जानें- आखिर महाराष्ट्र में क्यों लगातार पिछड़ रही है कांग्रेस और एनसीपी बढ़ रही आगे
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालत लगातार खराब हो रही है। वहीं उससे अलग हुई एनसीपी राज्य में उससे बेहतर स्थिति में है। ये हैं इसकी कुछ खास वजह।
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। महाराष्ट्र में भले ही कांग्रेस-एनसीपी सत्ता से काफी दूर खड़े हैं, लेकिन शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अपना वजूद राज्य में जिंदा रखा है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो एक समय में वह सियासत का केंद्र बिंदु हुआ करती थी लेकिन आज कई वजहों से वह सियासत की दहलीज से काफी दूर खड़ी है। इन दोनों पार्टियों की इस स्थिति के लिए कुछ खास वजह हैं।
आगे बढ़ने से पहले आपको वर्ष 2014 में हुए चुनाव परिणाम की जानकारी दे देते हैं। इसमें भाजपा-शिवसेना गठबंधन को यदि छोड़ दें तो कांग्रेस 42 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर थीं। वहीं एनसीपी इस चुनाव में 41 सीटें जीतकर चौथे स्थान पर रही थी। कांग्रेस और एनसीपी ने 2009 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2014 के चुनाव में 81 सीटें कम हासिल की थीं। कांग्रेस ने जहां इस चुनाव में पूर्व में हासिल की हुई 42 सीटें गंवाई थी वहीं एनसीपी ने 41 सीटें गंवाई थीं। लेकिन, अब के सामने आ रहे रुझान बता रहे हैं कि बीते पांच वर्षों में एनसीपी ने राज्य में कांग्रेस के मुकाबले अपनी स्थिति को बेहतर किया है। जाहिरतौर पर इसकी वजह शरद पवार ही हैं।
शरद पवार दरअसल, मराठा राजनीति में काफी ऊंचे कद के नेता हैं। इसके अलावा दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। शरद पवार की महाराष्ट्र के शुगर बिजनेस और शुगर मिलों पर जबरदस्त पकड़ है। आपको बता दें कि पश्चिम महाराष्ट्र को एनसीपी का गढ़ कहा जाता है। जहां तक कांग्रेस के राज्य में लगातार पिछड़ने की बात है तो उसकी कुछ खास वजह हैं।
- कांग्रेस की राजनीतिक जमीन लगातार खिसकती जा रही है। ऐसे में पार्टी महाराष्ट्र में अपने परंपरागत वोटरों के अलावा दूसरों को अपनी तरफ लाने में नाकाम साबित हुई है।
- भाजपा ने बीते कुछ वर्षों में जहां अपने संगठन की ताकत राज्य और देश में काफी बढ़ाया है, वहीं कांग्रेस इसमें लगातार पिछड़ती रही है। जो संगठन कभी कांग्रेस की असली ताकत हुआ करते थे आज वही सबसे कमजोर हैं। इसका फायदा भाजपा ने खूब उठाया है।
- भाजपा ने जहां अपने से जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को बखूबी जोड़ा है, वहीं कांग्रेस से यही कार्यकर्ता दूर होते रहे हैं।
- भाजपा जहां जनमानस और कार्यकर्ताओं अपने साथ लाने में सफल रही है वहीं कांग्रेस से ये लगातार दूर होते रहे हैं।
- कांग्रेस ने राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्र का साथ न देकर उन्हें बेवजह तूल देने की कोशिश की जिसने मतदाताओं को नाराज किया।
- कांग्रेस के नेताओं के बीच मनमुटाव और कई मुद्दों पर एकराय न बनने की वजह से भी मतदाता पार्टी से लगातार दूर हुए हैं।
- लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में कांग्रेस पूरी तरह से विफल रही है। वहीं बड़े नेताओं ने भी महाराष्ट्र चुनाव पर कोई खास ध्यान नहीं दिया, न ही उन मुद्दों को भुनाने की कोशिश की जो उन्हें फायदा पहुंचा सकते थे।
- बीते पांच वर्षों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने बिना किचकिच के सरकार चलाकर दिखाई दी उसने महाराष्ट्र की जनता में स्थिर सरकार को लेकर भरोसा जताने का काम किया।
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