राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस गुटबाजी की शिकार
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में शह और मात का खेल भी तेज होता जा रहा है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में खींचतान बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आ रहे हैं, दोनों ही दलों के नेताओं में शह और मात का खेल भी तेज होता जा रहा है। टिकट वितरण की कमान अपने हाथ में लेने को लेकर नेता कसरत में जुटे हैं।
भाजपा में एक तरफ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खेमा है, वहीं संघ पृष्ठभूमि के नेता प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में दूसरा खेमा है। उधर, कांग्रेस में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट खेमों के बीच शीत युद्ध चल रहा है।
गहलोत और पायलट दोनों अपने-अपने समर्थकों को अधिक से अधिक संख्या में टिकट दिलवाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं के समर्थक जयपुर से लेकर दिल्ली तक सक्रिय होकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी तक अपने-अपने नेता के समर्थन में माहौल बनाने में जुटे हैं। प्रदेश कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी का भी एक खेमा है, लेकिन वे फिलहाल गहलोत और पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध पर नजर रख रहे हैं।
भाजपा में वसुंधरा समर्थकों और संघ पृष्ठभूमि के नेताओं बीच शीतयुद्ध
जैसे-जैसे चुनाव निकट आते जा रहे है भाजपा में नेताओं के गुटों में शह और मात का खेल भी तेज हो गया है। एक तरफ सीएम वसुंधरा राजे का खेमा है, तो दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया की अगुवाई में संघ पृष्ठभूमि के नेताओं की टीम है।
वसुंधरा विरोधी खेमे को कुछ समय पहले तक यह उम्मीद थी कि राष्ट्रीय नेतृत्व सीएम को आगे करने के स्थान पर पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और नाम पर चुनाव लड़ने की घोषणा करेगा। लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान यात्रा के दौरान दो बार कहा कि पार्टी प्रदेश में वसुंधरा राजे के नेतृत्व और मोदी के चेहरे एवं नाम के आधार पर चुनाव लड़ेगी।
अमित शाह के इस बयान के बाद वसुंधरा खेमे में तो खुशी का माहौल है,लेकिन अब तक सीएम का अंदरखाने विरोध कर रहे संघ पृष्ठभमि के नेताओं में निराशा छा गई। अब वसुंधरा विरोधी खेमा चाहता है कि टिकट तय करने में संघ के प्रदेश पदाधिकारियों की राय का प्राथमिकता मिले, जिसे सीएम समर्थकों के नाम कट सके। इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व तक लॉबिंग भी की गई है। वसुंधरा विरोधी खेमे को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर से उम्मीद है। शुरू से ही वसुंधरा विरोधी रहे माथुर पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों के ही निकट है।
कांग्रेस में एकजुटता का दिखावा, आंतरिक खींचतान तेज
एकजुटता का संदेश देने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता एक साथ बस में बैठकर संकल्प रैलियों में जा रहे है। करौली में कांग्रेस की संकल्प रैली में सचिन पायलट एक कार्यकर्ता की मोटरसाइकिल लेकर अशोक गहलोत को अपने पीछे बैठाकर रैली स्थल पहुंचे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सागवाड़ा की रैली में दोनों नेताओं की इस दोस्ती का स्वागत भी किया। लेकिन पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि यह सब दिखावा मात्र है। कांग्रेस में एकजुटता का दिखावा तो हो रहा है, लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों में जबरदस्त खींचतान जारी है।
गहलोत और पायलट की रणनीति अपने अधिक से अधिक समर्थकों को टिकट दिलवाने की है, जिससे की बहुमत में आने पर सीएम पद के लिए दावा पेश किया जा सके। दोनों ही नेताओं के समर्थक जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग में जुटे है। गहलोत खेमे की कमान राज्यसभा के पूर्व सदस्य अश्क अली टांक,पूर्व सांसद महेश जोशी,हरीश चौधरी और बद्री जाखड़ ने संभाल रखी है।
वहीं, पायलट खेमे की अगुवाई पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल,डॉ.हरिसिंह,राजेन्द्र चौधरी और पूर्व सांसद गोपाल सिंह कर रहे है। गहलोत और पायलट की आपसी खींचतान के चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी को अपना फायदा होने की उम्मीद है।
गुटबाजी से कैसे उबरेगी भाजपा और कांग्रेस?
राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में चरम पर पहुंची गुटबाजी को खत्म करने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए चुनौती है। ऐसे में यदि चुनाव से पहले गुटबाजी और निजी स्वार्थ किनारे रख कर संपूर्ण नेतृत्व एकजुट नहीं होता है तो भाजपा को सत्ता में दोबारा वापसी करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस को भी मुश्किल हो सकती है।