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शिवसेना ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, इकोनॉमी पर कसा तंज, कहा- इतना सन्‍नाटा क्‍यूं है भाई

महाराष्‍ट्र में अगली सरकार के लिए मोल तोल के बीच शिवसेना ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बैंकों का दिवाला जनता की जेब के साथ सरकारी तिजोरी भी खाली है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 03:16 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 03:42 PM (IST)
शिवसेना ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, इकोनॉमी पर कसा तंज, कहा- इतना सन्‍नाटा क्‍यूं है भाई
शिवसेना ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, इकोनॉमी पर कसा तंज, कहा- इतना सन्‍नाटा क्‍यूं है भाई

मुंबई, आइएएनएस। फ‍िल्‍म ‘शोले’ का डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ आपको याद होगा। अब इस डायलॉग के जरिए शिवसेना ने आर्थिक सुस्ती को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। महाराष्‍ट्र में अगली सरकार के लिए मोल तोल के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में लिखा कि बैंकों का दिवाला निकल रहा है और जनता की जेब के साथ सरकारी तिजोरी भी खाली है। जीएसटी, नोटबंदी से देश की अर्थव्‍यवस्‍था खराब है लेकिन कोई भी कुछ बोल नहीं रहा है। 

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शिवसेना ने लिखा है कि इतना सन्‍नाटा क्‍यूं है भाई... इस साल दिवाली पर पटाखों का धूम धड़ाका सुनाई नहीं दे रहा है। हर जगह 30 से 40 फीसद बिक्री डाउन है। देश की अर्थव्‍यवस्‍था संकट के दौर से गुजर रही है। सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि माई-बाप सरकार कहती है कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे। बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लागत जितनी भी आमदनी नहीं हुई। किसानों की तैयार फसल खराब हो गई है जिससे उनकी माली हालत खराब है। लेकिन कोई भी किसानों की सुध नहीं ले रहा है। शिवसेना का यह बयान ऐसे वक्‍त में सामने आया है जब महाराष्‍ट्र में सरकार बनाने को लेकर जद्दोजहद जारी है। 

शिवसेना ने आगे लिखा है कि आर्थिक क्षेत्र में दिवाली का वातावरण नहीं दिख रहा है। बैंकों का दिवाला निकल रहा है, जनता की जेब के साथ सरकारी तिजोरी भी खाली है। नोटबंदी और जीएसटी से देश के आर्थिक हालात दिनों-दिन खराब हो रहे हैं। कारखाने खतरे में हैं और उद्योग-धंधे भी बंद हो रहे हैं।

रोजगार और निर्माण कार्य ठप हैं। वित्‍तीय आपातकाल जैसी स्थितियों के कारण सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से रकम निकालने पर मजबूर हुई है। विदेशी कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के जरिए देश के पैसों से अपनी तिजोरियां भर रही हैं। लेकिन इन हालातों पर कोई कुछ भी उपाय नहीं बताता है।


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