MP Election 2018: नतीजों को लेकर उत्सुकता, दावों और दलीलों से बन रही सरकार
MP Election 2018: चुनाव नतीजों से पहले हालत यह है कि कोई विकास के लिए मतदान बता रहा तो कोई बदलाव की बयार मान रहा ।
भोपाल। मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान को लगभग एक हफ्ता होने को आया, लेकिन नई सरकार को लेकर धुंधलका छंटने का नाम नहीं ले रहा। बहुमत के जादुई आंकड़े को लेकर सबके अपने अपने दावे हैं और दावों के पक्ष में अपने-अपने आधार। कोई इसे विकास के लिए मतदान बता रहा है तो कोई बदलाव की बयार मान रहा है।
कोई सट्टा बाजार के भरोसे सरकार बनने बिगड़ने का दावा कर रहा है तो कोई मतदान प्रतिशत को आधार मानकर। किसी की नजर में महिलाओं का वोट परसेंटेज बढ़ना महत्वपूर्ण कारक है तो कोई किसान, कर्मचारी वर्ग की नाराजगी को महत्वपूर्ण मान रहा है। 2003 के बाद यह पहला मौका है जब सरकार को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं।
पूरे सूबे में नई सरकार को लेकर उत्सुकता का माहौल है। सियासत में कम दिलचस्पी रखने वालों की निगाहें भी 11 दिसम्बर पर टिकी हुई हैं। मतदान और मतगणना के बीच के 13 दिनों के फासले ने उत्सुकता के साथ-साथ धुकधुकी भी बढ़ा दी है। हर कहीं नई सरकार को लेकर बहस हो रही है। जहां तक सियासी पार्टियों का सवाल है दोनों ओर गजब का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस की गंभीरता का आलम यह है कि उसने 6 दिसंबर को सभी प्रत्याशियों का प्रशिक्षण आयोजित किया है, जिसमें मतगणना के दौरान बरती जाने वाली सतर्कता की जानकारी दी जाएगी। कांग्रेस को लग रहा है कि मामूली मतों से हार-जीत होने की स्थिति में मतगणना टेबल पर गड़बड़ी हो सकती है। कांग्रेस नेता इसके पक्ष में अतीत के कई उदाहरण भी गिनाते हैं।
जिलों में ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस ने जो मुस्तैदी दिखाई है वह भी सतर्कता को रेखांकित करती है। दूसरी ओर भाजपा भी चौथी बार सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस बेफिक्री से मंत्रालय जा रहे हैं, कैबिनेट की बैठक बुला रहे हैं, उससे भाजपा के आत्मविश्वास को परखा जा सकता है। पिछले दो दिन से मुख्यमंत्री से लगभग दो दर्जन उम्मीदवारों ने मुलाकात कर वोटिंग पैटर्न की जानकारी दी।