प्रत्याशी घोषणा में देरी से किरण को बंसल की कैंपेन ट्रेन को पीछे छोड़ने के लिए लगानी होगी दौड़
कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल की चुनावी ट्रेन बिना ब्रेक के दौड़ रही है। बंसल की कैंपेन ट्रेन को पीछे छोड़ने के लिए किरण खेर को दौड़ लगानी होगी।
चंडीगढ़ [बरींद्र सिंह रावत]। चंडीगढ़ में भाजपा ने किरण खेर को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा कर दी है। हालांकि भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित करने में देर कर दी। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल की चुनावी ट्रेन बिना ब्रेक के दौड़ रही है। बंसल की कैंपेन ट्रेन को पीछे छोड़ने के लिए किरण खेर को दौड़ लगानी होगी। भाजपा प्रत्याशी की घोषणा में हुई देरी का फायदा विरोधियों को मिलता दिख रहा है। बंसल के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने भी अपने चुनावी कैंपेन का एक चरण पूरा भी कर लिया है।
चंडीगढ़ भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी को लेकर जहां कई गुटों में बंटी हुई थी वही पवन कुमार बंसल हर रोज एक नया धमाका कर रहे हैं। चंडीगढ़ अकाली दल के प्रेसिडेंट जगजीत सिंह भी कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। बंसल हर रोज विपक्षी पार्टियों के नेताओं को तोड़कर अपना आधार मजबूत कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के चंडीगढ़ में प्रत्याशी रहे हाफिज अनवर उल हक अपनी पत्नी जन्नत जहां के साथ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जन्नत जहां नगर निगम के काउंसलर भी रही है।
चंडीगढ़ के पूर्व डिप्टी मेयर गुरचरण दास काला को भी पवन कुमार बंसल अपने खेमे में खींच चुके हैं। सोमवार को ही बंसल ने भाजपा से जुड़े एवं तीन बार निगम में काउंसलर रहे विजय राणा को कांग्रेस में शामिल करके अपनी स्थिति मजबूत की है। बंसल को अपने कार्यकाल में शहर के लिए किए गए कार्यों का भी फायदा मिल रहा है।
दूसरी तरफ भाजपा में अब किरण खेर को पार्टी के भीतर से ही विरोध का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी में टिकट को लेकर खींचतान चल रही थी। चंडीगढ़ में भाजपा की टिकट के लिए कई मजबूत दावेदार थे। इनमें गढ़ भाजपा के प्रेसिडेंट संजय टंडन और चंडीगढ़ से भाजपा के सांसद रहे सत्यपाल जैन भाजपा की टिकट के लिए दावेदारी जता रहे थे। पार्टी हाईकमान के सामने चुनौती यह है कि उसे अन्य दोनों नेताओं को समझाना मुश्किल होगा। संजय टंडन पिछले 8 सालों से चंडीगढ़ भाजपा के प्रेसिडेंट बने हुए हैं।
टंडन के समर्थक किरण खेर के लिए चुनाव में चुनौती खड़ी कर सकते हैं। चंडीगढ़ भाजपा में अधिकांश महत्वपूर्ण पदों पर टंडन समर्थकों का कब्जा है। नगर निगम में भी अधिकांश पार्षद टंडन के समर्थक हैं। किरण खेर को अब दो मोर्चों पर काम करना होगा। एक तरफ जहां उन्हें पवन कुमार बंसल और हरमोहन धवन से मुकाबला करना होगा वहीं पार्टी के भीतर ही नाराजगी को झेलना होगा।
धवन ने थामा आप का दामन
भाजपा के वरिष्ठ नेता हरमोहन धवन आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। धवन को आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ से अपना लोकसभा प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। धवन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट के मजबूत दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उनकी दावेदारी को नजरअंदाज कर किरण खेर को टिकट दिया था। इस बार धवन ने चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल होकर भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर दी है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ में गुल पनाग को मैदान में उतारकर अपनी चुनौती पेश की थी। गुल पनाग को लगभग 1 लाख वोट मिले थे। गुल पनाग तीसरे स्थान पर रही थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर पाई। ऐसे में इस लोकसभा चुनाव में भी मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।
लोकल मुद्दों को भुना रहे बंसल
चंडीगढ़ सीट में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ लोकल मुद्दे भी प्रमुखता से छाए हुए हैं। चंडीगढ़ से सिटी ब्यूटीफुल का टैग हटना और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। चंडीगढ़ खाली में स्वच्छता रैंकिंग में फिसल कर 20 में स्थान पर पहुंच गया है जबकि इसे सिटी ब्यूटीफुल कहा जाता था। इसके लिए बंसल सीधे-सीधे नगर निगम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। नगर निगम में भाजपा का कब्जा है। शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुचारू बनाने में भी प्रशासन नाकाम रहा है। बंसल इसका ठीकरा भी भाजपा के सिर फोड़ रहे है जबकि अपने कार्यकाल के दौरान पवन कुमार बंसल भी इसके लिए कुछ खास नहीं कर पाए थे।