चुनाव से पहले बना सस्ते कर्ज का माहौल, आरबीआइ ने की रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेपो रेट 6.25 फीसद करने से अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी। घर खरीदने वालों के साथ ही छोटे कारोबारियों को सस्ते कर्ज मुहैया होंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतत: अब लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर एक ही दिशा में सोच रहे हैं। आरबीआइ ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए गुरुवार को रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की है जिसकी वजह से आटो लोन, होम लोन समेत अन्य पर्सनल लोन के सस्ता होने का रास्ता खुल गया है। आरबीआइ का यह कदम देश में मांग को बढ़ाएगा जिससे कई औद्योगिक क्षेत्रों की रफ्तार भी बढ़ेगी। एक हफ्ते पहले ही वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में मांग बढ़ा कर अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई घोषणाएं की थी।
आरबीआइ ने अंतरिम बजट की तरह किसानों पर नजरें इनायत भी की है। किसानों को 1.6 लाख रुपये तक का कर्ज की बिना किसी जमानत के देने का ऐलान किया है। अभी तक यह सीमा एक लाख रुपये की थी। साथ ही किसानों को लंबी अवधि के लिए कर्ज देने पर व कृषि कर्ज की अन्य दिक्कतों को दूर करने पर सुझाव देने के लिए एक आंतरिक कार्य दल का गठन किया है।
अंतरिम बजट में किसानों को अतिरिक्त आमदनी देने के लिए पीएम किसान योजना के तहत हर छोटे व सीमांत किसान को 6 हजार रुपये देने का ऐलान किया गया है। इसकी पहली किस्त मार्च, 2019 में ही दिए जाने की संभावना है।
रेपो रेट 6.5 फीसद से घटा कर 6.25 फीसद किया, वित्त मंत्री गोयल ने किया स्वागत
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेपो रेट को 6.5 फीसद से घटा कर 6.25 फीसद करने से अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी। यह घर खरीदने वालों के साथ ही छोटे कारोबारियों को सस्ते कर्ज मुहैया कराएगा और देश में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाएगा।
गोयल की खुशी की वजह यह भी है कि पूर्व में कई बार वित्त मंत्रालय की इच्छा के बावजूद आरबीआइ ने रेपो दर में कमी नहीं की थी। सनद रहे कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिए आरबीआइ से कर्ज लेते है। यह दर ही बैंकों की अल्पकालिक ऋण योजनाओं पर असर दिखाता है और इसकी वजह से होम लोन व आटो लोन की दरों पर उतार चढ़ाव होता है।
आरबीआइ के नए गवर्नर शक्तिकांत दास की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा थी। समीक्षा के बाद प्रेस कांफ्रेंस में दास ने आश्वस्त किया कि किसी भी क्षेत्र में फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने आगे भी ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए। कई बड़े आर्थिक विशेषज्ञों ने भी ऐसी उम्मीद जताई है।
महंगाई की दर के लगातार 4 फीसद के लक्ष्य से भी नीचे रहने से रेपो रेट घटाना संभव हुआ है। दिसंबर, 2018 में खुदरा मंहगाई की दर 2.2 फीसद रही है जो पिछले डेढ़ वर्ष का न्यूनतम स्तर है।
मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए गठित छह सदस्यों की समिति में चार ने रेपो रेट घटाने के पक्ष में वोट किया है। इसमें आरबीआइ गवर्नर दास भी शामिल है जबकि डिप्टी गवर्नर विरल आचार्या व एक अन्य सदस्य ने रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर रखने के पक्ष में थे।
रेपो दर में कटौती के बाद अब नजर बैंकों पर है कि वे जल्द ही कर्ज को भी सस्ता करेंगे। रियल एस्टेट और आटोमोबाइल उद्योग के साथ साथ आरबीआइ का यह कदम केंद्र सरकार को भी पसंद आएगा क्योंकि जब वह चुनाव की तैयारी में है तब देश के बैंक होम लोन और आटो लोन की दरों को कम करेंगे। भाजपा ने वर्ष 2014 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि वह सत्ता में आने के बाद होम लोन व आटो लोन की दरों को कम करेगी।
मौद्रिक नीति समीक्षा की प्रमुख बातें
1. रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती, रेपो रेट 6.25 फीसद हुआ
2. किसानों को 1.6 लाख रुपये तक का कर्ज बगैर गिरवी के
3. दो करोड़ रुपये से ज्यादा की जमा राशि मानी जाएगी बल्क डिपॉजिट
4. मार्च, 2019 तक महंगाई की दर 2.8 फीसद, अप्रैल-सितंबर, 19 के लिए 3.4 फीसद का लक्ष्य
5. चालू वर्ष मे 7.2 फीसद और अगले वर्ष 7.4 फीसद का विकास दर लक्ष्य तय
6. कृषि कर्ज की समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य दल का गठन
7. रुपये में विदेशी कारोबार को बढ़ावा देने पर कार्य दल का गठन।