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Lok sabha Election 2019: पंजाब में मतदान का देर से होना शिअद को पहुंचाएगा फायदा, कांग्रेस की बढ़ेगी टेंशन

पंजाब में आखिरी चरण में लोकसभा चुनाव होने से चुनाव अभियान लंबा हो जाएगा। इससे शिअद को ऑक्‍सीजन मिली है तो कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 12:03 PM (IST)
Lok sabha Election 2019: पंजाब में मतदान का देर से होना शिअद को पहुंचाएगा फायदा, कांग्रेस की बढ़ेगी टेंशन
Lok sabha Election 2019: पंजाब में मतदान का देर से होना शिअद को पहुंचाएगा फायदा, कांग्रेस की बढ़ेगी टेंशन

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए पंजाब को अंतिम चरण में रखने से यहां के राजनीतिक हालात व समीकरण में कई बदलाव आ सकते हैं। आचार संहिता लागू होने और मतदान के बीच 68 दिनों का अंतर होने का शिरोमणि अकाली दल को लाभ मिल सकता है और उसे अंतर्कलह के बाद ऑक्‍सीजन मिलेगी। दूसरी अोर कांग्रेस के लिए टेंशन बढ़ सकती है। 

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68 दिन बाद होगा मतदान, अकालियों को उम्मीदवार तय करने के लिए मिला समय

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल के पास लोकसभा चुनाव में खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में शिअद ने चार सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें से दो सांसद पहले ही अकाली दल को अलविदा कह चुके हैं। वर्तमान में उनके पास मात्र दो ही सांसद रह गए हैं। इसके साथ ही विधानसभा में वह अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे निचले छोर पर खड़ा है।

शिरोमणि अकाली दल के पास मात्र 14 विधायक हैं और 78 विधायकों के साथ पंजाब विधानसभा में तीन तिहाई बहुमत लेने वाली कांग्रेस उम्मीदों का पहाड़ उठाए खड़ी है। ऐसे में कांग्रेस की चिंता है कि 68 दिनों तक अपनी पार्टी के नेताओं की उम्मीदों को संभाल कर रखना होगा। पार्टी के भीतर बगावत का भी डर है।

कांग्रेस का गणित गड़बड़ाया, पार्टी के भीतर  बगावत का भी सताने लगा डर
बेअदबी कांड के बाद पंथक राजनीति में हाशिये पर आए शिअद यह मान रहा है कि अंतिम चरण में चुनाव होने से उनके पास अपने पंथक वोट को संभालने का काफी समय मिल गया है। चूंकि आचार संहिता लागू हो गई है। इसलिए पार्टी के पास अपने खोए हुए वोट बैंक को पाने के लिए अच्छा मौका है।

कांग्रस के पास विधानसभा में तीन तिहाई का बहुमत है और मतदाता से लेकर पार्टी नेताओं के उम्मीदों का पहाड़ भी उतना ही ऊंचा है। मिशन-13 का नारा देने वाली कांग्रेस ने चुनाव को लेकर सारी तैयारी कर ली थी। टिकट बंटवारे को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी हो गई थी, लेकिन चुनाव अंतिम चरण में होने से कांग्रेस के गणित गड़बड़ा गया है।

शिरोमणि अकाली दल के पास पूरा मैदान: चीमा
शिरोमणि अकाली दल के नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा कहते हैं, ' शिअद के नेताओं व कार्यकर्ताओं को गर्मियों में काम करने की आदत है। निश्चित रूप से अब हमारे पास काफी अच्छा मौका है। आचार संहिता लागू हो चुकी है। अकाली दल के पास पाने के लिए पूरा मैदान पड़ा हुआ है।'

भाजपा पूरी तरह तैयार: मलिक
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक का कहते हैं, 'चाहे चुनाव किसी भी चरण में होते भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा और अकाली दल पंजाब की सभी सीटों पर जीत हासिल करेगा।'

मिशन-13 पूरा होगा: जाखड़

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है, 'मिशन-13 केवल नारा नहीं है, बल्कि एक मिशन है, जिसे पूरा किया जाएगा। चुनाव पहले चरण में होता या अंतिम चरण में होगा। इससे इस मिशन में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पंजाब की जनता कांग्रेस के साथ है।'

दिल्ली मॉडल का प्रचार करेंगे: भगवंत मान
आप के अध्यक्ष भगवंत मान का कहना है, 'हमें लंबे चुनावी कार्यक्रम से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हम दिल्ली मॉडल का प्रचार करेंगे। हमें काफी समय मिल गया है। अपनी नीतियां लोगों तक पहुंचाएंगे। दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था पहले से काफी अच्छी है। पंजाब सरकार अपने 129 पेज के चुनाव घोषणापत्र के आधे वादे भी पूरे नहीं कर पाई।'

आसान नहीं होगा मई का ताप झेलना
19 मई। गर्मी पूरे ताप पर होगी। किसान खेतों में होगा। गेहूं की कटाई अपने पूरे चरम पर होगी, जबकि किसान खेतों और अनाज मंडियों में व्यस्त होंगे। ग्रामीण क्षेत्र में गेहूं की कटाई का सीजन होना सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। पंजाब की 70 फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंता का विषय यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रैलियों व नुक्कड़ बैठकों के लिए खासी मशक्कत करनी होगी।

ऐसे में प्रत्याशियों को मतदाताओं तक पहुंचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। पंजाब की 13 लोक सभा सीटों में से लुधियाना, जालंधर पटियाला जैसी शहरी सीटों को छोड़ दिया जाए तो बाकी की सभी सीटों में ग्रामीण क्षेत्र काफी अधिक है। गेहूं की कटाई का सीजन होने का असर जहां राजनीतिक दलों पर देखने को मिलेगा। वहीं, इसका असर मतदान पर भी पड़ सकता है। बता दें कि पंजाब में 23,213 मतदान केंद्र हैं, जिसमें से 16,394 मतदान केंद्र ग्रामीण क्षेत्र है, जबकि शहरी क्षेत्र की संख्या मात्र 6819 है।   

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