जयललिता अंदाज में स्टालिन मांग रहे मतदाताओं से जवाब, कद साबित करने का मुकाबला
स्टालिन ने द्रमुक के घोषणा पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें समाज के हर वर्ग का ध्यान रखकर विकास की गति को तेज करने की योजना है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सांप्रदायिक भावना को उभारकर देश को कमजोर किया है।
तिरुनेलवेली, प्रेट्र। द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन को विश्वास है कि तमिलनाडु में सत्ता की कमान इस बार उनके हाथ आ जाएगी। पार्टी की कट्टर विरोधी रहीं जे जयललिता के अंदाज में स्टालिन का प्रचार अभियान आगे बढ़ रहा है। तिरुनेलवेली इलाके की सभाओं में उन्होंने शनिवार को जयललिता अंदाज में मतदाताओं से पूछा- सेक्यूलर प्रोग्रेसिव एलायंस प्रत्याशी की जीत संभव बनाओगे..?? समर्थकों की भीड़ से उन्हें सकारात्मक जवाब मिला। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए छह अप्रैल को मतदान होगा।
स्टालिन कहते हैं- छह अप्रैल के मतदान से न केवल तमिलनाडु की सत्ता बदलेगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का सपना भी टूटेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों शीर्ष भाजपा नेताओं ने सांप्रदायिक भावना को उभारकर देश को कमजोर किया है। ऐसे में सांप्रदायिक सोच से तैयार किए जा रहे ढांचे को खत्म करने के लिए द्रमुक और उसके सहयोगी दलों को वोट दें।
स्टालिन ने द्रमुक के घोषणा पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें समाज के हर वर्ग का ध्यान रखकर विकास की गति को तेज करने की योजना है। वह बीच-बीच में भीड़ से पूछते भी रहते हैं, सुधार के लिए किसको वोट देना है..?? जाहिर है जवाब में द्रमुक और उसके सहयोगी दल के प्रत्याशी का नाम ही गूंजता है।
राजनीति पर नजर रखने वाले याद करते हैं कि जयललिता भी भीड़ से ऐसा ही सवाल पूछती थीं। किसे वोट दोगे..?? क्या ऐसा करोगे..?? जवाब आने पर वह अपने प्रत्याशी की जीत का अंदाजा लगाती थीं। तमिलनाडु में यह पहला चुनाव है जब करुणानिधि, जयललिता या अन्य बड़े लोकप्रिय नेता की मौजूदगी नहीं है। मुख्यमंत्री पलानीस्वामी को अपना राजनीतिक कद साबित करना है तो स्टालिन को अपनी विरासत की मजबूती साबित करनी है। आने वाला चुनाव परिणाम तमिलनाडु की राजनीतिक दिशा भी तय करेगा।