नेताओं के आश्रमों के चक्कर हुए तेज, सुखबीर पहुंचे डेरा भजनगढ़ तो जाखड़ मंदिर व दरगाह
Loksabha Election 2019 की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही पंजाब में नेताओं के धार्मिक डेरों और आश्रमों के चक्कर बढ़ गए हैं। सुखबीर बादल डेरा भजनगढ़ पहुंचे।
फिरोजपुर, जेएनएन। Loksabha Election 2019 की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही पंजाब में नेताओं ने धार्मिक डरों और आ्श्रमों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। नेता मंदिरों और दरगाहों में भी माथा टेकने पहुंच रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल डेरा भजनगढ़ पहुंचे तो पठानकोट में कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने मंदिर और दरगाह में माथा टेका।
डेरा भजनगढ़ में सुखबीर व घुबाया समेत कई नेता हुए नतमस्तक
सुखबीर सिंह बादल ने डेरा भजनगढ़ में छठे गद्दीनशीन बाबा मुख्तियार सिंह के अंतिम अरदास व भोग पर पहुंचे। वह वहां नतमस्तक हुए। इस दौरान डेरे में देश भर से हजारों की संख्या में कंबोज बिरादरी के लोगों ने बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। गुरुहरसहाय के गोलूके मोड़ स्थित यह डेरा कंबोज बिरादरी का सबसे बड़ा डेरा है।
अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेता भी बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। इनमें प्रदेश सरकार के खेलमंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, पीडीए के प्रत्याशी हसंराज गोल्डन, सांसद शेर सिंह घुबाया, पूर्व मंत्री हंसराज जोशन आदि भ शामिल थे। चुनाव के दौरान पंजाब में सियासी दलों के नेताओं का अन्य धार्मिक डेरों पर पहुंचने का सिलसिला भी जारी है। सुखबीर बादल ने बाबा की जीवनी व उनके द्वारा समाज हित में किए गए कार्यों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कंबोज व राय-सिख बिरादरी का दबदबा
फिरोजपुर संसदीय सीट कंबोज व राय-सिख बिरादरी के मतदाताओं का दबदबा है। यह दोनों वर्ग जिस किसी भी प्रत्याशी के साथ खड़े होते हैं, उसका पलड़ा भारी हो जाता है। अब तक हुए चुनाव में देखा गया है कि दोनों ही बिरादरी के लोगों के वोट एकमुश्त एक ही प्रत्याशी के पक्ष में जाते हैं। फिरोजपुर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में कंबोज बिरादरी के मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है, जबकि राय-सिख बिरादरी के मतदाताओं की संख्या ढाई लाख है। कांग्रेस व शिअद ने अभी तक इस संसदीय सीट से अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है।
पठानकोट में मंदिर में सुनील जाखड़।
जाखड़ ने मंदिर में नवाया शीश, दरगाह पर टेका माथा
उधर पठानकोट में सुनील जाखड़ ने सबसे पहले आशापूर्णी मंदिर फिर माता बजेरश्वरी और काली माता मंदिर में माथा टेका। इसके बाद वह पिपलावाला मोहल्ला स्थित जय बाबा ख्वाजा पीर की दरगाह पर गए और बाबा बूटी शाह से भी आशीर्वाद लिया। आशापूर्णी मंदिर 300 साल पुराना है। इस मंदिर में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब के लाखों लोगों की आस्था है।
मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। काली माता मंदिर पुरातन समय से है और तलाब में बना है। मान्यता है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। वहीं, पिपलावांला मोहल्ला स्थित ख्वाजा पीर की दरगाह में 40 साल से यहां हर हफ्ते धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। हजारों लोगों की इसमें आस्था है।