अमृतसर से BJP ने हरदीप पुरी को मैदान में उतारा, जानें उनके बारे में पांच बातें...
पार्टी की गुटबंदी के कारण हाईकमान ने पुरी को चुनाव मैदान में उतारा है। पुरी उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं और 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी (IFS) रह चुके हैं।
जेएनएन, अमृतसर। भारतीय जनता पार्टी ने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय राज्य मंत्री हरदीप पुरी को प्रत्याशी बनाया है। शहर में पार्टी की गुटबंदी के कारण हाईकमान ने पुरी को चुनाव मैदान में उतारा है। पुरी उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं और 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी (IFS) रह चुके हैं।
जालियांवाला बाग में फंस गए थे पुरी के दादा
केंद्रीय शहरी विकास व आवास राज्य मंत्री बनने के बाद जब हरदीप सिंह पुरी अमृतसर आए थे तो उन्होंने खुलासा किया था कि उनके दादा भी जनरल डायर के आदेश पर जालियांवाला बाग में की गई फायरिंग में फंस गए थे। उस समय उन्हाेंने किसी तरह दीवार फांदकर अपनी जान बचाई थी। विजिटर बुक पर लिखे संदेश में उन्होंने अपने दादा से जुड़ी यादों को साझा किया।
उन्होंने विजिटर बुक में लिखा, ''13 अप्रैल 1919 को जब जनरल डायर के आदेश पर निर्दोष लोगों पर गोलियां बरसाई गईं तो मेरे दादा भी जलियांवाला बाग में ही थे। दादा व कुछ अन्य लोगों ने बाहरी परिधि में बनी दीवार कूदकर अपनी जान बचाई थी। इतिहास का एक छात्र होने के नाते आज मैं उन सभी लोगों को सलाम करता हूं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए यहां अपना बलिदान दिया था।''
जानें कौन हैं हरदीप पुरी
- पुरी 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं।
- उन्हें विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का विशेष जानकार माना जाता है।
- पुरी न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय शांति संस्थान के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद निरोधी समिति के चैयरमैन पद पर भी रहे हैं।
- ब्रिटेन और ब्राजील में भारत के राजदूत का पद भी संभाल चुके हैं।
- मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय शहरी विकास व आवास राज्य मंत्री हैं।
पार्टी को पुरी पर भरोसा
2014 में भाजपा ने दिग्गज नेता अरुण जेटली को यहां से उतारकर नवजोत सिंह सिद्धू का टिकट काट दिया गया था। जेटली के मुकाबले कैप्टन अमरिंदर सिंह मैदान में उतरे और उन्होंने जेटली को 1,02,770 मतों से हराया था। बाद में उपचुनाव में भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब पार्टी ने पुरी पर भरोसा जताया है। कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने भाजपा के राजिंदर मोहन सिंह छीना को 1,99,189 बड़े अंतर से हराया था। यही वजह रही कि इस बार पार्टी फूंक- फूंककर कदम रख रही थी। पार्टी ऐसा कोई प्रयोग नहीं करना चाहती है ताकि पार्टी के लिए और विकट हालात अमृतसर लोकसभा सीट पर बनेंं।
सीट का इतिहास
अमृतसर लोकसभा सीट पर 1967 में यज्ञदत्त शर्मा ने भारतीय जनसंघ से चुनाव जीत दर्ज की थी। 1977 में जनता पार्टी से डॉ. बलदेव प्रकाश ने सीट पर जीत का परचम लहराया। उसके बाद लगातार पार्टी पांच बार हारती रही। 1998 में दया सिंह सोढ़ी विजयी हुए, लेकिन1999 में फिर यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गई। 2004 में भाजपा ने सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुनंदन लाल भाटिया के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू को मैदान में उतारा और वह विजयी रहे। उसके बाद 2007 में और 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करते हुए सिद्धू ने हैट्रिक बनाई।