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गहलोत ने वसुंधरा सरकार में बने बोर्ड, निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्तियां निरस्‍त की

Appointments canceled in Rajasthan. गहलोत सरकार ने वसुंधरा सरकार में बनाए गए बोर्ड एवं निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्तियां निरस्‍त कर दी हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 05:15 PM (IST)
गहलोत ने वसुंधरा सरकार में बने बोर्ड, निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्तियां निरस्‍त की
गहलोत ने वसुंधरा सरकार में बने बोर्ड, निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्तियां निरस्‍त की

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने मंत्रिमंडल गठन से एक दिन पहले वसुंधरा राजे सरकार में बनाए गए बोर्ड एवं निगमों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्तियां निरस्‍त कर दी हैं। प्रशासनिक सुधार विभाग ने आदेश जारी कर बोर्डों और आयोगों को भी भंग कर दिया है। इसके साथ ही कैबिनेट सचिवालय में इन्हें दिया गया कैबिनेट, राज्यमंत्री या उपमंत्री का दर्जा वापस ले लिया है।

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अब उनसे इस दर्जे के बतौर मिली गाड़ियां, भत्ते और ऑफिस की विशेष सुविधाएं वापस ले ली गई है। अब गहलोत सरकार नए ढंग से कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उपकृत करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियां करेगी। सोमवार को होने वाले मंत्रिमंडल गठन में जिन वरिष्ठ विधायकों को स्थान नहीं मिलेगा, उन्हे बोर्ड एवं निगमों में समायोजित किया जाएगा।

इन निगम एवं बोर्डों को भंग किया गया

गहलोत सरकार ने राज्य वित्त आयोग, बीज निगम, समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, राज्य महिला आयोग, ओबीसी आयोग, एससी-एसटी आयोग,सार्वजनिक प्रन्यास मंडल, पशुपालक कल्याण बोर्ड, युवा बोर्ड, किसान आयोग, अंतरराज्यीय जल विवाद निवारण समिति, धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण, नदी जल बेसिन प्राधिकरण, भामाशाह प्राधिकरण, देवनारायण बोर्ड, बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के साथ ही सभी बड़े शहरों में बने विकास प्राधिकरणों को भी भंग कर दिया है। इनमें नियुक्त किए गए अध्यक्षों, उपाध्यक्षों एवं सदस्यों की सुविधाएं समाप्त करने के साथ ही इनसे मंत्री स्तर का दर्जा वापस ले लिया गया है।

प्रशासनिक सुधार विभाग ने यह भी आदेश में कहा कि जिस भी आयोग, बोर्ड, निगम और कॉरपोरेशन को भंग करने में न्यायिक या संवैधानिक बाधा आ रही हो उसके संबंध में पूरी तथ्यात्मक जानकारी सीएमओ को भेजवाए, ताकि उनके बारे में सीएमओ स्तर पर निर्णय लिया जा सके। शपथ लेने के बाद लगातार दो दिन तक सीएम गहलोत ने ब्यूरोक्रेसी में बदलाव कर दिया था। अब राजनीतिक नियुक्तियां समाप्त कर दी गई हैं।  


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