Move to Jagran APP

MP Results 2018: सिंहस्थ के बाद अक्सर हिली है भाजपा या उसके सीएम की कुर्सी, पढ़िए अजब-गजब संयोग

MP Results 2018-जब-जब उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन हुआ है, उस वक्त प्रदेश में भाजपा की सरकार रही है। इसी से जुड़ा है ये अजब-गजब संयोग

By Saurabh MishraEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 06:39 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 06:48 PM (IST)
MP Results 2018: सिंहस्थ के बाद अक्सर हिली है भाजपा या उसके सीएम की कुर्सी, पढ़िए अजब-गजब संयोग
MP Results 2018: सिंहस्थ के बाद अक्सर हिली है भाजपा या उसके सीएम की कुर्सी, पढ़िए अजब-गजब संयोग

योगेंद्र शर्मा, इंदौर। बारह साल में एक बार उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है। प्रदेश और देश के लोग इसका बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और धर्म, कर्म और मोक्ष के साथ यह धार्मिक आयोजन कई लोगों के जीवन की नई राह तलाशने का जरिया भी होता है। संतों के साथ राजनेता और वरिष्ठजन इस धार्मिक जमावड़े में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करते हैं।

loksabha election banner

अमृत छलकने की पुण्यकथा के साथ आय़ोजित होने वाले इस मेले के साथ एक अजीब संयोग भी जुड़ा हुआ है। सिंहस्थ भले ही साधु-संतों की भागीदारी के लिए पहचाना जाता हो, लेकिन इसको विश्वव्यापी और बेहतर बनाने में शासन-प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ता है। पहले कुंभ की व्यवस्था राजा-महाराजाओं के द्वारा की जाती थी, अब यह काम प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है।

पिछले 35 साल के इतिहास पर गौर करें तो जब-जब उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन हुआ है, उस वक्त प्रदेश में भाजपा की सरकार रही है। हर बार भारी-भरकम खर्च कर सरकार साधुओं और श्रद्धालुओं की सेवा बड़े जतन के साथ करती है। सूबे के सरदार यानी सीएम स्वयं इसकी व्यवस्था पर सतत नजर बनाए रखते हैं, लेकिन अजीब संयोग यह है कि सिंहस्थ के बाद सूबे की सरकार में भारी फेरबदल होता हैं। या तो प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है या सत्तारुढ़ दल को सत्ता से रुखसत होना पड़ता है।

26 जून 1977 में कैलाश जोशी ने सत्ता संभाली और वह 17 जनवरी 1978 तक वह प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। उसके बाद 18 जनवरी 1978 से 19 जनवरी 1980 तक वीरेंद्र कुमार सकलेचा ने प्रदेश की कमान संभाली। सकलेचा के बाद सुंदरलाल पटवा सीएम बने 20 जनवरी से 17 फरवरी 1980 तक सीएम के पद पर रहे। लेकिन जब कुंभ की तैयारियां चरम पर थी तभी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद 1992 मे जब कुंभ का आयोजन हुआ तो एक बार फिर कुंभ को भव्य स्वरूप में आयोजित करने की जिम्मेदारी सुंदरलाल पटवा के कंधों पर आई। कुंभ का आयोजन बेहद सफल रहा, लेकि तभी बाबरी प्रकरण की वजह से उनको सत्ता गंवाना पड़ी।

2003 में फिर से भाजपा सरकार के जिम्मे उज्जैन कुंभ की जिम्मेदारी आई और मुख्यमंत्री उमा भारती ने बड़े जतन के साथ कुंभ में शिरकत की और साधु-संतों की काफी सेवा की, लेकिन भाग्य ने कुछ ऐसा पलटा खाया कि उनको सत्ता के साथ पार्टी से भी रुखसत होना पड़ा।

2016 में कुंभ महापर्व को आयोजित करने का पूण्य काम भाजपा की शिवराज सरकार ने किया। 2015 से लेकर 2016 तक कई बार उन्होंने उज्जैन की यात्रा की और सिंहस्थ के लिए काफी खर्च किया साथ ही सिंहस्थ को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन एक बार 2018 विधानसबा चुनाव के नतीजे पार्टी और शिवराज की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे। यानी कुंभ का आयोजन पिछले 35 सालों से भाजपा या जनसंघ सरकार करवाती रही है, लेकिन हकीकत यह भी है कि इस सफल आयोजन के बाद सत्ता या सीएम गंवाने का संताप उनको हमेशा झेलना पड़ा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.