मप्र में प्रत्याशी चयन से लेकर भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाएगा संघ
संघ की जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा विधायकों में से 77 ऐसे हैं, जो हर हाल में चुनाव जीतने की स्थिति में हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सख्त रुख अपना रहा है। प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति के सूत्र भी संघ ने अपने हाथों में रखे हैं। दावेदारों का पैनल तय करने की जिम्मेदारी संघ की ओर से भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुहास भगत और संघ के सह प्रचार प्रमुख अरुण जैन को दी गई है।
भगत और जैन द्वारा तैयार सूची प्रदेश चुनाव प्रबंध समिति को सौंपी जाएगी, जिस पर सत्ता-संगठन के लोग अपनी राय देंगे। प्रत्याशी बदलने या कोई अन्य चेहरे संबंधी सुझाव चुनाव प्रबंधन समिति की ओर से आया है तो भी संघ की सहमति से ही पैनल में बदलाव किया जाएगा।
संघ की जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा विधायकों में से 77 ऐसे हैं, जो हर हाल में चुनाव जीतने की स्थिति में हैं। बाकी 89 के बारे में संघ ने राय दी है कि 70 चेहरे तो बदलना अनिवार्य है। बाकी 19 सीटों को लेकर कहीं जातिवाद का फैक्टर है तो कहीं परिवारवाद का असर, जिनके चलते उन सीटों पर बदलाव करना मुश्किल हो रहा है। ऐसी सीटों पर चेहरे बदलने से आसपास की सीट प्रभावित होने की आशंका संघ की ओर से जताई गई है। विधानसभा चुनाव को लेकर संघ की ओर से पूर्व क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन को दायित्व सौंपा गया है। इसकी वजह ये है कि मौजूदा क्षेत्र प्रचारक दीपक बिस्पुते को यह दायित्व संभाले ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, जिस कारण राजनीतिक फैसले जैन द्वारा लिए जा रहे हैं।
कांग्रेस सहित बाकी दलों की सीटों पर विशेष फोकस
संघ सूत्रों के मुताबिक जो रणनीति अपनाई जा रही है, उसमें कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय विधायकों की सीटों पर विशेष फोकस रखा जा रहा है। संघ ने सुझाव दिया है कि भाजपा इन सीटों पर कम मेहनत से ज्यादा सफलता हासिल कर सकती है। फिलहाल कांग्रेस के पास 57, बसपा चार व तीन सीटों पर निर्दलीय विधायकों का कब्जा है। संघ ने कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर भी अध्ययन करवा लिया है। इसमें ये तथ्य सामने आया कि विपक्षी विधायकों वाली 30 से ज्यादा सीटों पर एंटी इनकमबेंसी है। इसे आधार मानकर संघ कांग्रेस की 40 सीटों पर विशेष रूप से फोकस कर रहा है।
प्रत्याशी चयन भी भगत-जैन के हवाले
सूत्रों के मुताबिक सुहास भगत और अरुण जैन को प्रत्याशी चयन को लेकर फ्री हैंड दिया गया है। भगत संघ से आए हैं और प्रचारक हैं। अरुण जैन लंबे समय से प्रदेश भाजपा, संघ और सरकार के बीच समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यही वजह है कि दोनों नेताओं को प्रत्याशी चयन का काम सौंपा गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा प्रदेश में कराए गए सर्वे और अन्य रिपोर्ट भी भगत-जैन की टीम को मदद के लिए दी गई हैं।
पहली बार संघ ने सारे सूत्र संभाले
संघ ने पहली बार प्रदेश में चुनाव के सारे सूत्र अपने हाथ में लिए हैं। इसकी वजह ये है कि पिछले 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के खिलाफ इस बार एंटी इनकमबेंसी का माहौल है। खासतौर से विधायकों को लेकर स्थानीय स्तर पर जनता में भारी आक्रोश है। पदोन्नति में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर भी समाज का बड़ा वर्ग नाराज है। पहली बार कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ एकजुट होकर चुनाव लड़ने को तैयार है। ऐसे हालात में संघ को सामने आना पड़ा है। अमित शाह भी संघ के स्थानीय कार्यालय समिधा जाकर दिग्गज नेताओं के साथ विचार साझा कर चुके हैं।
'संघ समय-समय पर देश की राजनीति को सुदृढ़ करने के लिए भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शन करता रहता है। चुनाव का दौर भाजपा के लिए परीक्षा का समय है, तब यह मार्गदर्शन यदि शुभचिंतकों द्वारा आता है तो हमारे लिए वह हमेशा स्वीकार्य होता है।'
- डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मध्य प्रदेश प्रभारी, भाजपा