MP Election 2018: जिनकी गोली से कभी थर्राता था चंबल, उनकी बोली को मिल रही तवज्जो
MP Election 2018: दस्यु सम्राट मलखान सिंह और मोहर सिंह अलग-अलग पार्टियों के लिए प्रचार कर रहे हैं, लेकिन नेताओं से ज्यादा लोगों को इनकी बोली पर भरोसा है।
भिंड। चंबल के बीहड़ों को कभी अपनी गोली और गिरोह की पदचाप से थर्राने वाले पूर्व दस्यु सम्राटों का असर यहां आज भी है। गोली और बोली के लिए चर्चित बीहड़ों में नेताओं से ज्यादा आज भी इन्हीं की बोली को तवज्जो मिलती है। विधानसभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस जैसे दोनों ही दलों का साथ चंबल की बीहड़ों में दशकों तक राज करने वाले दस्यु सम्राट दे रहे हैं।
पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में शामिल हैं। पूर्व दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर कांग्रेस का साथ दे रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है नेताओं की बात का कोई भरोसा नहीं है, लेकिन दद्दा बात से पलटेंगे नहीं फिर चाहे जमीन आसमान एक हो जाए।
मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री की सभा में पूर्व बागी
भाजपा के चुनाव प्रचार का बीड़ा उठा रहे पूर्व बागी दस्यु सम्राट मलखान सिंह पिछले दिनों लहार विधानसभा में केंद्रीय मंत्री उमा भारती की सभा में उनके मंच की आगे की पंक्ति में नजर आए। 20 नवंबर को अटेर विधानसभा के परा गांव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रत्याशी डॉ. अरविंद भदौरिया की चुनावी सभा को संबोधित करने आए तो यहां भी मलखान सिंह आगे की पंक्ति में बैठे। पूर्व बागी की बात का असर ऐसा, जब उन्होंने भाषण दिया तो लोगों ने तन्मयता से सुना भी और नेताओं से ज्यादा इनके भाषण पर तालियां बजीं।
निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए मोहर सिंह
मेहगांव में रहने वाले पूर्व बागी दस्यु सम्राट मोहर सिंह गुर्जर 1958 में बीहड़ में कूद गए थे। 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस की नीतियों से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया। तब से कांग्रेस में काम कर रहे हैं। 1994 में किस्मत आजमाने मेहगांव नगर परिषद में उतरे तो लोगों ने निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया। पूर्व बागी मोहर सिंह गुर्जर अब 90 साल के हो गए हैं, लेकिन काम अब भी कांग्रेस के लिए कर रहे हैं।
वे मेहगांव विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया के लिए काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य में गिरावट के चलते वे खुद तो ज्यादा चल-फिर नहीं पा रहे हैं, लेकिन बेटे सत्यभान सिंह गुर्जर को अपनी ओर से कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान सौंपी है।
80 के दशक में किया आत्म समर्पण
पूर्व बागी मलखान सिंह जिले के बिलाव गांव के रहने वाले हैं। वे पूर्व में सरपंच रह चुके हैं। गांव में मंदिर की 100 बीघा जमीन के विवाद में वे चंबल घाटी की बीहड़ों में कूद गए थे। चंबल के बीहड़ों में उस जमाने में मलखान का अकेला ऐसा गिरोह था, जिसका फायर पॉवर पुलिस से ज्यादा मजबूत था। गिरोह में डेढ़ दर्जन से ज्यादा सदस्य थे। कैजुअल मेंबरों की संख्या 80 से ज्यादा थी। मलखान ने 80 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष हथियार डालकर आत्म समर्पण कर दिया था।
मलखान कहते हैं उनके पास जो मशीन गन थी, उसे आत्मसमर्पण के समय मौजूद एसपी खोल नहीं पाए थे। गिरोह के पास आधुनिक हथियार कहां से आते थे, यह राज मलखान सिंह के सीने में आज भी दफन है।
महिलाओं का सदा सम्मान किया
दस्यु सम्राट मलखान सिंह हो या मोहर सिंह गुर्जर। दोनों ही पूर्व बागियों के अपने कुछ नियम थे। आज भी लोग इनके बागी जीवन को याद कर कहते हैं कि दुनिया इन्हें दस्यु कहती थी, लेकिन इनमें सामाजिकता और न्यायप्रियता थी। महिलाओं के प्रति सम्मान था। मलखान सिंह आज भी प्रचार मंच से कहते हैं कि चरित्रवान ही बागी बनता है। ऐसे तो तमाम मारे गए, जिन्होंने अपनी बहन-बेटियों की इज्जत नहीं रखी।
मलखान कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कहीं किसी का शोषण नहीं किया। महिलाओं को सदा सम्मान दिया। इन्हीं कारणों से आज भी लोग नेताओं या दूसरे लोगों से ज्यादा इनकी बोली को तवज्जो देते हैं।