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राजस्‍थान चुनाव: कांग्रेस सवर्णों के तो भाजपा ओबीसी के भरोसे

भाजपा ने इस बार मौजूदा विधायकों में से तीन चेहरे बदल कर युवाओं को मौका दे लाभार्थी, नवमतदाता, महिलाओं, व विकास बूते सरकार में बापसी की मंशा दर्शाई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 12:50 PM (IST)
राजस्‍थान चुनाव: कांग्रेस सवर्णों के तो भाजपा ओबीसी के भरोसे
राजस्‍थान चुनाव: कांग्रेस सवर्णों के तो भाजपा ओबीसी के भरोसे

अजमेर, सन्तोष गुप्ता। राजस्थान विधान सभा चुनाव 2018 के लिए नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन कांग्रेस और भाजपा की ओर से अजमेर की आठों सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए जाने से अब चुनावी परिदृश्य साफ हो गया है। भाजपा यहां से ओबीसी के भरोसे चुनाव मैदान में खड़ी है तो कांग्रेस ने सवर्ण कार्ड खेल कर भाजपा को बड़ी चुनौती दी है।

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अब तक हिन्दुत्व एकजुटता के बूते संभाग से किसी भी मुस्लिम को टिकिट नहीं देने का दिखावा करने वाली भाजपा को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सचिन पायलट के सामने टोंक सीट से सड़क एवं परिवहन मंत्री युनूस खान को उतार कर खुद ही मुंह की खानी पड़ी। टोंक में भाजपा की आंतरिक कलह और पूर्व घोषित प्रत्याशी के विरोध के चलते सीट भाजपा की मुट्ठी से यूं भी रेत की तरह फिसलती दिख रही थी, वहीं वैश्य समुदाय को संतुष्ट रखने के लिए टोंक के बदले केकड़ी सीट से कांग्रेस के प्रदेश प्रचार प्रमुख एवं सांसद डाॅ. रघु शर्मा के सामने भाजपा ने राजेन्द्र कुमार जैन(विनायका) को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस के लिए यह सीट भी चांदी की तस्तरी में सजाकर रख दी।

मौटे तौर पर दिखाई दे रहे जातिय समीकरण के आधार पर अजमेर विधान सभा चुनाव में भाजपा ने आठ में से चार सीट पुष्कर, ब्यावर, नसीराबाद व किशनगढ़ ओबीसी को, केकड़ी सीट वैश्य जैन (अल्पसंख्यक), अजमेर उत्तर सीट सिंधी (जो स्वयं अल्पसंयक होने का दावा करते हैं) अजमेर दक्षिण सीट एससी(आरक्षित) वर्ग को, सौंपी है जबकि एक मात्र मसूदा सीट राजपूत वर्ग यानी सवर्ण के खाते में गई है।

दूसरी और कांग्रेस ने सोशल इंजीनियरिंग बैठाते हुए अजमेर से केकड़ी व मसूदा सीट ब्राह्मण वर्ग को, अजमेर उत्तर राजपूत को, ब्यावर वैश्य जैन को, तीर्थ नगरी पुष्कर से मुस्लिम, नसीराबाद से गुर्जर व किशनगढ़ से जाट को देकर ओबीसी वर्ग को साधा है वहीं अजमेर दक्षिण आरक्षित सीट से एससी (कोली) उम्मीदवार बनाकर सभी जातियों को एक जाजम पर बैठाने का प्रयास किया है।

यदि चुनाव में बागियों की स्थिति को एक बार नजरअंदाज किया जाए तो भी अजमेर से चुनावी रण जातिय समीकरण के आधार पर कांग्रेस के पक्ष का बनता दिखाई दे रहा है। इस बार चुनाव में समूचे जिले के 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाताओं को मताधिकार का प्रयोग करना है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 41 हजार के आसपास है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 9 हजार। अमूमन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में औसत 2 लाख 50 हजार के आस पास मतदाता हैं। इनमें जिस जात बिरादरी का जोर जिस विधानसभा सीट पर ज्यादा है वहां से वह बढ़त में रहता आया है और टिकट भी उसी जात बिरादरी को मिलता रहा है। इस बार पहली बार इसमें उलट फेर देखा गया।

अजमेर जिले में करीब ढाई लाख जाट, डेढ़ लाख गुर्जर, सवा लाख ब्राह्मण, इतने ही वैश्य, सवा लाख राजपूत, दो लाख मुसलमान, दो लाख ओबीसी, दो लाख एससी, एक लाख एसटी, 70 हजार सिंधी, 70 हजार माली, 50 हजार इसाई व अन्य मतदाता हैं।

यह होंगे आमने सामने-

अजमेर उत्तर- भाजपा से वासुदेव देवनानी, कांग्रेस से महेन्द्रसिंह रलावता,

अजमेर दक्षिण- भाजपा से अनिता भदेल, कांग्रेस से हेमंत भाटी,

किशनगढ़ - भाजपा से विकास चैधरी, कांग्रेस से नंदाराम धाकण,

केकड़ी - भाजपा से राजेन्द्र विनायका, कांग्रेस से डाॅ रघु शर्मा,

मसूदा- भाजपा से सुशील कंवर पलाड़ा, कांग्रेस से राकेश पारीक

पुष्कर - भाजपा से सुरेश रावत, कांग्रेस से नसीम अख्तर इंसाफ,

ब्यावर- भाजपा से शंकर सिंह रावत, कांग्रेस से पारस पंच,

कुल मिला कर भाजपा ने इस बार मौजूदा विधायकों में से आठा में से तीन चेहरे बदल कर व युवाओं को मौका को मौका देकर लाभार्थी, नवमतदाता, महिलाओं, व विकास के बूते सरकार में बापसी की मंशा दर्शाई है। वहीं कांग्रेस ने भी तीन चहरे बदल कर और सभी जातियों को साथ लेकर, सवर्णों का हाथ पकड़ कर चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा को चुनौती दी है। देखना है कि भाजपाइयों का संकल्प अडिग रहता है या कांग्रेस की परिवर्तन लहर में उखड़ जाता है।


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