UP Election: सरकार बनाने को अखिलेश यादव हाथ मिलाने को तैयार, मूड में नहीं मायावती
एक्जिट पोल के बाद अखिलेश यादव ने प्रदेश में भाजपा को रोकने के लिए बसपा मुखिया मायावती से हाथ मिलाने की पेशकश की। अखिलेश यादव के इस ऑफर पर फिलहाल मायावती ने कोई संकेत नहीं दिया है।
By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 10 Mar 2017 05:59 PM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 07:48 AM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में सत्रहवीं विधानसभा के गठन के लिए कल मतगणना होगी। कल देर शाम एक्जिट पोल के बाद समाजवादी पार्टी के नये मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से हाथ मिलाने की पेशकश की। अखिलेश यादव के इस ऑफर पर फिलहाल मायावती ने कोई संकेत नहीं दिया है। मायावती कल आने वाले परिणाम के इंतजार में हैं।
अखिलेश यादव ने ऐसा संकेत दिया था कि अगर समाजवादी पार्टी गठबंधन को इस बार बहुमत नहीं मिला तो वो मायावती से गठबंधन की राह तलाश सकते हैं। इन दोनों दलों ने 1993 के अलावा कभी एक साथ सत्ता में भागीदारी नहीं निभाई। इन दोनों दलों की विचारधाराएँ और कार्यशैली भी काफी हद तक अलग रही है। अब बड़ा प्रश्न यह है कि आखिरकार अखिलेश यादव को ऐसा संकेत क्यों देना पड़ा।
उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे आने में कुछ घंटों का वक्त बचा है। ऐसे में सभी दलों ने अपने पत्ते फेंकने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि यदि नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे तो वह प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के बजाय बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से हाथ मिलाना पसंद करेंगे। ऐसे में अखिलेश के बड़े बयान के बाद सबकी नजरें मायावती पर जा टिकी थीं। हालांकि, मायावती ने इस तरह की संभावनाओं को साफ खारिज कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने फिलहाल कोई भी गठबंधन करने से इनकार किया है। वह अभी तो नतीजे आने का इंतजार कर रही है, उसके बाद ही कोई फैसला लेंगी।
दरअसल, अखिलेश यादव ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि अगर इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता है तो वो बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिला सकते हैं. ऐसे में सियासी पंडितों का कहना है कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आ सकता है, जो यूपी की सियासत की तस्वीर बदलेगी।
अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर सरकार के लिए जरूरत पड़ेगी तो राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा। हम नहीं चाहते कि उत्तर प्रदेश को भारतीय जनता पार्टी रिमोट कंट्रोल से चलाए। पांच वर्ष तक तक सत्ता में रहे अखिलेश यादव कतई नहीं चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश की की सत्ता से बेदखल होना पड़े, ऐसे में मायावती के साथ गठबंधन इसी कड़ी के रूप में देखा जा रहा है लेकिन अभी मायावती के रुख का इंतजार करना होगा।
अखिलेश यादव के बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाने वाले बयान पर समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद नरेश ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए कोई भी कदम उठाया जा सकता है। वैसे अखिलेश यादव ने यह बात नहीं कही कि वह सरकार बनाने के लिए बसपा या फिर बहनजी का समर्थन लेंगे।
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