त्रिपुरा में शून्य से सत्ता के शिखर पर पहुंची BJP, इस तरह दी लेफ्ट को करारी शिकस्त
त्रिपुरा में भाजपा सत्ता के करीब पहुंचने की स्थिति में नजर आ रही है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। शायद पिछले कई दशकों में यह पहला मौका होगा जब किसी राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा और लेफ्ट में पहली बार आमने-सामने की टक्कर रही हो। त्रिपुरा में जहां लेफ्ट गठबंधन ने सभी 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहीं भाजपा ने 50 सीटों पर तो खुद चुनाव लड़ा और नौ सीटें उसने अपने सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा के लिए छोड़ दी। अब तक आए 59 सीटों के रुझानों में भाजपा जहां 41 सीटों पर आगे चल रही है, वहीं 25 सालों से सत्ता संभाल रही लेफ्ट 18 सीटों पर आगे चल रही है।
एमसीपी उम्मीदवार के निधन के कारण आरक्षित सीट चारिलाम का चुनाव टाल दिया गया था जिस पर 12 मार्च को मतदान होगा। 18 फरवरी को विधानसभा की 60 में से 59 सीटों पर हुए मतदान में 92 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने वोट डालकर देश के चुनावी इतिहास में एक रिकार्ड बनाया था। रूझानों को नतीजों में तब्दील होना लगभग तय है। भाजपा के लिए यह ऐतिहासिक है, जो 2013 के चुनावों में यहां खाता भी नहीं खोल पाई थी उसनेे पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज लेफ्ट सरकार को सत्ताच्युत कर दिया है। पीएम मोदी ने त्रिपुरा की जीत के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई दी है।
आखिर कैसे लेफ्ट के किले को ढहाया भाजपा ने
- इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज लेफ्ट सरकार के खिलाफ एंटी इनकेंबसी थी।
- भाजपा की जीत में संघ के योगदान को कमतर नहीं आंका जा सकता है क्योंकि संघ कई साल से संघ वहां पर जमीनी तौर पर कार्य कर रहा है।
- चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ भाजपा की सदस्यता हासिल कर ली जिससे कांग्रेस के पास वहां कोई दमदार चेहरा नहीं बचा।
- गुजरात और विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भी भाजपा ने सुस्ती नहीं दिखाई। इन राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छुट्टियां मनाने विदेश चले गए थे वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वोत्तर के लिए अपनी चुनावी बिसात बनानी शुरू कर दी थी और खुद वो पूर्वोत्तर पहुंचे थे।
वाम गठबंधन सरकार के मुखिया माणिक सरकार को उम्मीद है कि जनता उन्हें पांचवीं बार राज्य की बागडोर सौंपेगी। अगर 1988 से 1993 तक कांग्रेस नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को छोड़ दें तो त्रिपुरा में 1978 से लेकर अब तक वाम मोर्चा की सरकार है। वर्तमान मुख्यमंत्री माणिक सरकार 1998 से सत्ता में हैं।