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Maharashtra Election Result 2019: उदय हुआ ठाकरे परिवार का ‘आदित्य’, खडसे व मुंडे की बेटियां हारीं

Maharashtra Election Result 2019. आदित्य ठाकरे ने मुंबई की वरली सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी राकांपा प्रत्याशी को 67672 मतों से पराजित किया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 04:56 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 04:56 PM (IST)
Maharashtra Election Result 2019: उदय हुआ ठाकरे परिवार का ‘आदित्य’, खडसे व मुंडे की बेटियां हारीं
Maharashtra Election Result 2019: उदय हुआ ठाकरे परिवार का ‘आदित्य’, खडसे व मुंडे की बेटियां हारीं

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra Election Result 2019 यह पहला अवसर था, जब महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार का कोई सदस्य सीधे चुनाव में उतरा। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य न सिर्फ मुंबई की वरली सीट से चुनाव मैदान में उतरे, बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वी राकांपा प्रत्याशी को उन्होंने 67,672 मतों से पराजित कर एक बड़े अंतर से जीत भी दर्ज कराई। अब तक ठाकरे परिवार रिमोट कंट्रोल से शासन चलाने के लिए जाना जाता रहा है।

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उनते स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा या लोकसभा तक ठाकरे परिवार अपनी पार्टी के शिवसैनिकों को चुनवाकर भेजता रहा है। लेकिन शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे से लेकर उनके पुत्र उद्धव और भतीजे राज तक कभी कोई स्वयं चुनाव मैदान में नहीं उतरा।

29 वर्षीय आदित्य को चुनाव लड़वाना शिवसेना को भविष्य के लिए तैयार करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बार भाजप-शिवसेना की गठबंधन सरकार बनने की स्थिति में आदित्य ठाकरे उपमुख्यमंत्री पद के भी दावेदार हो सकते हैं।

खडसे व मुंडे की बेटियां हारीं 

भारतीय जनता पार्टी को दो जोर के झटके परली और मुक्ताई नगर विधानसभा सीटों पर लगे हैं। परली में भाजपा के दिग्गज नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी एवं फड़नवीस सरकार में ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे अपने ही चचेरे भाई राकांपा उम्मीदवार धनंजय मुंडे से चुनाव हार गई हैं। पंकजा पिछला चुनाव धनंजय को ही 25,895 मतों से हरा कर विधानसभा पहुंची थीं। ग्राम विकास मंत्री पद संभालने के दौरान पंकजा को चिक्की घोटाला समेत कुछ और घोटालों का सामना करना पड़ा था। उन्हें हराने वाले धनंजय मुंडे को 2014 में हार के बाद ही राकांपा ने बीड के बड़े नेता के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया था। वह राकांपा से न सिर्फ विधान परिषद में भेजा गया, बल्कि राज्य विधान परिषद में उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी दिया गया। आखिरकार वह अपने आलाकमान की उम्मीदों पर खरे उतरे और पंकजा को 30 हजार से अधिक मतों से पराजित किया।

दूसरी ओर, मुंडे कैंप के ही नेता माने जाने वाले उत्तर महाराष्ट्र के एकनाथ खडसे की बेटी रोहिणी खडसे भी चुनाव हार गईं। 2014 में मुक्ताईनगर सीट से चुनकर आने के बाद एकनाथ खडसे भाजपा में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया था। लेकिन कुछ संगीन आरोप लगने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस बार चुनाव घोषित होने के बाद भाजपा की ओर से घोषित उम्मीदवारों की चार सूचियों से खडसे का नाम गायब होने के बाद उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। हालांकि बाद में उनके बजाय उनकी पुत्री रोहिणी को पार्टी ने टिकट दिया। लेकिन खडसे उसकी भी जीत का रास्ता नहीं निकाल सके।

ठाकरे परिवार से पहली बार आदित्य चुनावी मैदान में

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने चुनावी राजनीति में उतरने की घोषणा की थी। वह ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं, जो चुनावी राजनीति में ताल ठोकेंगे। शिवसेना उन्हें मुंबई के वरली विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाएगी। यह बहुप्रतीक्षित घोषणा सोमवार को शिवसेना की 'विजय संकल्प रैली' में खुद आदित्य ठाकरे ने की। उनके पिता उद्धव ठाकरे टिकट वितरण की प्रक्रिया में व्यस्त होने के कारण रैली में शामिल नहीं हो सके।

29 वर्षीय आदित्य ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यदि शिवसैनिक चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं, यदि यहां के लोग चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं, यदि हमारी पार्टी के नेता मुझे अनुमति देते हैं तो मैं चुनाव लड़ने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की अनुमति ले चुका हूं। मैं यहां के वर्तमान विधायक शिंदे जी से भी बात कर चुका हूं। अब मैं आपकी अनुमति लेने आया हूं। आदित्य ने कहा कि मैं वरली का विकास करना चाहता हूं। साथ ही, मैं महाराष्ट्र को भी आगे ले जाना चाहता हूं, इसलिए सिर्फ वरली नहीं, बल्कि पूरा महाराष्ट्र मेरा कार्यक्षेत्र होगा।

वरली से शिवसेना के ही सुनील शिंदे विधायक हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने राकांपा के सचिन अहीर को पराजित किया था। अहीर भी कुछ समय पहले राकांपा छोड़कर शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। वरली की सीट शिवसेना के लिए अब काफी मजबूत मानी जा रही है। आदित्य को यहां से उतारने की योजना बनाई गई है, ताकि वह रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत सकें। आदित्य ने अपने दादा बाला साहब ठाकरे के समय से ही राजनीतिक मंचों पर जाना शुरू कर दिया था। चुनाव से पहले उन्होंने स्वयं शिवसेना की ओर से जन आशीर्वाद यात्रा निकालकर राजनीति के मैदान में फ्रंटफुट पर खेलने की इच्छा जाहिर कर दी थी।

शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि आदित्य के रूप में महाराष्ट्र का छावा (शेर का बच्चा) चुनाव लड़ने जा रहा है। शिवसैनिकों का मानना है कि ठाकरे परिवार के किसी सदस्य के सीधे चुनाव लड़ने से पार्टी के पक्ष में बेहतर माहौल बनेगा और वह अधिक सीटें जीतने में कामयाब होगी। तब गठबंधन की राजनीति में वह उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ ज्यादा मंत्री पद के लिए सौदेबाजी करने की स्थिति में होगी।

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