राजस्थान में हाथ ने उखाड़ फेंका कमल, लेकिन यही रहा है यहां का ट्रेंड
राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में एक बार फिर से जनता उलट-फेर करती हुई दिखाई दे रही है। जनता ने इस बार सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंप दी है तो भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में एक बार फिर से जनता उलट-फेर करती हुई दिखाई दे रही है। जनता ने इस बार सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंप दी है तो भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया है। हालांकि यहां मतदान का परिणाम आने से पहले तक भाजपा अपनी वापसी की बात कहती आ रही थी, लेकिन जनता ने यहां पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर उसको गलत साबित कर दिया है। बहरहाल, जहां तक राजस्थान की बात है तो यहां पर 1993 से लगातार हर विधानसभा चुनाव में जनता सत्ता की चाबी विपक्षी पार्टी को देती रही है।
1993-2018
1993 में यहां पर भैरो सिंह शेखावत के नेतृत्व में दूसरी बार भाजपा ने सरकार बनाई थी। इसके बाद 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में पास पलटा और जनता ने सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंप दी और अशोक गहलोत के हाथों में इसकी कमान आ गई। 2003 में एक बार फिर यहां पर भाजपा ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनाई। 2008 में यहां एक बार फिर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई और अशोक गहलोत सीएम बने। 2013 में हुए चुनाव में फिर सत्ता वसुंधरा राजे के हाथों में आ गई। अब 15वें विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से यह भाजपा के हाथों से खिसक कर कांग्रेस के हाथों में आ गई है। हालांकि यहां की सत्ता पर कौन काबिज होगा इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी खुद करेंगे।
1952-1990
राजस्थान में यह कहना गलत नहीं होगा कि हमेशा ही कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है। 1952 में यहां पर पहली बार विधानसभा चुनाव करवाए गए थे। इस कार्यकाल में राज्य ने कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों को देखा। 1957, 1962, 1967 और 1972 तक यहां पर कांग्रेस का ही शासन रहा। 1977 में पहली बार राज्य में जनता पार्टी के रूप में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। इस वक्त भैरो सिंह शेखावत ने राज्य की कमान संभाली थी। 1980 के विधानसभा चुनाव में यहां फिर कांग्रेस लौटी और उसका यह राज दस वर्षों तक कायम रहा। 1990 में भाजपा ने जीत दर्ज की और भैरो सिंह शेखावत फिर राज्य की कमान संभाली।
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