ट्रंप के हाथ में अमेरिका, भारत के लिए क्या हैं माएने
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप पर अमेरिकी जनता ने भरोसा व्यक्त किया है। वो अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति होंगे।
नई दिल्ली(जेएनएन)। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। अमेरिकी जनता ने डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा जताकर न केवल सर्वेक्षणों को गलत साबित कर दिया,बल्कि ये भी साबित किया कि अब अमेरिका बदलाव चाहता है। ट्रंप को मिले 276 इलेक्टोरल वोट की तुलना में हिलेरी को 218 इलेक्टोरल वोट से संतोष करना पड़ा। अमेरिकी चुनाव परिणाम के ठीक बाद ट्रंप ने कहा कि वो अमेरिका को एक नई दिशा देना चाहते हैं। उनके इस अभियान में दुनिया के जो देश साथ आना चाहते हैं, उनके साथ वो जरूर बेहतर संबंध बनाएंगे। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि ट्रंप की जीत से भारत पर किस तरह प्रभावित होगा।
कश्मीर के मुद्दे पर ट्रंप का नजरिया
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप कहा करते थे कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि भारत की फौज शक्तिशाली है और उनके पास परमाणु हथियार भी है। पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए भारत और अमेरिका एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। ट्रंप के इन बयानों के बाद ये कहा जा रहा था कि उनकी जीत के साथ पाकिस्तान के प्रति अमेरिका की नीति में बदलाव हो सकता है। राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद ट्रंप ने अपने इरादे भी जता दिए उन्होंने कहा कि जो अमेरिका का दोस्त बनना चाहते हैं उसका वो स्वागत करेंगे।
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भारत के बढे़गा व्यापार, चीन को होगा नुकसान
ट्रंप ने प्रचार के दौरान ये कहा था कि अमेरिका और चीन के व्यापार में बहुत विषमताएं हैं। अगर उन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिलता है तो वो इस तरह की व्यवस्था करेंगे जिससे व्यापार का झुकाव चीन की तरफ न हो। अब चुनाव में जीत हासिल करने के बाद जानकारों का कहना है कि चीन को लेकर ट्रंप आक्रामक भूमिका में नजर आएंगे। अमेरिका के पूर्व राजनयिक विलियम एच एवरी ने कहा कि तमाम व्यापारिक प्रतिबंधों जैसे टैरिफ-नॉन टैरिफ बैरियर के जरिए अमेरिका चीन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करेगा। जबकि भारत के साथ अमेरिका आईटी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, और आईटी में टैरिफ लगा पाना बहुत ही कठिन होगा।
मेक इन इंडिया का भविष्य
जानकारों का कहना है कि मेक इन इंडिया पर बुरा असर पड़ सकता है। हिलेरी की तरह ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी उत्पादनकर्ताओं को अमेरिका में ही निर्माण कार्य पर जोर देना चाहिए। यूएस फर्म को भारत में उत्पादन करने का मौका बहुत ही कम मिलेगा। इकोनॉमी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक जनवरी 2000 से लेकर दिसंबर 2014 तक पांच मिलियन से ज्यादा उत्पादन क्षेत्र में काम करने वालों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा था।
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भारतीय निवेशक अमेरिका की तरफ कर सकते हैं रुख
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि अगर वो सत्ता में आते हैं तो कार्पोरेट टैक्स कम कर देंगे। उन्होंने मौजूदा कार्पोरेट टैक्स को 39 फीसद से घटाकर 15 फीसद कर देंगे। जानकारों का ये कहना है कि अगर वास्तव में ट्रंप इस तरह का फैसला करते हैं तो उस हालात में भारतीय निवेशक अमेरिका की तरफ रुख कर सकते हैं।