Move to Jagran APP

MP ग्राउंड रिपोर्ट: विजयपुर के साथ रावत सबलगढ़ में भी सक्रिय

ग्वालियर-चंबल संभाग में पद के लिहाज से कांग्रेस में सिंधिया के बाद रामनिवास रावत दूसरे नंबर के नेता हैं।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 08:21 AM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 08:21 AM (IST)
MP ग्राउंड रिपोर्ट: विजयपुर के साथ रावत सबलगढ़ में भी सक्रिय
MP ग्राउंड रिपोर्ट: विजयपुर के साथ रावत सबलगढ़ में भी सक्रिय

श्योपुर (हरिओम गौड़)। विजयपुर और यहां के विधायक रामनिवास रावत इस चुनाव में भोपाल से लेकर दिल्ली तक चर्चाओं में हैं। कांग्रेस के खाटी (कद्दावर) नेता रामनिवास रावत विजयपुर से पांच बार के विधायक हैं। इस बार पड़ोसी जिले मुरैना की सबलगढ़ सीट से भी दावेदारी जता रहे हैं।

prime article banner

ग्वालियर-चंबल संभाग में पद के लिहाज से कांग्रेस में सिंधिया के बाद रामनिवास रावत दूसरे नंबर के नेता हैं। रावत विधानसभा के मुख्य सचेतक और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में रामनिवास रावत को ग्वालियर-चंबल में कई सीटों पर टिकट बांटने का काम करना था, लेकिन वे अब तक खुद के टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। राहुल गांधी की ओर से विजयपुर सीट से इस बार एकता परिषद की पसंद के आदिवासी उम्मीदवार को उतारने के निर्देश मिल चुके हैं। इस कारण रामनिवास रावत का विजयपुर लौटना मुश्किल लग रहा है।

दूसरी तरफ रावत भी तन, मन और धन से सबलगढ़ में सक्रिय हैं। 16 अक्टूबर को सबलगढ़ में हुई राहुल गांधी की सभा का पूरा जिम्मा रामनिवास के हाथों में था। बताया गया है कि इस कार्यक्रम में करीब 16 लाख रुपए खर्च हुआ, जिसमें से अधिकांश राशि विजयपुर विधायक ने खर्च की है। इसके बाद भी सबलगढ़ के कांग्रेस नेता रावत को अपनाने को तैयार नहीं। सबलगढ़ के अधिकांश कांग्रेसी सिंधिया के सामने रावत का विरोध कर चुके हैं। कार्यकर्ता भोपाल में कमलनाथ और दिल्ली जाकर राहुल गांधी के सामने भी रावत को सबलगढ़ प्रत्याशी न बनाए जाने की मांग रख चुके हैं।

एकता परिषद ने छांटे प्रत्याशी

चर्चाएं हैं कि विजयपुर से कांग्रेस पहली बार आदिवासी प्रत्याशी को उतारेगी। क्योंकि यहां 65000 वोट आदिवासियों के हैं। बीते 10 साल से भाजपा विजयपुर में सीताराम आदिवासी को रामनिवास रावत के खिलाफ उतार रही है। इस कारण आदिवासी वोट भाजपा की ओर मुड़ गया है। आदिवासी वोट को वापस पाने के लिए कांग्रेस ने एकता परिषद को विजयपुर का जिम्मा दे दिया है। एकता परिषद ने रामनिवास के उत्तराधिकारी के तौर पर टुंडाराम लांगुरिया, गोपाल डो भास्कर के नाम सामने रखे हैं। उधर भाजपा भी टिकट फाइनल करने से पहले रामनिवास की ओर देख रही है। यदि रामनिवास विजयपुर में आए तो सीताराम प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। अगर रावत ने विजयपुर छोड़ा तो भाजपा भी प्रत्याशी बदल सकती है।

रावत के पास तीन विकल्प

- रावत अभी भी विजयपुर में वापसी कर सकते हैं क्योंकि, विजयपुर के कांग्रेसी अभी भी दावा कर रहे हैं कि रावत ही चुनाव लड़ेंगे।

- सबलगढ़ में कांग्रेस पदाधिकारी व कुछ सीनियर नेता रावत का विरोध कर रहे हैं, लेकिन आम वोटर ने उनका विरोध नहीं किया। इसलिए रावत जमे रह सकते हैं।

- यदि विजयपुर और सबलगढ़ में रावत की गोटियां नहीं बैठीं तो वह श्योपुर का रुख कर सकते हैं। क्योंकि पहले उनका नाम श्योपुर के लिए चर्चाओं में था। श्योपुर में मीणा समाज का 55 हजार और मुस्लिम समाज का तकरीबन 24 हजार वोट है, जिसकी दम पर रावत ने मन बनाया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.