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    Rajasthan Election : चित्तौड़गढ़ में 'गौरव' की लड़ाई, बगावत की आग बुझाने की चुनौती से जूझ रही बीजेपी

    By Siddharth ChaurasiyaEdited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Tue, 31 Oct 2023 05:04 PM (IST)

    उल्लेखनीय है कि भाजपा के बागी विधायक इसे चित्तौड़गढ़ के गौरव का मुद्दा बनाने और 25 नवंबर को होने वाले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने के ...और पढ़ें

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    चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है।

    पीटीआई, चित्तौड़गढ़/जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए चित्तौड़गढ़ सीट से टिकट नहीं मिलने पर दो बार के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के समर्थकों ने कई विरोध प्रदर्शन किए। यह विधानसभा क्षेत्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। आक्या ने पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के लिए सीधे तौर पर जोशी को जिम्मेदार ठहराया है।

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    आक्या ने आरोप लगाया है कि पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है। भाजपा नेता ने कहा, "यह निश्चित रूप से 'स्वाभिमान' (गौरव) की लड़ाई है। मैं हर समय लोगों के बीच रहा हूं और हमेशा पार्टी के लिए काम किया है। इसका कोई जवाब नहीं है कि मेरा नाम क्यों हटा दिया गया और एक बाहरी व्यक्ति को भेजा गया। लोग हैं मेरे साथ हैं और वे चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं।"

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    उल्लेखनीय है कि भाजपा के बागी विधायक इसे चित्तौड़गढ़ के गौरव का मुद्दा बनाने और 25 नवंबर को होने वाले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जब भाजपा ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद और पांच बार के विधायक नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो ऐसे में नेताओं का बागी होना लाजमी था।

    भाजपा नेता ने पीटीआई से कहा, "मैं निश्चित रूप से चुनाव लड़ूंगा। मुझे उम्मीद है कि पार्टी अपना उम्मीदवार बदल देगी।" आक्या ने कांग्रेस में जाने की संभावना को खारिज कर दिया, जिसने अभी तक इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, और कहा कि अगर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वह इस सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे और आखिरी बार नामांकन दाखिल करेंगे।

    आक्या के समर्थक उनके पीछे एकजुट हो गए हैं, जिससे यह मुकाबला "स्थानीय बनाम बाहरी" हो गया है, जबकि राजवी पहले इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं, तो उन्हें "बाहरी व्यक्ति" कहा जा रहा है। दूसरी ओर राजवी ने "बाहरी" टैग को खारिज करते हुए कहा, "मेवाड़ मेरे दिल में है, तो मैं बाहरी कैसे हूं?" उन्होंने कहा कि 1993-98 और 2003-2008 में विधायक के रूप में उन्होंने क्षेत्र के लिए काम किया है।

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