बंपर जीत पर भाजपा नहीं मनाएगी जश्न, आप-कांग्रेस में छाई मायूसी
इससे पहले राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर मिली जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों व मोदी-मोदी के नारों के साथ जबरदस्त जश्न मनाया था। हालांकि इस बार ऐसा माहौल देखने को नहीं मिलेगा।

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी मोदी लहर देखने को मिली, जिसमें कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी हवा हो गई। भाजपा ने प्रचंड बहुमत से निगम के तीनों निकायों पर जीत दर्ज की। हालांकि इतनी धमाकेदार जीत के बावजूद भाजपा जश्न नहीं मनाएगी।
सुकमा हमले के मद्देनजर लिया फैसला
सुकमा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए नक्सली हमले के मद्देनजर पार्टी ने यह फैसला किया है। हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सड़कों पर जबरदस्त जोश देखने को मिला है, मगर वो ढोल-नगाड़ों के साथ थिरकते हुए जश्न नहीं मना पाएंगे।
जबकि इससे पहले राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर मिली जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों व मोदी-मोदी के नारों के साथ जबरदस्त जश्न मनाया था। हालांकि इस बार ऐसा माहौल देखने को नहीं मिलेगा।
हालांकि इससे पहले एक्जिट पोल में भाजपा को मिले भारी बहुमत के बाद कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला था। उन्होंने जश्न की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं, मगर इसी बीच सुकमा में जवानों पर नक्सली हमले की खबर आ गई।
भाजपा नेताओं का कहना है कि नक्सली हमले से देश में शोक व आक्रोश का माहौल है। ऐसे मे किसी तरह का जश्न नहीं मनाया जा सकता है।
पहली बार में ही आप को मिली करारी हार
वहीं इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका आम आदमी पार्टी को लगा है। आप पहली बार निगम चुनाव में किस्मत आजमाने उतरी थी। मगर मायूसी हाथ लगी। मोदी लहर के आगे आम आदमी पार्टी भी ठहर नहीं पाई। जबकि जिस पार्टी ने पहली बार में ही दिल्ली की सरकार पर काबिज होते हुए इतिहास रचा था, उससे निगम चुनाव में इतनी बुरी हार की उम्मीद नहीं थी।

हालांकि हाल ही में राजौरा गार्डेन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में दिल्लीवालों ने बीजेपी को जीताकर एक तरह से संकेत दे दिए थे कि उनका अब 'आप' से विश्वास उठ चुका है। अब निगम चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी कार्योंकर्ताओं में भी निराशा फैल गई है। देखते हैं इसके लिए आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ईवीएम में गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहराते हैं या फिर हार की कोई और वजह बताते हैं।
कांग्रेस नहीं लौटा पाई वो सुनहरे दौर
निगम चुनाव से कांग्रेस को भी काफी उम्मीदें थीं। मगर हताशा ही हाथ लगी। पार्टी को उम्मीद थी कि एक बार फिर उनके सुनहरे दौर लौट आएंगे। मगर मोदी लहर के आगे उनकी सारी उम्मीदें धूमिल हो गईं। वैसे भी टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में पहले से ही नाराजगी थी। इस बीच, अरविंदर सिंह लवली जैसे कई पार्टी दिग्गजों के बीजेपी में शामिल होने का खामियजा भी कांग्रेस को भुगतना पड़ा है। इससे पार्टी छवि भी काफी प्रभावित हुई थी।

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