राजस्थान चुनाव: आदिवासी क्षेत्रों में समानता मंच उतारेगा उम्मीदवार
राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर राजनीतिक दलों ने कसरत तेज कर दी है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर राजनीतिक दलों ने कसरत तेज कर दी है। वहीं, प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और सिरोही जिलों में गैर आदिवासी वर्ग ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।
समानता मंच के बैनर तले एकजुट हुए सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के लोगों ने जनजाति उपयोजना क्षेत्र (टीएसपी एरिया) में एसटी वर्ग के ही ऐसे लोगों को चुनाव लड़ाने का निर्णय किया है, जो उनकी मांग का समर्थन करे। समानता मंच टीएससी एरिया में शामिल जिलों में एक-एक विधानसभा सीट सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित करने की मांग को लेकर पिछले डेढ़ दशक से आंदोलन कर रहा है।
बढ़ सकती है कांग्रेस और भाजपा की मुश्किल
राज्य के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ जिलों के साथ ही उदयपुर ग्रामीण और सिरोही जिलों का कुछ हिस्सा टीएसपी एरिया में अाते हैं। इनमें डूंगरपुर, चौरासी, सागवाड़ा, आसपुर, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, बागीदोरा, घाटोल, गढ़ी, झाड़ोल, खेरवाड़ा, प्रतापगढ़, गोगुन्दा, झाड़ोल और उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इन सभी विधानसभा सीटों के एसटी के लिए आरक्षित होने के कारण सामान्य एवं ओबीसी वर्ग में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के लोगों ने समानता मंच नामक सामाजिक संगठन के बैनर तले अपने हक को लेकर लंबे समय से आंदोलन चला रखा है। इनकी मांग है कि टीएसपी क्षेत्र की प्रत्येक जिले मे एक विधानसभा सीट सामान्य व ओबीसी के लिए होनी चाहिए। उसी प्रकार पंचायत समितियो में भी प्रधान पद पर भी सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए होनी चाहिए। इसके साथ ही सरपंच चुनाव में भी अनुपातिक जनसंख्या का महत्व होना चाहिए। समानता मंच की मांग है कि जनजाति उपयोजना क्षेत्र में एसटी वर्ग को मिलने वाली सुविधाएं सभी वर्गों के लिए एक समान होनी चाहिए।
दरअसल, टीएसपी क्षेत्र में सरपंच से लेकर सांसद तक सभी राजनैतिक पद एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। समानता मंच ने समय-समय पर सामान्य व ओबीसी वर्ग की बहुलता वाले क्षेत्रो में सरपंच चुनाव के लिए रोस्टर प्रणाली लागू करने की मांग उठाता आया है। समानता मंच के टीएसपी क्षेत्र के प्रमुख दिग्विजय सिंह का कहना है मांगों को पूरा नहीं किए जाने का खामियाजा भाजपा सरकार को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने समानता मंच को धोखा दिया है, जिसके चलते समानता मंच टीएसपी एरिया की सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाएगा।
समानता मंच द्वारा विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा ने कांग्रेस व भाजपा की मुश्किलें तो बढ़ा दी हैं, क्योंकि टीएसपी क्षेत्र के सभी जिलों की सीटें एसटी आरक्षित होने से एसटी वर्ग के वोटों का धुर्वीकरण हो जाता है और उस स्थिति में सामान्य व ओबीसी वर्ग के वोट निर्णायक वोट माने जाते हैं। अब देखना होगा कि समानता मंच की इस हुंकार से विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को कितना फायदा और कितना नुकसान होता है।