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राजस्थान विधानसभा चुनाव: नेताओं को अब है लोक देवताओं का सहारा

वादों, विकास के गुणगान के साथ ही अब लोक देवताओं की एंट्री भी हो चुकी है, जिनके माध्यम से नेता अपना वोट बैंक पक्का करने में जुटे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 03:07 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 03:07 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनाव: नेताओं को अब है लोक देवताओं का सहारा
राजस्थान विधानसभा चुनाव: नेताओं को अब है लोक देवताओं का सहारा

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। जीत पक्की करने के लिए राजनीतिक दलों के नेता वो हर कदम उठा रहे है, जिसके कारण उन्हे वोट मिल सके। वादों, विकास के गुणगान के साथ ही अब लोक देवताओं की एंट्री भी हो चुकी है, जिनके माध्यम से नेता अपना वोट बैंक पक्का करने में जुटे है। नेता अपनी यात्रा और भाषण की शुरुआत लोक देवाओं को नमन करके कर रहे हैं।

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दरअसल, प्रदेश में कई ऐसे कई धार्मिक स्थल है,जिनके प्रति लोगों में काफी आस्था है। इन मंदिरों से जुड़ी लोगों की आस्था का राजनीतिक लाभ उठाने में अब नेता जुट गए है। प्रदेश में कई ऐसे महापुरुष भी हुए हैं, जिन्हें वर्तमान में भगवान के रूप में पूजा जाता है। 

राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल और अवतार

1. तेजाजी- मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों में तेजाजी के प्रति जाट समुदाय के लोगों की काफी आस्था है। स्थानीय लोगों के अनुसार नेता अपने चुनाव प्रचार में लोक देवताओं की बात जरूर करते है। मान्यता है कि तेजाजी का जन्म जाट वंश में हुआ था, जिसके आधार पर उन्हें जाटों का अराध्य देव कहा जाता है । माना जाता है कि जाट प्रदेश की 50 सीटों पर अहम भूमिका निभाते हैं।

2. वीर अमर सिंह राठौड़- राजस्थान में जाट और राजपूतों की राजनीति अलग-अलग चलती रही है। मारवाड़ में राजपूत समुदाय से अपना जुड़ाव रखने के लिए वीर अमर सिंह राठौड़ को याद किया जाता है । राजपूत समाज इन्हें आदर्श मानता है और हर साल नागौर में इनकी जयंती भी मनाई जाती है ।मारवाड़ में राजपूत समा का 12 सीटों पर प्रभाव है।

3. रामदेव जी- राजस्थान के लोकदेवताओं में रामदेव सबसे प्रमुख हैं और रामदेवरा (जैसलमेर) में इनका मंदिर है, जहां राजस्थान से ही नहीं मध्यप्रदेश और गुजरात से भी लोग आते है। रामदेव जी भले ही राजपूत थे, लेकिन दलितों के लिए किए गए उनके कार्यों के कारण इस वर्ग में उनकी खास आस्था है। सियासी तौर पर देखा जाए राज्य की करीब 60 सीटों पर एससी-एसटी वर्ग का दबदबा माना जाता है।

4. पाबू जी- पाबूजी को गायों, ऊंटों के देवता के रूप में मानते है। जोधपुर संभाग में इनकी खास मान्यता है। माना जाता है कि पाबू जी पहली बार अरब से ऊंट लेकर आए थे और गायों की रक्षा करते हुए ही उन्होंने अपने प्राण दे दिए थे । पाबू जी के माध्यम से राईका और रेबारी समुदाय के वोट लेने की कोशिश नेता की रहे है।

5. खाटू श्यामजी और सालासर शेखावाटी में स्थित इन दोनो मंदिरों के प्रति लोगों की काफी आस्था है। शेखावाटी ही नहीं बल्कि प्रवासी राजस्थानियों में प्रत्येक शुभ काम इस मंदिर के दर्शन करने से ही प्रारंभ होता है। चार जिलों के लोग यहां निरंतर आते रहते है।

6. सांवलियाजी-उदयपुर संभाग के प्रमुख धार्मिक स्थल सावंलिया जी को राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के लोगों में भी काफी पूजा जाता है। कांग्रेस ने अपने गौरव सम्मेलन की शुरूआत यहीं से की थी।

7. श्रीनाथजी-राजस्थान के साथ दिल्ली और गुजरात के लोगों में इस धार्मिक स्थल की काफी मान्यता है। उदयपुर संभाग के लोग बड़ी संख्या में लगातार यहां पूजा-अर्चना के लिए आते रहते है। पिछले माह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यहां पूजा-अर्चना की थी।

8. करणी माता-बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता को चारण समाज की कुलदेवी माना जाता है। प्रदेश में चारण समाज के वोट बैंक को पक्का करने के लिए नेता अक्सर यहां आते रहते है। पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने यहां पूजा की थी।

9. मानगढ़ धाम-आदिवासियों का प्रमुख धार्मिक स्थल मानगढ़ धाम राजस्थान के अतिरिक्त गुजरात के लोगों के आस्था का केंद्र है। पिछले माह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां पूजा की थी।

10. गोविंद देवजी मंदिर -गोविंद देवजी को जयपुर का अराध्यदेव माना जाता है। पिछले माह अपनी जयपुर यात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मंदिर में पूजा की थी। 


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