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UP Assembly Election: काशी के नरेंद्र मोदी अद्भुत और अभूतपूर्व

वाराणसी सांसद नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां से रवाना होने के पूर्व अद्भुत व अभूतपूर्व तरीके से जनता जनार्दन से संवाद स्थापित किया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 06 Mar 2017 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 07 Mar 2017 09:44 AM (IST)
UP Assembly Election: काशी के नरेंद्र मोदी अद्भुत और अभूतपूर्व
UP Assembly Election: काशी के नरेंद्र मोदी अद्भुत और अभूतपूर्व
वाराणसी (जयप्रकाश पांडेय)। याद करना मुश्किल है कि किसी प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली के बाहर किसी शहर में लगातार तीन दिन तूफानी कार्यक्रम कभी किए हों, मोदी ने काशी में ऐसा ही किया। अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में तीन दिन व एक रात बिताने वाले सांसद नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां से रवाना होने के पूर्व अद्भुत व अभूतपूर्व तरीके से जनता जनार्दन से संवाद स्थापित किया। मोदी के इस दौरे को लेकर विपक्ष के अपने तर्क व तीर हैं मगर मोदी के कार्यक्रमों में तीन दिनों तक सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है। 

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पद ही सब कुछ नहीं होता, कद भी होना चाहिए। इसे प्रधानमंत्री ने एक बार फिर स्थापित किया शनिवार, रविवार व सोमवार को। विधानसभा चुनाव के बिल्कुल अंतिम चरण को धार देने के लिए यूं तो पक्ष-विपक्ष के तमाम नेताओं ने काशी में डेरा डाल रखा था मगर वैचारिक रूप से इसे मथा मोदी ने। जनता दर्शन कार्यक्रम के तहत लगातार तीन दिन प्रधानमंत्री ने खुली गाड़ी में बनारस के हर कोने का चक्कर लगाया। भारी जनसैलाब के बीच बीएचयू से लेकर मैदागिन, पुलिस लाइन से लेकर मलदहिया और विश्वसुंदरी पुल से लेकर रामनगर कस्बे तक मोदी ने जनता को जनार्दन मान उसके दर्शन किए। यह प्रधानमंत्री का नहीं, एक सांसद का अपनी जनता के बीच होने का वह तरीका था जिसपर विपक्ष ने तमाम जुमले उछाले। हालांकि अडिग मोदी पर इन जुमलों से फर्क न पहले पड़ा, न अब। 

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धर्म नगरी काशी में नरेंद्र मोदी बाबा दरबार भी पहुंचे और बाबा कालभैरव दरबार भी। इतना ही नहीं, उन्होंने गढ़वाघाट आश्रम में भी दर्शन-पूजन कर मौन संदेश दिया कि राजनीति को धर्मनीति का सदैव पालन करते रहना चाहिए। उन्होंने स्वयं इसका अनुकरणीय तरीके से पालन भी किया। गढ़वाघाट आश्रम में दर्शन के बाद बने जिस मंच पर मोदी बैठे, उसके सामने हजारों हजार लोग मौजूद थे मगर धर्ममंच पर बैठे मोदी ने यहां केवल भावों से काम लिया, बिल्कुल मौन। यहां बिना कोई भाषण दिए मोदी सबको प्रणाम कर आगे के लिए रवाना हो गए। 
इन तीन दिनों में मोदी ने टाउनहाल, विद्यापीठ व रोहनिया में तीन जनसभाएं कीं जबकि डीएलडब्ल्यू में प्रबुद्धजनों के बीच संबोधन किया। इन सभी आयोजनों में मोदी अपनी जीत के प्रति जहां आश्वस्त दिखे वहीं पूर्वांचल की बेरोजगारी व दुर्दशा पर दुखी भी। इस बीच शनिवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का भी नगर में रोड शो हुआ मगर दूसरे दिन मोदी ने भी उसी विधानसभा क्षेत्र में रोड शो किया। दोनों दलों के नेताओं के रोड शो में उमड़ी भीड़ का आकलन सब अपने तरीके से कर रहे हैं मगर एक बात निर्विवाद है कि मोदी ने कुछ प्रतिमान गढ़े, मर्यादाएं भी थामे रखीं। 
इन तीन दिनों की खास बात यह भी रही कि बनारस सत्ता और सरकार का केंद्र बना रहा। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती जैसे दिग्गज पूर्वांचल के किसी भी दूसरे जिले में भाषण कर रहे होते मगर उनका फोकस बनारस था, मोदी थे। वार पर पलटवार भी होता रहा। मिस फायर जैसे जुमले भी उछलते रहे। तीन दिन के कार्यक्रमों को विराम दे मोदी अब बनारस से जा चुके हैं मगर अंत में, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के रामनगर आवास में चुपचाप बैठे कविता सुनते मोदी को अपने मानस पटल से कोई मिटाना चाहेगा भी, तो भला मिटाएगा कैसे! इन तीन दिनों में मोदी ने प्रतिद्वंद्वी नेताओं के सामने एक बात मजबूती से रख दी कि -आप मुझे प्यार करें-न करें, मगर इग्नोर नहीं कर सकते।

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