चुने गए। उन्होंने सपा के एसपी सिंह यादव को हराया था। 2007 में उन्होंने राष्ट्रीय परिवर्तन दल का गठन किया। वह सहसवान से विधायक बने और बिसौली से उनकी पत्नी विधायक चुनी गईं। इसके बाद राष्ट्रीय परिवर्तन दल का बसपा में विलय कर दिया। 2009 में आम चुनाव में डीपी यादव ने बहुजन समाज पार्टी बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन, 33,000 मतों से हार गए। यहां से समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव जीते थे।
सियासत में इन दिनों गठबंधन का दौर है। हमारी कई दलों से बात चल रही है। कार्यकर्ताओं के लगातार संपर्क में हूं। सभी से राय मशविरा लिया जा रहा है। किसी दल से गठबंधन पर बात नहीं बनी तो प्रदेश की 100 से अधिक सीटों पर राष्ट्रीय परिवर्तन दल चुनाव लड़ेगा। शनिवार को सम्भल की असमोली क्षेत्र में कार्यक्रम है। वहां कुछ लोगों से मिलकर चुनाव के संबंध में चर्चा करनी है।
डीपी यादव, पूर्व मंत्री