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राजस्थान में भाजपा का टिकट पाने के लिए न उम्र की सीमा और न रिश्तेदारी का चक्कर

राजस्थान में भाजपा का टिकट पाने के लिए इस बार न उम्र की सीमा है और वंशवाद का झमेला। इस बार टिकट के लिए एकमात्र शर्त है जीतने की ताकत।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 12:14 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 12:14 PM (IST)
राजस्थान में भाजपा का टिकट पाने के लिए न उम्र की सीमा और न रिश्तेदारी का चक्कर
राजस्थान में भाजपा का टिकट पाने के लिए न उम्र की सीमा और न रिश्तेदारी का चक्कर

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में भाजपा का टिकट पाने के लिए इस बार न उम्र की सीमा है और वंशवाद का झमेला। इस बार टिकट के लिए एकमात्र शर्त है जीतने की ताकत। पार्टी को सिर्फ जिताउ उम्मीदवार चाहिए। कम से कम नेताओं के बयानों से तो ऐसा ही लग रहा है।

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राजस्थान में भाजपा सरकार में है और सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। टिकट तय करने की प्रक्रिया लगभग अंतिम दौर में है, लेकिन पार्टी ने अभी तक टिकट तय करने के मापदण्ड घोषित नहीं किए है। पहले यह कहा जा रहा था कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिए जाएंगे।

इसके अलावा वंशवाद से भी परहेज रखा जाएगा और नेताओ के रिश्तेदारों को मौका नहीं दिया जाएगा, लेकिन इस बारे में पार्टी ने अभी तक कोई अधिकृत घोषणा नहीं की है। पार्टी की एक ओर से दो चरण में की गई रायशुमारी में सभी तरह के नेताओं ने अपनी उम्मीदवारी जताई या समर्थको के जरिए नाम आगे बढवाया।

टिकट के लिए जिताउ होने की एकमात्र शर्त के बारे में नेताओं के बयान भी काफी हद तक स्पष्ट है। हाल में मीडिया ने इस बो में जब पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावडेकर से टिकट तय करने में उम्र या नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने के बारे में सवाल पूछा था तो उन्होंने कहा था कि जो भी व्यक्ति जीतने की क्षमता रखता है हम उसे टिकट देंगे। इससे पहले पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने भी यही कहा था कि हम जिताउ उम्मीदवार को टिकट देंगे। नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने के मामले में कोर कमेटी के सदस्य राजेन्द्र राठैड से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि यदि कोई रिश्तेदार पार्टी का कार्यकर्ता है तो उसे मौका दिया जा सकता है।

बीस मौजूदा विधयक है 70 पार-

पार्टी के मौजूदा 160 विधायकों में से करीब 20 ऐसे है जो 70 वर्ष या इससे अधिक उम्र के है। इनमें गुलाब चद कटारिया, डा. रामप्रताप, नंदलाल मीणा, अमरारम जैसे मंत्री भी है। जिनके टिकट कटने की सम्भावना नही है। इनमें से हालाकि नंदलाल मीणा खुद को चुनाव से दूर कर चुके है और अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे है। जहां तक नेता रिश्तेदारों की बात है तो मंत्री नंदलाल मीणा के अलावा जसवंत यादव, अनुसूचित जाति आयो के अध्यक्ष सुंदरलाल, किरोडीलाल मीणा जैसे बडे नेता खुल कर अपने बच्चों या रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे है। बाकी बचे विधायकों में से कुछ के टिकट काटे जा सकते है। हालांकि हाल में हुई रायशुमारी में कार्यकर्ताओं ने बार-बार उन्हीं नेताओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने का विरोध किया है औश्र नए चेहरों को मौका दिए जाने की मांग की है। 


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