MP Election 2018 : अपने सबसे मजबूत गढ़ में ही घिरी भाजपा, ऐसे हो रहा डैमेज कंट्रोल
MP Election 2018 : जो मालवा-निमाड़ पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का अभेद्य किला बना था। इस बार यहां के हालात बदले हुए हैं।
इंदौर, डॉ.जितेंद्र व्यास। विकास के नाम पर पिछले पंद्रह वर्षों से प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा को अपने सबसे मजबूत गढ़ मालवा निमाड़ में ही चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कहीं स्थानीय उम्मीदवार को टिकट नहीं मिलने से नाराजगी है, तो कहीं बागियों ने मैदान संभाल रखा है। और तो और अनुशासित मानी जाने वाली पार्टी ने खराब प्रदर्शन के आधार पर जिन विधायकों के टिकट काटे वे भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर अपनी ही पार्टी पर तीखे हमले कर रहे हैं।
फिलहाल वरिष्ठ नेता एंटी इकंबेंसी जैसे मुद्दे छोड़ डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। कहीं निगम मंडल और संगठन में पद देने का आश्वासन चल रहा है, तो कहीं कार्रवाई की चेतावनी देकर असंतुष्टों को शांत किया जा रहा है।
अभेद्य गढ़ कहीं फिसल न जाए भाजपा के हाथों से
वर्ष 2013 के चुनावों में भाजपा को मालवा निमाड़ की 66 विधानसभा सीटों में से 57 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 9 सीटों पर सिमटी कांग्रेस भी मालवा-निमाड़ और खासकर आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र में हुए इस बड़े परिवर्तन से हैरान थी। कांग्रेस की सबसे बुरी हार उज्जैन संभाग में हुई थी, जहां 29 में से मात्र एक सीट पर ही उसका उम्मीदवार जीत हासिल कर सका था। लेकिन पांच सालो में मालवा-निमाड़ क्षेत्र में हुए घटनाक्रमों की वजह से यह अभेद्य गढ़ भाजपा को अपने हाथ से फिसलता नजर आ रहा है।
टिकट वितरण के पहले दावेदारों की खींचतान से भाजपा को यह अंदेशा तो था कि इस बार विरोध ज्यादा होगा, लेकिन जिस तरह पार्टी के पुराने नेता और विधायकों ने मैदान संभाला उसकी उम्मीद बड़े नेताओं को भी नहीं थी। कहीं रैलियों के माध्यम से संगठन को ताकत दिखाई गई, तो कहीं नाराज समर्थकों ने पार्टी कार्यालय में ही तोड़फोड़ कर डाली।
यहां सबसे ज्यादा खींचतान
झाबुआ- अलीराजपुर- पांच में से तीन सीटों पर चुनौती
झाबुआ में भाजपा ने जीएस डामोर को प्रत्याशी बनाया तो वर्तमान विधायक शांतिलाल बिलवाल ने निर्दलीय फार्म भर दिया। थांदला में पिछला चुनाव निर्दलीय जीते कलसिंह भाभर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। इससे नाराज होकर भाजपा के दिलीप डामोर ने चुनाव मैदान संभाल लिया। अलिराजपुर में तीन बार के विधायक नागरसिंह चौहान की चौथी बार उम्मीदवारी के खिलाफ वकील सिंह ठकराला ने नामांकन दाखिल किया है।
शाजापुर-आगर : पांच सीटें, सभी पर बागी बन रहे पार्टी की मुसीबत
शाजापुर में विधायक अरूण भीमावत की उम्मीदवारी का विरोध कर जेपी मंडलोई मैदान में आ गए। शुजालपुर में विधायक जसवंतसिंह हाड़ा का टिकट काटकर कालापीपल विधायक इंदरसिंह परमार को यहां से उम्मीदवार बनाया। इसके विरोध में राजेंद्र सिंह राजपूत ने मैदान संभाल लिया है। कालापीपल में डॉ.बाबूलाल वर्मा को मैदान में उतारा है। लेकिन जिला पंचायत सदस्य नवीन ने टिकट नहीं मिलने पर नामांकन दाखिल कर दिया।
इसी तरह आगर में सांसद मनोहर उंटवाल की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए राधू सिंह चंद्रावत ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। ज्यादा उथल-पुथल सुसनेर में हो रही है। यहां मौजूदा विधायक मुरलीधर पाटीदार की उम्मीदवारी का विरोध पूर्व विधायक संतोष जोशी, फूलचंद वेदिया और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह कांमल कर रहे हैं। जोशी ने नामांकन वापस लेने से इंकार करते हुए चुनाव लड़ने की बात कही है।
पश्चिमी निमाड़ : 6 सीट- पांच बागी
खंडवा में कृषि उपजमंडी अध्यक्ष आनंद मोहे और कौशल मेहरा ने वर्तमान विधायक देवेंद्र वर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। हरसूद में भैयालाल माइकल ने मंत्री विजय शाह को चुनौती देते हुए निर्दलीय फार्म भरा है। मांधाता में चेतराम नायक ने भी पार्टी के खिलाफ फार्म भरा है। नेपानगर में भी गनसिंह ने पार्टी का सिरदर्द बढ़ा दिया है।
धार- 7 में से तीन सीटों पर अपनों से घिरी भाजपा
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सात में से 5 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार जिले की तीन सीटों पर अपनों से मिल रही चुनौती से परेशान है। सरदारपुर में टिकट काटे जाने से नाराज वेलसिंह भूरिया पार्टी के खिलाफ मैदान में है, तो बदनावर में स्थानीय प्रत्याशी की मांग नहीं माने जाने से नाराज पार्टी के वरिष्ठ नेता व मंडी बोर्ड के पूर्व डायरेक्टर राजेश अग्रवाल ने मैदान संभाल लिया है।
रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पहुंचकर अग्रवाल को मनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। पिछले चुनाव में भी अग्रवाल दावेदार थे, तब भी उन्हें इसी तरह का आश्वासन देकर मनाया था। इस बार वे पीछे नहीं हटने की बात कह रहे हैं। इसी तरह जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक कालूसिंह ठाकुर ने भी टिकट काटे जाने से नाराज होकर नामाकंन तो जमा किया ही पार्टी छोड़ने के संकेत भी वरिष्ठ नेताओं को दे दिए।
खरगोन - 6 में से एक सीट पर मुश्किल
भाजपा को जिले की महेश्वर सीट पर अपने विधायक से कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां टिकट काटे जाने से नाराज वर्तमान विधायक राजकुमार मेव ने नामांकन दाखिल करने के साथ चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। समझाइश के बाद भी उन्होंने टिकट वापस लेने से इंकार कर दिया।
उज्जैन - 7 में से दो सीटों पर विरोध
वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा ने उज्जैन जिले की सात में से सात सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार दो सीटों पर उसे अपनों के ही कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। बड़नगर में भाजपा ने जितेंद्र पंड्या का टिकट एनवक्त पर काटकर संजय शर्मा को दे दिया।
पंड्या के नाराज समर्थकों ने न सिर्फ अपनी ताकत दिखाई बल्कि पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ भी कर डाली। राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय की समझाइश भी बेअसर रही, अब सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पंड्या को मनाने जाएंगे। इसी तरह नागदा-खाचरौद विधानसभा सीट पर दिलीप शेखावत की उम्मीदवारी से नाराज दयाराम धाकड़ ने नामांकन दाखिल कर दिया है।
इंदौर- विधानसभा 3 में अपने ही नेताओं से विरोध
इंदौर की नौ विधानसभा सीटों में से जिस विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन में सबसे ज्यादा खींचतान के बाद आकाश विजयवर्गीय का टिकट तय हुआ, वहीं भाजपा को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ललित पौरवाल ने इस क्षेत्र के निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। भाजपा संगठन के पदाधिकारी लगातार पौरवाल से संपर्क कर उन्हें मनाने के प्रयास में जुटे हैं।