डोनाल्ड ट्रंप की जीत वैश्विक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं: विदेशी मीडिया
अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत पर विदेशी मीडिया जगत में मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई। ज्यादातर विश्लेषणों में ट्रंप की जीत को दुनिया के लिए बेहतर नहीं बताया गया।
नई दिल्ली(जेएनएन)। सभी सर्वेक्षणों को झुठलाते हुए रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप अपने प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन पर भारी पड़े। 289 इलेक्टोरल वोट पर कब्जा जमाने में ट्रंप कामयाब रहे, और इस तरह अमेरिकी चुनाव की तस्वीर साफ हो गई कि ह्वाइट हाउस से अब रिपब्लिकन का राज चलेगा। चुनाव परिणामों के घोषित होने के तुरंत बाद अपने संबोधन में ट्रंप ने कहा कि वो सभी देशों के साथ दोस्ती चाहते हैं। जो देश अमेरिका के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं उनके साथ चलने में उन्हें भी खुशी होगी। ट्रंप के इस बयान की दुनिया की मीडिया द्वारा अलग-अलग अंदाज में विश्लेषण किया गया। हम आपको सिलसिलेवार बताने की कोशिश करेंगे ट्रंप की जीत पर रूस, चीन, पाकिस्तान और अरब देशों ने किस तरह प्रतिक्रिया दी।
वर्ल्ड मीडिया में ट्रंप की जीत पर प्रतिक्रिया
-हम ट्रम्प को प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए अनफिट मानते हैं। प्रभावी ढंग से घर और विदेशों में देश के मामलों को मैनेज करने की उनकी एबिलिटी को लेकर चिंता जताते हैं - यूएसए टुडे
-डेली न्यूज ने व्हाइट हाउस की तस्वीर छापते हुए लिखा है हाउस ऑफ हॉरर्स
-लिंकन, रूजवेल्ट का अमेरिका अब 'द यूनाइटेड हेट्स ऑफ अमेरिका' बन गया -आइरिश टाइम्स
ट्रंप के विरोध में हो रही रैली में गोलीबारी, पांच लोग घायल
-यूरोप को ब्रेग्जिट 2.0 का सामना करना पड़ रहा है। जर्मनी की एक वेबसाइट ने लिखा ट्रंप रंप की जीत से दुनिया हैरान और अनिश्चित है- न्यूयॉर्क टाइम्स
-हे भगवान! तुने क्या कर दिया- द टेलीग्राफ
-बिजनेसमैन से टीवी शख्सियत बने ट्रंप अब अमेरिका के कमांडर-इन-चीफ होंगे - द डॉन
-अमेरिका का चुनाव जीतकर ट्रंप ने चमत्कार कर दिया-मिस्र की वेबसाइट
यूएस में अबकी बार ट्रंप सरकार, जनता ने ट्रंप को चुना देश का 45वां राष्ट्रपति
ट्रंप की जीत पर चीन में प्रतिक्रिया
ट्रंप की जीत के बाद तो चीन ने एक तरह से लोकतंत्र की उपयोगिता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी मीडिया ने बुधवार को कहा कि यही होता है, अगर लोगों के पास लोकतंत्र हो। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के विवादित उम्मीदवार की जीत यह दिखाती है कि अमेरिका का लोकतंत्र किस तरह संकट लेकर आया है। यह चीन की अधिनायकवादी सत्ता (चीन में लोकतंत्र नहीं है और कम्युनिस्ट पार्टी का एकतरफा राज चलता है) के स्थायित्व के बिल्कुल उलट है। ट्रंप के चुनाव अभियान और सत्ता के शीर्ष तक उनकी पहुंच ने यह दिखाया है कि ज्यादातर अमेरिकी जनता ने देश के वर्तमान राजनीतिक और अमीर वर्ग के खिलाफ विद्रोही रुख अपनाया है।
दिल्ली में जन्मे कृष्णमूर्ति भी जीते, ओबामा ने किया था समर्थन
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अखबार पीपल्स डेली ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ने लोकतंत्र की बुराई को दिखाया है। लेकिन मजेदार बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के दौरान चीनी मीडिया और सरकार के समर्थन वाले टीकाकारों ने ट्रंप का समर्थन किया था। मीडिया ने कहा था कि साउथ चाइना सी सहित चीन की विदेश नीति के अन्य पहलुओं के लिए ट्रंप, हिलरी क्लिंटन के मुकाबले बढ़िया साबित होंगे।
ट्रंप का जीतना चीन के लिए कुछ मामलों में सही भी नहीं माना जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 15 सालों में अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 50 लाख नौकरियां कम हुई हैं। इस दौरान चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जोरदार ग्रोथ हुई है। अपने प्रचार में ट्रंप अमेरिकियों को खोई हुई नौकरियां वापस दिलाने की बात करते रहे हैं। इसके लिए उनके पास टैरिफ और नॉन-टैरिफ बैरियर्स के जरिए एशियाई लेबर की कम कीमतों के असर से निपटने का विकल्प होगा।
पाक मीडिया की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के टीवी चैनल और अखबार ट्रंप की जीत को 'ऐतिहासिक' बता रहे हैं। कुछ चैनलों से इसे 'चकित करने वाली जीत' भी बताया है तो कुछ ने इस पर दुख भी जताया।
उर्दू टीवी चैनल जियो का शीर्षक था- 'ट्रंप सबको चकित करते हुए व्हाइट हाउस में'
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की वेबसाइट कहती है- 'उनके पक्ष में हवा नहीं थी फिर भी वो अमरीका के 45वें राष्ट्रपति होंगे'
समां टीवी के अनुसार 'डोनल्ड ट्रंप की ये जीत शॉक विक्ट्री है.'
डॉन कहता है 'ट्रंप की जीत, हिलेरी ने कबूली हार'
सफल रहा अमरीश का अभियान, ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति चुने गए
ट्रंप की जीत पर अरब देश के लोगों की प्रतिक्रिया
सबसे घनी आबादी वाले अरब देश मिस्र की राजधानी काहिरा में नाई की दुकान पर बैठे लोगों से जब पूछा गया कि वो ट्रंप की जीत पर क्या कहेंगे,तो वो एक दूसरे का मुंह ताकते नजर आए। दो लोगों ने कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं है कि अमेरिका में कौन कौन चुनावी मैदान में है। वहीं हेयर ड्रेसर मोना ने अपने देश में चल रहे आर्थिक संकट की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जो यहां हो रहा है, हमारी नजर उस पर रहती है, हमारे लिए तो यही काफी है।
तस्वीरें: अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जीवन से जुड़े अनछुए पहलू
एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उसे अमेरिकी चुनाव के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन इतना पता है कि "ट्रंप मुसलमानों के लिए ठीक नहीं हैं। इसी तरह छात्रों ने कहा कि उन्हें भी अमेरिकी चुनाव के बारे में ज्यादा नहीं पता है। काहिरा ही वो शहर है जहां आठ साल पहले चुनाव जीतने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबमा ने अहम भाषण देते हुए मुसलमानों के प्रति अमेरिकी रवैये में बदलाव पर जोर दिया।
ट्रंप की जीत पर कतर के लोगों का क्या है कहना
कतर में रहने वाले लीबियाई मूल के एक अमेरिकी लेखक हेंद एमरी कहते हैं कि मुझे लगता है कि अरब दुनिया खुद अपने अस्तित्व के संकट के जूझ रही है। यहां लोगों के पास ये सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं है कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों का उन पर क्या फर्क पड़ेगा।
ट्रंप की जीत पर मुस्लिम धर्मगुरु फिरंगी महली की प्रतिक्रिया
इराक में थी किस तरह की प्रतिक्रिया
बगदाद के एक कैफे में लोग अमेरिकी चुनाव नतीजों पर गहरी नजर रखे हुए थे। ज्यादातर लोगों का मानना बै कि बगदाद की तबाही के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को जिम्मेदार थे। जिन्होंने 2003 में इराक पर हमले का आदेश दिया था। फिर भी लोगों ने ट्रंप का समर्थन किया। लोगों का कहना है कि रिपब्लिकन शासन में इराक ने जो मुश्किलें झेली हैं। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ ट्रंप का सख्त रुख पसंद है।लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि डेमोक्रेट्स कहीं ज्यादा समझदार हैं। डेमोक्रेट राष्ट्रपति ओबामा ने ही इराक से सेना हटाने का फैसला किया है।
यूएई-सऊदी अरब में प्रतिक्रिया
यूएई में रहने वाले विश्लेषक अब्देल खालिद अब्दुल्लाह कहते हैं कि खाड़ी देशों में ट्रंप के मुकाबले क्लिंटन को ज्यादा समर्थन हासिल था. उनके मुताबिक, "क्लिंटन को इस क्षेत्र के मुद्दों की जानकारी थी। हालांकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को ईरान के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने की ओबामा की नीति बिल्कुल पसंद नहीं आई।सऊदी लेखक जमाल खाशोगी कहते हैं कि क्लिंटन सऊदी अरब को लेकर कहीं स्पष्ट रुख रखती थीं लेकिन ट्रंप के बारे में कुछ कह ही नहीं सकते कि वो क्या कब क्या करेंगे?
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
-अब अमेरिका अगले चार साल तक हैलोवीन मनाएगा।क्योंकि अब शायद अमेरिका अब रहने लायक देश नहीं बचे।
-अच्छा हुआ ट्रंप जीत गए, अमेरिका अब एक और क्लिंटन का राज नहीं झेल सकता था।
-ट्रंप की जीत असल में हर अमेरिकी की जीत है।
-9/11 कभी न भूलने वाला दिन और 11/9 हमेशा पछतावे के लिए याद किया जाएगा।
-क्या कोई मंगल ग्रह पर रहने के लिए टिकट बेच रहा है ?
डोनाल्ड ट्रंप की जीत समझिए भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मायने