Ajit Pawar In Maharashtra Election: उपमुख्यमंत्री और मंत्री रह चुके अजित पवार ताकतवर बनकर उभरे हैं इस बार
Ajit Pawar In Maharashtra Election उनके सामने ना सिर्फ एनसीपी को महाराष्ट्र में मजूबत करना है बल्कि एनसीपी में भी अपनी पकड़ बनाए रखना है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Maharashtra Election: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नंबर दो नेता अजित पवार एक बार फिर बारामती से चुनावी मैदान में हैं। एनसीपी का गढ़ कहे जाने वाले इस विधानसभा क्षेत्र से अजित पवार के खिलाफ कुल 10 उम्मीदवारों ने दांव लगाया है। रुझानों की मानें तो वे फिलहाल जीत की ओर बढ़ रहे हैं। शरद पवार के मराठा राजानीति को आगे बढ़ा रहे अजित के सामने कई चुनौतियां हैं। उनके सामने ना सिर्फ एनसीपी को महाराष्ट्र में मजूबत करना है, बल्कि एनसीपी में भी अपनी पकड़ बनाए रखना है। आइए जानते हैं उनके राजनीतिक, सामाजिक और निजी जीवन की कहानी...
कॉपरेटिव राजनीति से उप मुख्यमंत्री तक का सफर
साल 1982 में अजित ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कॉपरेटिव शुगर फैक्टरी के जरिए राजनीति में कदम रखा। इसके बाद साल 1991 में वह पुणे डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक के चैयरमैन बने। पहली बार साल 1995 में वह बारामती से चुनकर संसद पहुंचे। इसके बाद उन्होंने चार बार इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वहीं, महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में भी उनका सिक्का चला। 1991 से 1992 के बीच वह नाइक सरकार में कृषि राज्य मंत्री बने। वहीं, शरह पवार की सरकार में पॉवर और प्लानिंग मंत्री बने। कांग्रेस की विलासराव देशमुख सरकार में वह कैबनेट मंत्री बने। सुशील कुमार शिंदे के सरकार में वह ग्रामीण विकास मंत्री रहे। साल 2010 में वह पहली बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने।
लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप भी
साल 1999 से 2014 के बीच कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार के दौरान अजित पवार के पास सिंचाई विभाग का प्रभार था। इस दौरान उन्होंने कई परियोजनाओं को मंजूरी दी। इन परियोजनाओं के सिलसिले में उनके ऊपर कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं का आरोप लगा। उनके ऊपर 70 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप हैं। इस घोटाले को सिंचाई घोटाले के नाम से जाना जाता है।
बेटे को भी उतार दिया है राजनीति में
साल 2019 में अजित पवार ने अपने राजनीति को बेटे पार्थ पवार को देने की कोशिश शुरू कर दी। पार्थ साल 2019 में चुनाव लड़े, लेकिन वह चुनाव हार गए। अजित हाल ही में अपने चाचा शरद पवार से नाराज़ चल रहे थे। इसी साल उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल, इस चुनाव में जीत के बाद उनका कद और बढ़ सकता है।