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चुनाव 2017: पार्टी बनाने के शिवपाल यादव के बयान पर अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया

शिवपाल यादव के नई पार्टी बनाने की घोषणा के सवाल पर सपा अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि अब किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 31 Jan 2017 10:38 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 11:22 AM (IST)
चुनाव 2017: पार्टी बनाने के शिवपाल यादव के बयान पर अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया
चुनाव 2017: पार्टी बनाने के शिवपाल यादव के बयान पर अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि अब किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। हमने किसी पर कार्रवाई की, किसी ने हम पर की। जिससे हम कहां से कहां आ गए। बस, जीत जाएं यही बहुत है।

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मार्च के बाद नये सिरे से पार्टी बनाने के शिवपाल सिंह यादव के सवाल पर अखिलेश ने ये बातें कही। कहा कि जो कुछ हुआ वह परिवार की लड़ाई नहीं थी, वह समाजवादी आंदोलन को आगे ले जाने का संघर्ष था। अब सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो गया है तो बात दूर दिल्ली तक जाएगी। मुस्लिम व यादव वोटरों को अपने साथ रोकने के लिए यह गठबंधन किया है? इससे तीन सौ सीटें हम जीतेंगे।

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इस पर यादव ने कहा कि हम आंकड़ों पर ध्यान नहीं देते हैं। हमने काम किया है जिसके बल पर वोट मांगने जा रहे हैं। प्रदेश की ऐसी छवि बनाई है, जिससे विकास का संदेश जाए। इस गठबंधन के जरिये आपने समाजवादी संघर्ष की विरासत को पीछे छोड़ दिया? इस पर अखिलेश ने कहा कि डॉ.लोहिया ने भी कांग्रेस से निकलकर सोशलिस्ट आंदोलन बढ़ाने का काम किया था। जिन लोगों ने यह सब किया, उन्होंने ही कहा था कि कांग्रेस जब कमजोर होगी तो समाजवादियों की सबसे अच्छी दोस्त होगी। मगर मुलायम सिंह यादव नाराज हैं ? जवाब में यादव ने कहा कि कोई नाराज नहीं है। नेताजी भी प्रचार के लिए निकलेंगे।

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एक टीवी कार्यक्रम में पहुंचे अखिलेश ने एक सवाल पर कहा कि राहुल गांधी ने मायावती की नहीं, कांशीराम की तारीफ की थी। स्वीकार किया कि प्राइमरी स्कूलों में जिस तरह पढ़ाई होनी चाहिए, नहीं हो रही है। कुछ लेक्चर रिकार्ड कराये हैं, जिनके जरिये स्कूलों में पढ़ाई भी करायी जाएगी। 2014 तक गायब थे, अचानक जगे और तीन माह में मुख्यमंत्री के तौर पर दिखे? इस पर कहा कि पांच साल का जो समय गुजरा वह सीखने व जमीन पर काम उतारने का समय था। राजनीति के हथकंडों, उठापटक, नौकरशाही की कार्यशैली देखने, सीखने का मौका मिला। सब कुछ सीख लिया, अब सीखना नहीं है, काम करना है। उत्तर प्रदेश का बजट ठीक से खर्च हो तो जीवन में बदलाव आ सकता है। आगरा-एक्सप्रेस वे बना कर दिखा दिया है। 340 किमी की और सड़क बनाकर दिखा दूंगा।

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काम लेना सीख गए

पुलिस के बड़े अधिकारी नहीं चाहते थे डायल-100 योजना लागू हो? क्योंकि इससे पारदर्शिता आनी थी। दायित्व तय होना था, इसलिए पीछे हट रहे थे। कोई और बड़ा अधिकारी हैं जो रोड़े अटकाता रहा? अखिलेश ने कहा कि बहुत सारे अधिकारी है, मगर काम लेना सीख गए हैं। किस नट बोल्ट को लगाना कहां हैं और कहां हथौड़ा मारना है, यह सब सीख गए हैं। नट-बोल्ट वाले अधिकारी ज्यादा है या हथौड़े वाले हैं? जवाब में यादव ने कहा कि सरकार बनेगी तो देख लेना।

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फोन रजिस्ट्रेशन से वोटों का हिसाब?

मैंने लोगों की मदद की है, उसी से हिसाब लगाता हूं। 1.40 करोड़ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से सिर्फ 50 लाख वोट दे दें। समाजवादी पेंशन पाने वाले 10 लाख लोग वोट दे दें तो बहुमत की सरकार बन जाएगी। काम बोलता है-हां जनता ने कहा कि सरकार ने काम किया है।

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डर नहीं लगता, कल क्या होगा?

अखिलेश ने कहा कि मैं डर कर काम नहीं करता है। कल का कोई पता नहीं है। जो मौका मिला है, उसी में काम करना था। परफार्म करना था। वह किया है। आगे क्या होगा, इससे डरने का प्रश्न नहीं उठता है।

2019 में राहुल को पीएम बनायेंगे?

अखिलेश यादव ने कहा कि अभी 2017 का चुनाव है। बात उसकी हो रही है। मै दिल्ली की तरह नहीं देख रहा क्योंकि वहां देखने के कारण कहीं यूपी ही न गड़बड़ा जाये। यूपी में ही रहना चाहता हूं। एक सवाल पर कहा कि राहुलजी से मुलाकात होने पर व्यक्तिगत रूप से पूछ लूंगा कि मुझे क्या करना है।

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तंत्र-मंत्र हुआ था, शिवपाल ने कराया था?

विज्ञान का विद्यार्थी था। तंत्र-मंत्र पर भरोसा नहीं करता। अगर किसी ने कराया भी होगा तो अपने अच्छे कार्य के लिए कराया। फिर बात को टालते हुए कहा कि नोटबंदी के जमाने में तंत्र-मंत्र वाले भी परेशान है। कुछ लोग मिले थे तो कहा कि अब लगता है स्वाइप मशीन लेकर चलना पड़ेगा। हालांकि यादव ने यह भी कहा कि वह मानते है कि इस दुनिया के अलावा ऊपर भी एक दुनिया है।

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सलमान की फिल्म पसंद है?

यह गाना व स्लोगन हमने नहीं बनाया है। हम बनवाते तो कॉपी राइट का मुकदमा हो गया होता। तकनीक का दौर है, कुछ लोगों ने देखकर बनाया होगा कहना यह है कि यूपी को साथ पसंद और काम पसंद है। युवा होना राहुल से दोस्ती की वजह बनी? अभी लंबे समय तक राजनीति करनी है। गठबंधन से निर्णय लेने में आसानी हो गई। तकनीक का दौर है, इसमें ढेरों चीजें साथ चलती है। कार्यकर्ता चाहते है कि वह नेता की नजर में वीडियो, प्रार्थना पत्र भेजते रहते है। हम देखते है। सेना के जवान जो कर रहे है? तकनीक पहले आ गई और कानून बाद में बना। इसलिए लोगों की बात तो सुनी ही जानी चाहिए।

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