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सजा सियासी रण, वॉर रूम में बन रही रणनीति, किलेबंदी में जुटे कैप्टन के सिपाही

लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब में सियासी रणभूमि सज चुु‍की है और योद्धा मैदान में उतर चुके हैं। इस जंग को जीतने के लिए पार्टियों के वाॅॅर रूम में रणनीति बन रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 04:28 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 09:05 PM (IST)
सजा सियासी रण, वॉर रूम में बन रही रणनीति, किलेबंदी में जुटे कैप्टन के सिपाही
सजा सियासी रण, वॉर रूम में बन रही रणनीति, किलेबंदी में जुटे कैप्टन के सिपाही

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह/कैलाश नाथ]। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले सभी पार्टियों के नेता दल-बदल कर रहे हैं। सारी जिंदगी कांग्रेस में बिताने वाले नेता टिकट की चाह में आम आदमी पार्टी का झाड़ू पकड़ रहे हैं। वहीं, आप से नाराज नेता भाजपा व शिअद का दामन थाम रहे हैं। इस सारे फेरबदल के पीछे कहीं न कहीं पार्टियों के वॉर रूम की बड़ी भूमिका रहती है। चुनावी बिसात में कब किसको शह देनी है, इसकी नीति तय करने के लिए सभी पार्टियों ने अपना-अपना वॉर रूम बना रखा है।

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चुनाव भले ही पार्टियों के बड़े चेहरे लड़ रहे हों, लेकिन चुनावी रणनीति क्या होगी, किस पार्टी में सेंध लगानी है, इसकी नीति वॉर रूम में तैयार होती है। इनमें कुछ तो स्थापित चेहरे हैं, तो कई छिपे हुए हैं। छोटे-छोटे फैसलों के पीछे घंटों की माथा-पच्ची रहती है। पंजाब में पार्टियों के वॉर रूम पर नजर डालती शृंखला हम आज से शुरू कर रहे हैं। कांग्रेस के वॉर रूम पर एक नजर... 

कैप्टन अमरिंदर सिंह - ड्राइविंग फोर्स

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सारी रणनीति तय करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों में है। कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ के चुनाव लड़ने का कारण व राज्य का मुख्यमंत्री होने के कारण सभी 13 सीटों की नीति कैप्टन ही तय कर रहे हैं। 

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लाल सिंह: उम्र 77 साल - स्ट्रेटेजिस्ट

कांग्रेस के सबसे सीनियर लीडर हैं। मंडी बोर्ड के चेयरमैन हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का चेयरमैन बनाया है। यह पहला मौका नहीं है जब लाल सिंह इस जिम्मेदारी को निभा रहे हों। कैप्टन और लाल सिंह के बीच काफी अच्छी ट्यूनिंग है। मुख्यमंत्री से लेकर कौन सा लीडर किस हलके में कब चुनाव प्रचार के लिए उपलब्ध होगा, यह देखने का काम लाल सिंह का है। चुनाव प्रचार की दिशा तय करना भी लाल सिंह को ही देखना है। इसलिए जिम्मेदारी: कैप्टन के भरोसेमंद। 51 वर्षों से कांग्रेस में हैं। किस उम्मीदवार के पक्ष में किसकी रैली करवानी है, तय करने की जिम्मेवारी लाल सिंह की है 

निर्वाण सिंह: उम्र 38 साल- सोशल मीडिया हैंडलर  

युवा निर्वाण सिंह मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर के नाती हैं। अभी तक वह मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया हैंडल कर रहे थे। अब उनकी जिम्मेदारी पंजाब कांग्रेस के सोशल मीडिया को हैंडल करने की है। सोशल मीडिया के ट्रेंड, जानकारी इकट्ठा करना व ट्विटर पर कैप्टन दी चौपाल समेत अन्य गतिविधियां चलाना इनका जिम्मा है। 

इसलिए जिम्मेदारी : पिछले चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम के साथ सहयोग किया था। नए-नए आइडिया के लिए जाने जाते हैं। टेक्नो-फ्रेंडली होने के साथ-साथ सियासत पर भी अच्छी पकड़ है। 

आशा कुमारी : उम्र 63 साल 

पंजाब कांग्रेस की प्रभारी हैं। इस नाते पार्टी के आंतरिक मामलों की रूपरेखा तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं। हिमाचल प्रदेश से हैं, इसलिए दोनों राज्यों के नेताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने में प्रमुख कड़ी हैं। पंजाब की जिम्मेदारी मिलने के बाद राज्य की बारीकियों से अच्छी तरह परिचित हैं। विवाद निपटाने में मध्यस्थ की भूमिका अच्छे से निभाती है।  

इसलिए जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुनील जाखड़ के साथ तालमेल अच्छा है। हाईकमान से भी संबंध अच्छे हैं। इसलिए केंद्र व राज्य मामले सुलझाने में अहम रोल रहता है। 

रवीन ठुकराल: उम्र 50 साल मीडिया मास्टर  

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मीडिया एडवाइजर रहे रवीन ठुकराल अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मीडिया मैनेजमेंट देख रहे हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद ठुकराल ने मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर पद से इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री के विश्वासपात्रों में से एक हैं। विधानसभा चुनावों में भी इन्हें ही मीडिया प्लानिंग की जिम्मेवारी दी गई थी। 

इसलिए जिम्मेदारी: मीडिया के साथ संवाद करने का अच्छा अनुभव है। पूर्व राजनीतिक संपादक होने के कारण राजनीतिक खबरों की अच्छी जानकारी है। बीस सालों से कैप्टन के साथ दोस्ती है। 

कैप्टन संदीप संधू- उम्र 55 सालमैनेजमेंट मास्टर 

कांग्रेस के वार रूम की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी। संदीप संधू न सिर्फ कैप्टन के, बल्कि सुनील जाखड़ की भी पसंद हैं। संधू की जिम्मेदारी केंद्र व पंजाब कमेटी में तालमेल बिठाना है। फील्ड की जानकारी इकट्ठा करने के अलावा अन्य पार्टियों की वर्किंग पर नजर रखना भी कैप्टन संधू की जिम्मेवारी है। 

इसलिए जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव हैं। संवाद स्थापित करने में महारत हासिल है। पार्टी के रोजमर्रा कामों को निरंतर देखते हैं। २०१७ के विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका थी। 

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