Maharashtra Aseembly Election 2019: जानें, चुनाव परिणाम के बाद क्या होगी शिवसेना की रणनीति और आदित्यि ठाकरे की भूमिका
Maharashtra Assembly Election Result 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन सरकार बनाती नजर आ रही है लेकिन गठबंधन में भी आपसी जंग जारी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझान आने शुरू हो गए हैं। शुरुआती रुझानों के अनुसार भाजपा गठबंधन को बहुमत मिलता नजर आ रहा है। पिछली बार बीजेपी की स्ट्राइक रेट शिवसेना के मुकाबले काफी अधिक थी। जबकि राज्या की राजनीति में भाजपा की बराबरी करने या उसे पीछे छोड़ने की मंशा रखने वाली शिवसेना अभी काफी दूर है। दूसरी तरफ बीजेपी महाराष्ट्र चुनाव की रेस को अकेले ही जीतना चाह रही है, ताकि वह अपनी सियासी जमीन को और मजबूत कर सके।
शिवसेना के ये हैं सपने
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद से ही शिवसेना को अपना जनाधार खोने की टेंशन बढ़ गई थी। यही कारण है कि इस बार उसने 2014 की तरह भाजपा के साथ गठबंधन के लिए मोलभाव भी नहीं किया। इस बार शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और चाहती है कि उसे 90+ सीटें मिलें, जिससे पार्टी को सरकार में कम से कम उप मुख्यमंत्री और कई मंत्री पद मिल सकें और कई सालों से छोटे भाई का लगा टैग कम से कम बराबरी पर आ जाए। साथ ही ढाई-ढाई साल वाले मुख्यमंत्री के फॉर्मूले में ढाई साल शासन चलाने का मौका भी मिल सके।
वैसे शिवसेना के सपने भले ही कुछ भी हों, लेकिन सपनों का साकार करना काफी मुश्किल लग रहा है। पिछली बार के चुनाव में बीजेपी ने अकेले 122 सीटें जीत ली थीं। इस बार कमर कसे शिवसेना ने इन सपनों को साकार करने के लिए मुंबई की वर्ली कोलीवाला विधानसभा क्षेत्र से उद्धव के पुत्र आदित्यस ठाकरे को भी मैदान में उतार दिया है।
आपको बता दें कि ठाकरे परिवार के किसी सदस्य ने अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है और सरकार में भी शामिल नहीं हुआ है। पहली बार आदित्य ठाकरे को सक्रिय राजनीति में लाकर शिवसेना ठाकरे परिवार के किसी सदस्य को अहम पद पर विराजमान करना चाहती हैं। वहीं अगर शिवसेना 90+ सीटें जीतती हैं तो आगे के लिए भी पार्टी की सियासी नींव मजबूत होगी, अन्यथा बीजेपी अपनी साथी पार्टियों के जनाधार को खत्म करने वाली राजनीति में सफल हो जाएगी।
बीजेपी के लिए कहा जाता है कि वो जिस पार्टी के साथ गठबंधन कर राजनीति में पांव पसारती है, उसे ही सबसे पहले खत्म कर देती है। अगर बीजेपी अकेले दम पर बहुमत तक पहुंच जाती है तो वो बीजेपी अपना स्पेस क्रिएट करने सफल हो जाएगी। वहीं अगर बीजेपी नेताओं की बातों पर गौर करें और बीजेपी के प्रचार पर नजर डालें तो साफ लग रहा है कि बीजेपी भी बिना शिवसेना के साथ आगे बढ़ना चाहती है ताकि सरकार बनाते समय उन्हें किसी भी बात से समझौता ना करना पड़ें। वहीं रुझान भी बीजेपी का पूरा साथ दे रहे हैं और बीजेपी अपनी रणनीति में कामयाब होती दिख रही है।